नई दिल्ली: हिंदू धर्म के आस्था और विश्वास का पर्व यानि नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होने वाला है।
चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाएगी। लेकिन इस बार चैत्र नवरात्रि पर दो दो खास संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के जानकारों की मानें तो ऐसा संयोग लगभग 130 साल के बाद बन रहा है। गर इन योगों में कोई पूजा करता है तो उस व्यक्ति को मां दुर्गा की कृपा बनी रहेगी। वहीं, ऐसा कहा जा रहा है चैत्र नवरात्रि के प्रारंभ होने के साथ ही पांच राशि वालों की तकदीर बदल जाएगी।
130 साल बाद बन रहा विशेष संयोग
इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ योग में शुरू होने वाला है। चैत्र नवरात्रि पर बेहद ही दुर्लभ योग बन रहा है। इस बार चैत्र नवरात्रि शुरू होने पर शुक्ल और ब्रह्म योग बन रहे हैं। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर ब्रह्म योग सुबह 9 बजकर 18 मिनट से शुरू हो जाएगा जो कि 23 मार्च तक रहेगा। वहीं दूसरा शुभ योग शुक्ल योग का निर्माण 21 मार्च को सुबह 12 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 22 मार्च तक रहेगा। वहीं, ब्रह्म योग के बाद इंद्र योग का निर्माण होने जा रहा है।
चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि बुधवार, 22 मार्च 2023 से शुरू हो रहे हैं। चैत्र नवरात्रि घटस्थापना के मुहूर्त की शुरुआत 22 मार्च को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक (अवधि 01 घंटा 09 मिनट) रहेगी। चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि मार्च 21, 2023 को रात 10 बजकर 52 मिनट से शुरू हो रही है और प्रतिपदा तिथि का समापन मार्च 22, 2023 को रात 08 बजकर 20 मिनट पर होगा।
घटस्थापना पूजन विधि
कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहने। कलश स्थापना से पहले एक साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले किसी बर्तन में या किसी साफ़ स्थान पर मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज डालें। ध्यान रहे कि बर्तन के बीच में कलश रखने की जगह हो। अब कलश को बीच में रखकर मौली से बांध दें और उसपर स्वास्तिक बनाएं। कलश पर कुमकुम से तिलक करें और उसमें गंगाजल भर दें। इसके बाद कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र, पंच रत्न, सिक्का और पांचों प्रकार के पत्ते डालें।
पत्तों के इस तरह रखें कि वह थोड़ा बाहर की ओर दिखाई दें। इसके बाद ढक्कन लगा दें। ढक्कन को अक्षत से भर दें और उसपर अब लाल रंग के कपड़े में नारियल को लपेटकर उसे रक्षासूत्र से बांधकर रख दें। ध्यान रखें कि नारियल का मुंह आपकी तरफ होना चाहिए। देवी-देवताओं का आह्वान करते हुए कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूल माला, इत्र और नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें। जौ में नित्य रूप से पानी डालते रहें, एक दो दिनों के बाद ही जौ के पौधे बड़े होते आपको दिखने लगेंगे।
मेष राशि
मेष राशि वालों की बात करें तो यह गोचर काफी अच्छा रहेगा। आप लक्ष्य को पूरा करने की भरपूर कोशिश करेंगे। नई योजना बनाएंगे और उस पर कार्य कर पाएंगे। इस दौरान आप फोकस्ड रह सकते हैं।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए मंगल का गोचर उत्साह से भरपूर रहेगा। आप अपने किसी पुराने प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने की योजना बनाएंगे। आप अपनी गतिविधियों में बहुत सक्रिय, ऊर्जावान, गतिशील और उद्यमी होंगे। बात-बात पर गुस्सा कर सकते हैं।
कन्या राशि
मंगल का कन्या राशि में प्रवेश आपके लिए लाभदायक होगा। आप अपने लक्ष्य के प्रति सजग रहेंगे. आपको अपने आसपास के लोगों का भी सहयोग मिलेगा। हालांकि, करियर के मामले में आपको अचानक कोई बड़ा निर्णय नहीं लेना चाहिए।
तुला राशि
तुला राशि के लिए मंगल के गोचर के कारण जीवन व्यवस्थित होने लगेगा। आपमें आत्मविश्वास बढ़ेगा और अपने जीवन की दिशा और दशा को बदलने के लिए आप लगातार प्रयासशील होंगे। किसी एडवेंचर यात्रा की योजना भी आप बना सकते हैं।
धनु राशि
धनु राशि के लिए मंगल का मिथुन राशि में प्रवेश सामान्य से अच्छा रहेगा। आप कुछ हद तनाव मुक्त होंगे। आपके विचारों में स्पष्टता रहेगी। हालांकि, आप कुछ अहंकारी हो सकते हैं या अपने विचार दूसरों पर थोपने की प्रवृत्ति आप में विकसित हो सकती है।