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संविधान का मखौल उड़ाता शाहीन बाग

डॉ. मयंक चतुर्वेदी: एक हाथ में तिरंगा और दूसरे में भारतीय संविधान की कॉपी, लोगों का हुजूम और एक ही रट- हम लोकतंत्र की हत्या के विरोध में धरना दे रहे हैं। देखते ही देखते इस धरने को 51 दिन बीत चुके हैं। दूर से आप धरने को देखेंगे तो लगेगा, वाह क्या बात है।…

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इतिहास का एक अनूठा अध्याय- रामराजा का नगर ओरछा

भोपाल : सोमवार, फरवरी 3, 2020, बुन्देला राजाओं की प्राचीन राजधानी रही है ओरछा। ओरछा विश्व का एकमात्र नगर है, जिसका राजा राम को माना जाता है। ओरछा की स्थापना वर्ष 1501 में रूद्रप्रताप सिंह ने की थी। वीरसिंह देव महान योद्धा रहे है, जिन्होंने इसकी सीमाओं और वैभव में वृद्धि की। उन्होंने ओरछा में…

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भारत, भारतीयता और राजनीति

  भारतीयता की साधना ही भारतीय राजनीति है। भारत की राजनीति को समझना भी भारत को समझने का एक उपक्रम है क्योंकि वह भी भारतीयता को सम्बोधित एक मजबूत अभिव्यक्ति है। भारतीयता ही भारत की आत्मा है। जिसकी सच्ची अभिव्यक्ति भारत की आत्मशक्ति आध्यात्मिकता के आधार भाव में होती है। भारतीयता का भान इतना सरल…

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क़ुदरत के हुस्न का अनमोल ख़ज़ाना -ओरछा

    भोपाल :  एक सप्ताह पहले ही ओरछा गया था। इस धार्मिक -ऐतिहासिक -प्राकृतिक तीर्थ ने इस बार मन मोह लिया। पहले अक्सर रामराजा सरकार के दर्शन करने जाया करता था। एक श्रद्धालु की तरह। शायद मेरे अवचेतन में यह कहानी गहरे बैठी हुई है कि रामराजा तो बुंदेलखंड के ओरछा में विराजे हैं ,बेतवा नदी…

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सरकार की नींद उड़ाता शाहीन बाग आन्दोलन

सरकार की नींद उड़ाता शाहीन बाग आन्दोलन श्रीगोपाल गुप्ता: देश की राजधानी दिल्ली के दक्षिणी भाग में स्थित शाहीन बाग में सरकार द्वारा पारित नागरिक संसोधन एक्ट (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी ) के विरोध में 40 दिनों से चल रहे धरना प्रदर्शन से सरकार और भारतीय जनता पार्टी की रातों की नींद और…

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बरकतउल्ला विश्वविद्यालय: इतने “राव” कहाँ से लाएं

    बीयू के कुलपति मेहनत तो बहुत कर रहे पर परिणाम नही मिल रहा  महेन्द्र सिंह : भोपाल,4 जनवरी| बरकतउल्ला विश्वविधालय ,भोपाल की वर्षों से पटरी से उतरी गाड़ी को कुलपति आर .जे.राव फिर से दौड़ाना चाहते हैं ,लेकिन उनकी राह में उनके ही सलाहकार रोड़ा बन रहे हैं | बैठकों में कुछ तय…

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अपनी चतुराई से अंग्रेजों को खूब छकाते थे वीर सावरकर

  वीर क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर को अंग्रेजों ने अंडमान जेल से रिहा कर महाराष्ट्र के रत्नागिरि में नजरबंद किया था। वहां उन पर सार्वजनिक रूप से राजनीति और लेखन आदि कार्यों पर प्रतिबंधलगाया गया था। फिर भी वीर सावरकर ने अंग्रेजों की आंख में धूल झोंकते हुए सामाजिक तथा मानसिक क्रांति का कार्य अनवरत…

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