UWW ने शीर्ष पहलवानों की स्थिति पर चिंता जताते हुए, WFI के निलंबन की धमकी दी

 

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय कुश्ती निकाय यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने मंगलवार को नई दिल्ली में 28 मई को एक विरोध मार्च के दौरान कुछ प्रमुख पहलवानों को हिरासत में लिए जाने की निंदा की और धमकी दी कि यदि निर्धारित समय के भीतर इसके लंबित चुनाव नहीं हुए तो वह भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) को निलंबित कर सकता है.
UWW ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि, वह WFI के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह द्वारा शक्ति के दुरुपयोग और यौन उत्पीड़न पर पहलवानों के विरोध से संबंधित स्थिति को ‘बड़ी चिंता’ के साथ देख रहा हैं.
बयान में कहा गया है, “इन आखिरी दिनों की घटनाएं और भी चिंताजनक हैं कि पहलवानों को विरोध मार्च शुरू करने के लिए पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया और अस्थायी रूप से हिरासत में लिया गया.”
“UWW पहलवानों के उपचार और निरोध की कड़ी निंदा करता है. यह अब तक की जांच के परिणामों की कमी पर निराशा व्यक्त करता है. UWW संबंधित अधिकारियों से आरोपों की गहन और निष्पक्ष जांच करने का आग्रह करता है.
UWW, जिसने इस विवाद के कारण इस साल की शुरुआत में भारत को आवंटित 36 वी सीनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप 24 फरवरी को वापस ले ली थीं. महाद्वीपीय कार्यक्रम नई दिल्ली में आयोजित होने वाला था, लेकिन बाद में इसे कजाकिस्तान में स्थानांतरित कर दिया गया और अस्ताना में 9 से 14 अप्रैल तक आयोजित किया गया.
UWW संयुक्त विश्व कुश्ती ब्यूरो ने कहा कि वह भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और तदर्थ समिति से WFI के चुनावों के बारे में जानकारी मांगेगी, जो वर्तमान में WFI चला रही है.
विश्व कुश्ती संघ ने कहा हैं कि अगर 45 दिनों के अंदर भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के चुनाव नहीं होते हैं तो WFI को आगे के मैच के लिए निलंबित किया जा सकता है.
UWW की धमकी इसलिए भी अहमियत रखती है, क्योंकि अगर WFI को सस्पेंड कर दिया जाता है तो भारतीय पहलवानों को आगे के सभी मैच तटस्थ ध्वज के साथ खेलने होंगे. यानी कोई भी खिलाड़ी भारतीय ध्वज के साथ अंतरराष्ट्रीय कुश्ती के मैच में भाग नहीं ले पाएगा.
विदित हो कि खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) की कार्यकारी समिति के गठन के 45 दिनों के भीतर चुनाव कराने के लिए एक तदर्थ समिति बनाने के लिए कहा था.
विदित हो कि आईओए के एक्ट‍िंग CEO और ज्वाइंट सेक्रेटरी कल्याण चौबे ने 3 मई 2023 को आदेश जारी कर कुश्ती संघ के संचालन और 45 दिन के अंदर चुनाव कराने के लिए तदर्थ समिति (एडहॉक कमेटी) का गठन किया था, जिसमें वूशु संघ के भूपेंदर सिंह बाजवा, ओलंपियन निशानेबाज सुमा शिरूर को शामिल किया था. वहीं इस कमेटी में एक रिटायर्ड जज जो कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का हो, उसको भी शामिल करने के लिए कहा गया था. ताकि WFI के चुनाव पारदर्शी रूप में किए जा सकें.
तदर्थ समिति ने अपने कार्यभार भी संभाल लिया. आईओए ने कुश्ती संघ से सभी दस्तावेज, एकाउंट्स और विदेशी टूर्नामेंटों के लिए भेजी जाने वाली एंट्री का लॉगिन, वेबसाइट संचालन तत्काल उसे सौंपने को कहा था. तदर्थ समिति की अगुवाई में अंडर-17 और अंडर-23 एशियाई चैंपियनशिप की टीम के चयन ट्रायल और चयन समिति भी घोषित कर दी.
पहलवानों की स्थित जानने और उनकी सुरक्षा के बारे में बात करने के लिए UWW बैठक आयोजित करने वाला है. संगठन भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन और WFI की एड-हॉक कमेटी से ऐच्छिक जनरल कमेटी बनाने के बारे में भी अनुरोध करेगा.

