वायु देवता ने *भूतल, अन्तरिक्ष, द्युलोक* में साढ़े तीन करोड़ तीर्थ नर्मदा में विद्यमान होना बताया है।
👉 नर्मदा के *उत्तर तट* पर 11 और *दक्षिण तट* पर 23 तीर्थ हैं। नर्मदा और समुद्र के संगम को *35 वॉं* तीर्थ कहा गया है।
👉 ॐकार – तीर्थ के दोनों ओर अमरकण्टक पर्वत से दो कोस दूर तक सब दिशाओं में गुप्त और प्रकट साढ़े तीन करोड़ तीर्थ विद्यमान हैं।
👆 यह सब शैवतीर्थ हैं। 22 वैष्णव तीर्थ हैं। 28 शाक्त तीर्थ हैं। एक तीर्थ क्षेत्रपाल का भी बताया गया है।
👉 नर्मदा में जहॉं कहीं भी जो स्नान करता है, वह शुद्ध चित्त होकर *उत्तम गति* पाता है।
👉 नर्मदा तट पर किया हुआ स्नान, दान, जप, होम, वेदाध्ययन और पूजन – सब *अक्षय* हो जाता है।
👉 *नर्मदा नदी* और उसके *तीर्थों* का वर्णन स्कन्द पुराण के रेवाखण्ड, पद्म पुराण के भूमि खण्ड, वायु पुराण के उत्तर भाग और नारद पुराण में विस्तृत रूप से उल्लिखित है।
नर्मदा जी कुॅंवारी (अविवाहित) नहीं हैं।*_
👉 *राजा पुरुकुत्सु से नर्मदा का विवाह हुआ।*
👉 सात कल्पों तक प्रवाहित होने वाली नर्मदा नदी पृथ्वी लोक में *तीन बार* अवतरित हुईं हैं।
👉 नर्मदा जी का *पहला* अवतरण आद्य कल्प के सत्ययुग में हुआ था। *दूसरा* अवतरण दक्षसावर्णि मन्वन्तर में हुआ था।
👉 *तीसरा* अवतरण वैष्णव (वैवस्वत) मन्वन्तर में सम्पन्न हुआ।
👉 जम्बूद्वीप में नर्मदा *प्रथम नदी* है। इसके पूर्व पृथ्वी पर कोई नदी नहीं थी।
👉 पृथ्वी लोक में *सर्वप्रथम* नर्मदा को लाने के लिए *राजा पुरुकुत्सु* ने घोर तपस्या की थी।
👉 *दूसरी* बार महाराजा *हिरण्यतेजा* और फिर चन्द्रवंशी राजा *पुरूरवा* की घोर तपस्या पर मॉं नर्मदा *तीसरी* बार पृथ्वी लोक में अवतरित हुईं।
👉 तीनों बार मॉं नर्मदा अमरकण्टक स्थित *पर्यंक* (मेकल) पर्वत पर ही अवतरित हुईं।
👉 पूर्व काल में *राजा पृथु* ने अमरकंटक में अश्वमेध यज्ञ किया था। वहीं एक बॉंस के मूल भाग से महानदी नर्मदा निकलीं।
👉 *तीर्थ वर्जित* स्थान में भी नर्मदा स्नान करने पर सहस्रों गङ्गा स्नान का फल प्राप्त होता है।
👉 स्कन्द पुराण के अनुसार – सरस्वती नदी का जल 3 दिन में पवित्र करता है। यमुना – जल 7 दिन में पावन बनाता है। गङ्गाजल स्नान करने पर तत्काल पवित्र करता है, परन्तु नर्मदा नदी *दर्शन मात्र* से ही मनुष्यों को पवित्र कर देती है।