H3N2 वायरस:भोपाल में सर्दी-खांसी और फ्लू के 310 पेशेंट, इनमें से 100 भर्ती

देश में अब H3N2 नाम का नया वायरस तेजी से फैल रहा है। अभी तक H3N2 के 90 केस सामने आए हैं। दो लोगों की मौत भी हुई है। मध्यप्रदेश में भी इसका खतरा मंडरा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार इसके लक्षण कोराना के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं। भोपाल के अस्पतालों में इसी के लक्षणों वाले 40 से ज्यादा मरीज रोजाना आ रहे हैं। डॉक्टर्स ने बताया कि ओपीडी में आने वाला हर तीसरा या चौथा मरीज H3N2 या इससे मिलते-जुलते लक्षण यानी सर्दी, खांसी और फ्लू से पीड़ित है। हालांकि] नए वायरस की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। केंद्र या राज्य सरकार की ओर से भी कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है।

डॉक्टर्स का कहना है कि इन मरीजों का कोरोना टेस्ट भी निगेटिव आ रहा है। शुक्रवार को प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में ऐसे 100 से अधिक मरीज भर्ती हैं। वहीं, यहां करीब 310 से ज्यादा मरीज ओपीडी में पहुंचे।

H3N2 के लक्षण वाले मरीजों का कोरोना टेस्ट निगेटिव

मिरेकल हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. राकेश मिश्रा ने बताया कि अस्पताल में सर्दी, खांसी और तेज बुखार की शिकायत के साथ आए 26 मरीज अलग-अलग वार्डों में भर्ती हैं। इन मरीजों में पिछले पांच दिन से ज्यादा समय से सर्दी, खांसी और फ्लू की तकलीफ है। पूछताछ के दौरान मरीजों ने बीमारी की शुरुआत कोरोना के जैसे लक्षणों से होने की जानकारी दी है। हालांकि, इनमें सभी का आरटीपीसीआर टेस्ट निगेटिव मिला है। अन्य डॉक्टर्स के अनुसार किसी को सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द या तकलीफ, लगातार बुखार आना या खाना खाने में गले में दर्द होता है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

क्या है H3N2 वायरस

H3N2 इन्फेलुएंजा-ए वायरस का सबटाइप है। डब्ल्यूएचओ और अमेरिका के सीडीसी के मुताबिक यह मनुष्यों में इन्फ्लुएंजा का अहम कारण है। यह वायरस पक्षियों और जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। पक्षियों और दूसरे जानवरों में इसके कई स्ट्रेन्स पैदा हो चुके हैं। जो श्वसन में संक्रमण पैदा करता है। इन्फ्लूएंजा ए वायरस का सबटाइप है जिसकी खोज 1968 में हुई थी।

ऐसे फैलता है

H3N2 इंफ्लुएंजा संक्रामक है, जो एक से दूसरे व्यक्ति में मुंह या नाक से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है। छींकने, खांसने और यहां तक कि बोलने पर जो बूंदें निकलती हैं, वह आसपास मौजूद लोगों को संक्रमित कर सकती हैं। एक संक्रमित सतह को छूने के बाद अपने मुंह या नाक को उसी हाथ से छू लेने से भी संक्रमित हो सकते हैं। बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती, जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, ऐसे लोगों के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है।

H3N2 वायरस का इलाज क्या है?

  • खुद को हाइड्रेट रखें, लिक्विड पीते रहें।
  • बुखार, खांसी या सिरदर्द हने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
  • इन्फ्लूएंजा वायरस से बचने के लिए फ्लू शॉट्स लें।
  • बुखार, सर्दी-खांसी हाेने पर अपने मन से एंटीबायोटिक्स न लें।
  • घर के बाहर मास्क लगाकर रखें, भीड़ वाली जगह से बचें।

डॉक्टर की सलाह- बचाव जरूरी है

भोपाल के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. लोकेंद्र दवे ने बताया कि वायरस से बचने के लिए सावधानियां बरतना जरूरी है। उन जगहों पर जाने से बचें, जहां अधिक भीड़ हो। अगर जाना पड़े, तो मास्क का इस्तेमाल करें। डॉक्टर की सलाह से एन्फ्लूएंजा वैक्सीन भी ले सकते हैं। यह वैक्सीन स्वैच्छिक है।

यह मुख्य रूप से उन मरीजों के लिए कारगर होती है, जिन्हें पहले से गंभीर बीमारी हो। जैसे- कैंसर, हार्ट, शुगर, किडनी और लिवर के मरीज। इसके अलावा ऐसे बुजुर्ग, जिनकी इम्युनिटी कमजोर हो। अधिक एंटीबायोटिक लेने से बचें। हाल में देखा गया है कि अधिक एंटीबायोटिक लेने से कई मरीजों की खांसी लंबे समय तक ठीक नहीं हुई। कई बार एंटीबायोटिक इम्युनिटी पर प्रभाव भी डालती है, इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के दवा ना लें।

बुखार कितने दिनों में उतर जाता है?

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) का मानना है कि इन्फेक्शन के लक्षण पांच से सात दिनों तक बने रहे सकते हैं। H3N2 से होने वाला बुखार तीन दिनों में उतर जाता है, लेकिन खांसी तीन हफ्ते से ज्यादा दिनों तक बनी रहती है।

जरूरी सलाह : एंटीबायोटिक के सेल्फ यूज से बचें

अक्सर कई मरीज डॉक्टरों को दिखाए बिना ही मेडिकल स्टोर पर जाकर सामान्य एंटीबायोटिक (एजिथ्रोमाइसिन, अमोक्सिक्लेव या अन्य दवाइयां) लेकर ठीक होने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं करें, क्योंकि इनमें कई वायरस में लाइन ऑफ ट्रीटमेंट अलग होता है। वहीं, कुछ मरीज जांच में वायरल इंफेक्शन के अलावा बैक्टीरियल बीमारी से भी पीड़ित निकल रहे हैं। ऐसे में मरीजों को एंटी बायोटिक्स का सेल्फ यूज करने से बचना चाहिए। डॉक्टर को दिखाने और जांच करवाने के बाद जो डॉक्टर दवाइयां लिखे उसे ही लें।

फिलहाल सरकार की तरफ से निर्देश नहीं

भोपाल के सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी का कहना है कि H3N2 वायरस ओमिक्रॉन का ही एक वैरियंट है। इसका स्प्रेड मैकेनिज्म भी कोविड की तरह ही है। यह खांसने, छींकने आदि से फैल सकता है। इसमें सभी को उसी तरह एहतियात बरतना है, जैसे कोविड के समय बरती थी। हालांकि, इसके लिए फिलहाल केंद्र या राज्य द्वारा निर्देश जारी नहीं हुए हैं।

Shares