उल्लेखनीय हैं कि UWW को 1921 में लॉज़ेन में IOC ओलंपिक कांग्रेस के दौरान बनाया गया था. इसका मुख्यालय लुसाने, स्विट्जरलैंड में है.

ईधर हरिद्वार में मेडल गंगा नदी में बहाने के लिए शीर्ष पहलवान मंगलवार की शाम करीब 5.45 बजे हर की पौड़ी पहुंचे थे. यहां विनेश फोगाट और साक्षी मलिक गंगा नदी के किनारे बैठ गईं. उनकी आंखों में आंसू थे. काफी देर तक दोनों सिर पकड़कर रोती रहीं. यह सारा घटनाक्रम चल ही रहा था कि इस बीच किसान नेता नरेश टिकैत वहां पहुंच गए. उन्होंने साक्षी और विनेश से उनके मेडल ले लिए और समझाते हुए सरकार को 5 दिन का अल्टीमेटम दे दिया.
मंगलवार को हुए पूरे घटनाक्रम पर भारतीय कुश्ती संघ पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने भी अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा,’जांच होने देना चाहिए. अब सबकुछ दिल्ली पुलिस के हाथ में है. उनके (पहलवानों) निवेदन पर ही एफआईआर हुई है. वो लोग गंगाजी में मेडल बहाने गए थे, लेकिन नरेश टिकैत के हाथ में थमाकर लौट आए. मेरा कार्यकाल खत्म हो गया है, इसलिए पद पर नहीं हूं. अगर गलत पाया जाता हूं तो गिरफ्तारी भी हो जाएगी.’
बता दें कि विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया समेत तमाम पहलवान जंतर मंतर पर 23 अप्रैल से धरना दे रहे थे. 28 मई को नई संसद के उद्घाटन के दिन ही पहलवान बिना इजाजत के संसद तक मार्च निकालने को बढ़ने लगे. पुलिस ने उन्हें रोका. पहलवानों को हिरासत में लिया गया तथा उनके खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया गया.
इससे पहले 18 जनवरी को पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था. पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. सुप्रीम कोर्ट के दखल पर दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो मामले भी दर्ज किए हैं.
ज्ञात हो कि पहलवानों की ओर लगाए गए यौन शोषण के आरोपों से घिरे बृजभूषण शरण सिंह बतौर भारतीय कुश्ती संघ अध्यक्ष के 4 साल के तीन कार्यकाल पूरे कर चुके हैं. खेल संहिता के मुताबिक वह अब इस पद पर चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो चुके हैं. जनवरी में पहलवानों के पहले धरने के वक्त खेल मंत्रालय की ओर से खिलाड़ियों की मांग पर बृजभूषण को फेडरेशन की सभी गतिविधियों से दूर रहने के बारे में कहा गया था. साथ ही IOA की गठित ओवरसाइट कमेटी को ही इसका संचालन सौंपा गया था.
कागजी कार्रवाई के हिसाब से बृजभूषण फेडरेशन से 5 माह से अलग ही हैं. इधर, बृजभूषण भी स्पष्ट कर चुके हैं कि वह अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे. हालांकि यह नहीं कहा है कि वह किसी अन्य पदाधिकारी का चुनाव नहीं लड़ेंगे. बस अध्यक्ष पद पर चुनावों से इंकार किया था.

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