शुक्रवार को केतु ने मूल नक्षत्र में प्रवेश किया। इसके बाद आगामी 27 जुलाई, सोमवार को गुरु पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे एवं अगले महीने 8 अगस्त को शनि का नवांश परिवर्तन होगा। इन तीन परिवर्तनों का देश, दुनिया पर भी असर होगा। ग्रहों-नक्षत्रों की दिशा से जुड़े तीन महत्वपूर्ण परिवर्तन होने जा रहे हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार माना जा रहा है कि इसका कई लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। अगस्त का महीना लगते ही लगातार प्रभाव सामने आएंगे। ये प्रभाव बहुत अच्छे नहीं कहे जा सकते। वर्तमान में शुक्र रोहिणी नक्षत्र में गोचरमान हैं। सामान्य गति से यह आगे बढ़ेगा लेकिन इसके बाद बुध एवं सूर्य आगामी 2, 5 एवं 10 अगस्त तक अशुभ फल दे सकते हैं। 31 अगस्त को भी त्रिग्रही योग बन रहा है। इसमें बुध, शुक्र एवं सूर्य की युति है जो कि अनिष्ट का संकेत दे रही है।
27 जुलाई हो ऐसा रहेगा गुरु का नक्षत्र परिवर्तन
27 जुलाई सोमवार को बृहस्पति अर्थात् गुरु का नक्षत्र परिवर्तन होने जा रहा है। इसका असर 30 सितंबर 2020 तक जारी रहेगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार यह नक्षत्र परिवर्तन अत्यंत महत्वपूर्ण एवं निर्णायक माना जा रहा है। धार्मिक भाषा से देखा जाए तो गुरु जीव को कहा जाता है एवं और गुरु सदा ही शुभ परिणाम देते हैं। लेकिन इस समय पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र शुक्र का है एवं यह वर्तमान में अशुभ है इसलिए यह ग्रह नकारात्मक परिणाम दे सकता है। इस दौरान विशेष रूप से भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, अश्लेषा, रेवती, जेष्ठा, मृगशिरा, चित्रा, घनिष्ठा, पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र वालों को सावधान हने की आवश्यक्ता है, क्योंकि यह परिवर्तन उनके लिए अहितकारी है। इन परिणामों से बचना है तो जीवन में संतुलन एवं संयम साधना सीखना होगा। विवादों का टालना होगा। वाणी में संतुलन बरतें। दस्तावेज, त्वचा, प्रोस्टेट, छोटी मोटी यात्रा, शासकीय कार्य, शासकीय कागजात, मोटापे से जुड़ी कोई समस्या सामने आ सकती है।
ग्रहों की चाल बदलने से जीवन होगा यह असर
राहु 2020 की शुरुआत में मिथुन राशि में गोचर कर चुका है और 23 सितंबर 2020 को यह वृषभ राशि में प्रवेश करेगा। वर्तमान में केतु, धनु राशि में चल रहा है और वर्ष 2020 में इसी राशि में प्रवेश करेगा। यह ग्रह 23 सितंबर 2020 को वृश्चिक राशि में आ जाएगा।
क्या होता है राशि परिवर्तन
फलित ज्योतिष में उल्लेखित कई ग्रहयोगोंं में राशि–परिवर्तन योग एक अत्यंत महत्वपूर्ण और ग्रहस्थिति के फल पर बहुत गहरा प्रभाव डालने वाला योग होता है। वास्तव में, कुंडली में ग्रहों की कुछ विशेष स्थिति निर्मित होने से राशि–परिवर्तन का योग बनता है। इसके अलावा कुंडली में जब कोई भी दो ग्रह एक दूसरे की राशि में स्थित हों तो इसे राशि–परिवर्तन योग कहते हैं।
इन राशि के लोगों के लिए कठिन है समय
आगामी 40 से 60 दिनों की अवधि के दौरान धनु राशि, धनु लग्न और धनु नवांश को कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा वृषभ राशि, वृषभ लग्न और वृषभ नवमांश वाले लोगों के लिए भी अगले डेढ़ माह यानी 45 दिन शुभ नहीं कहे जा सकते। मकर राशि, मकर लग्न और मकर नवमांश को भी इस परिवर्तन के समय सावधान रहना चाहिए। इन तीनों का समय अभी अशुभ आंका गया है। आगामी 23 सितंबर 2020 को केतु वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इसके बाद बुरा समय खत्म हो जाएगा और अच्छा समय आरंभ होगा।
29 सितंबर से गुरु का नक्षत्र परिवर्तन
29 सितंबर को गुरु ग्रह का नक्षत्र परिवर्तन होगा। यह अत्यंत महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभाएगा। लेकिन घबराने की आवश्यक्ता नहीं, यह सभी के लिए लाभ एवं शुभ का प्रतीक है। जिन राशियों, नवमांश एवं लग्न को इन दिनों समस्याओं का सामना करना पड़ा है, उनके लिए अब अच्छा समय आने वाला है।
भूकंप, सुनामी की संभावना
ग्रहों एवं नक्षत्रों के इस परिवर्तन के चलते अगस्त के बाद गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। अक्टूबर और नवंबर में किसी बड़े षड्यंत्र का खुलासा हो सकता है। भूकंप और सुनामी आने की संभावना बन रही है। गौरतलब है कि इस साल अभी तक देश व दुनिया में दर्जनों बार अलग—अलग जगह भूकंप महसूस किया गया है। इस क्रम में आने वाले समय में भी किसी भी बड़ी प्राकृतिक आपदा की संभावना बन सकती है।
शुभ फल के लिए करें ये उपाय
ग्रहों व नक्षत्रों के इस परिवर्तन के चलते सबसे बेहतर उपाय यही होगा सभी राशि के लोग अपनी वाणी एवं व्यवहार पर नियंत्रण रखें। यदि आप ऐसा कर लेते हैं तो बहुत सारी परेशानियों से बच जाएंगे। धार्मिक उपायों की बात करें तो घर पर हनुमान जी का एक फोटो रखें एवं सुबह, शाम आरती करें। सरसों के तेल से दीया जलाएं। ध्यान रखें कि सरसों के तेल का दीया सुबह 9 बजे से पहले एवं शाम को 7 बजे के बाद ही जलाना श्रेष्ठ रहता है। इसके अलावा आप पक्षियों के लिए दाने व पानी का समुचित प्रबंध करें। सूर्य देवता को पानी में हल्दी घोलकर प्रतिदिन अर्घ्य दें। सावन का महीना चल रहा हे, आप शिवलिंग पर दूध व पानी मिलाकर जलाभिषेक करें।