अस्पतालों के व्यवसायिकरण और दवा उत्पादन के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में दवा रिटेल एवं दवा डिलीवरी में उतरें महारथी

    रिलायंस, फ्लिपकार्ट, एमाज़ॉन के बाद अब थाइरोकेयर भी उतरी दवा डिलीवरी क्षेत्र में. शिक्षा क्षेत्र के बाद व्यवसायिकरण स्वास्थ्य क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है जो इस कोविड काल में चिंता का विषय है. अभी हाल में ही कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने अस्पताल बनवाने के लिए आईपीओ जारी किया था…

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तब की इमरजेंसी अब की इमरजेंसी…

46 साल पहले आज के ही दिन, यानी 25 जून, 1975 को लगाई गई इमरजेंसी वाकई बहुत बुरी थी. आम लोगों के नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे और खास लोगों को जेल में डाल दिया गया था. इंदिरा गांधी का विरोध करने वाला पूरा का पूरा विपक्ष जैसे सलाखों के पीछे था. हज़ारों राजनीतिक-सामाजिक…

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सरकार द्वारा लागू खरीद पर टीडीएस से व्यापारी सकते में

:*   1 जुलाई 2021 से लागू आयकर की धारा 194 क्यू के अन्तर्गत अब हर व्यापारी जिसकी बिक्री वित्तीय वर्ष 2020-21 में 10 करोड़ से ऊपर हैं, उसे 50 लाख के ऊपर की हर खरीदी पर 0.1% का टीडीएस काटना पड़ेगा और हर महीने जमा करवाना पड़ेगा. ये एक गैर जरूरी कवायद है क्योंकि…

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सोशल मीडिया पर बनें भारत के नये आईटी कानून की आलोचना कर रहा संयुक्त राष्ट्र

    *सोशल मीडिया पर बनें भारत के नये आईटी कानून की आलोचना कर रहा संयुक्त राष्ट्र: गैर जरूरी और बेबुनियाद दखल:*   केंद्रीय आईटी और लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने साफ- साफ कहा है कि नियम तो मानना ही होगा। सोशल मीडिया को लेकर नई गाइडलाइन कहीं से भी कोई अभिव्यक्यित की आजादी पर…

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लोकतांत्रिक देश में नहीं चलेगी सरकारों की हिटलरी शाही

  *आम आदमी के मौलिक अधिकारों का हनन कहां का न्याय है सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में दिनों दिन परिस्थितियां बदलती जा रही है। यह परिस्थितियां अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़ी है। जहां किसी को खुलकर विरोध करने का अधिकार है और नही अपनी बात कहने का। फिर वो चाहे कोई आम आदमी हो…

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क्या पश्चिमी देशों से हमारी नजदीकी हमारे पड़ोसियों को चुभ रही?

    इसमें कोई शक नहीं कि पिछले सात सालों में हमारी विदेश नीति अमरीकी और युरोपियन देशों के इर्दगिर्द घूमी है और शायद यही कारण है कि हमारे पड़ोसी देश हमारे बढ़ते रुतबे को देख जल रहे हैं और परिणामस्वरूप सीमा रेखा पर टेंशन एवं आये दिन चाहे वो बांग्लादेश हो, नेपाल हो, श्रीलंका,…

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सत्ता और पद के लालच में होने वाली दलबदलू राजनीति पर पाबंदी लगना जरूरी

  सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि उपचुनाव का खर्च जनता के पैसे के बजाय पार्टी फंड से उठाया जाए विजया पाठक,: मध्य प्रदेश सहित देश की राजनीति में पिछले कुछ समय एक अलग तरह की परंपरा अपने पैर पसारती जा रहा है। और इस विकसित होती इस परंपरा से यदि कोई सबसे…

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नहीं भुलेंगे वो भयावह दो महीने,,,

    नहीं भुलेंगे वो भयावह दो महीने,,, ( एबीपी का ब्लॉग ) खबर एक – भोपाल के भदभदा विश्राम घाट के सचिव मम्तेष शर्मा ने बताया कि 14 जून को उनके श्मशान घाट पर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत एक भी अंतिम संस्कार नहीं हुआ। कोरोना से दम तोड़ने वाले स्टैंड पर तीन महीनों बाद…

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कुनबे में कलह: मप्र में भाजपा यानि भारतीय झगड़ा पार्टी

    राघवेंद्र सिंह नया इंडिया/भोपाल: इस जगत में किसी की भी सत्ता स्थाई नही है। सब गतिशील है। आज जो है कल नही रहेगा। राजपाट, पद, प्रतिष्ठा, धन-दौलत, शौहरत आदि इत्यादि कल किसी के पास थे आज कोई दूसरा सिंहासन पर है तो कल कोई अन्य इन सब का भोग कर रहा होगा। थोड़ा…

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और कितना नीचे जाएंगे दिग्विजय

  दिग्विजय सिंह लंबे समय से केंद्रीय स्तर पर तो कांग्रेस के पालिसी मेकर्स में शामिल नहीं हैं। वह किसी भी स्तर पर भविष्य बताने वालों जैसी क्षमता भी नहीं रखते हैं। लेकिन कुछ तो अलग है उनके भीतर। वरना ये भला कैसे मुमकिन था कि सिंह कांग्रेस की नीति और नियति, दोनों को एक…

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