सुबह जल्दी उठना शुरू कर दें परिणाम करने पर ही पता चलेगा

 

 

ऋग्वेद जैसा प्राचीन ग्रंथ दुनिया की दूसरी किसी भाषा में नहीं है। हम भारतीयों के पास कुछ शास्त्र तो ऐसे हैं, जिनमें जीवन बचाने के अद्भुत सूत्र दिए गए हैं। ऋग्वेद में लिखा है जीवन को सबसे अधिक पॉजिटिव एनर्जी सुबह के समय मिलती है। इसीलिए जल्दी उठकर टहलने की बात की जाती है। लेकिन आज भारत में अधिकांश लोगों की जीवनशैली में प्रात:काल के अर्थ बदल गए हैं। उनके लिए सुबह का मतलब है जब बिस्तर छोड़ दें।

सूर्योदय से उनका कोई लेना-देना है नहीं। मौज-मस्ती के लिए पार्टियां, टीवी-मोबाइल का साथ और देर रात तक जागते हुए निगेटिविटी से भर जाना। यह जीवनशैली हो गई है, अधिकांश लोगों की। इसमें बदलाव का समय आ गया है। वैसे भी अब किसी से हाथ मिला नहीं सकते, गले लग नहीं सकते। जन्म दिवस मनाते हुए केक की शोभा बढ़ाती मोमबत्ती को फूंक नहीं सकते।

मतलब तन के तेवर, मन की मस्ती और धन का धमाल, सबको कोरोना पी गया। फिर भी यदि कोई ऐसा कर रहे हैं तो यह दुस्साहस नहीं, उनकी मूर्खता ही मानी जाएगी। अब ये परंपराएं बदलना ही पड़ेंगी। मूल्यों को समझें और जीवनशैली को यू-टर्न दे दीजिए। शैली बदलेंगे तो ही जीवन बच सकेगा। इसलिए ऋग्वेद का सूत्र पकड़ें और सुबह जल्दी उठना शुरू कर दें। परिणाम कितना शुभ होगा, यह ऐसा करने पर ही पता चलेगा।

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