ये कैसा तंत्र जो लाशों के ढेर देखकर भी पसीजता नही, न कार्रवाई करता

_आये दिन होते हादसों पर क्या किसी को भी कोई फर्क नही पड़ रहा?_ ——————————————— *सरकार है क्या? सिस्टम है क्या?* ——————————————— _ये कैसा तंत्र जो लाशों के ढेर देखकर भी पसीजता नही, न कार्रवाई करता_ ——————————————— _हर हादसे पर बस रस्मअदायगी, फिर वही अराजकता, कानून का जैसे ख़ौफ़ ही नही_ ——————————————— _*36 लोग बावड़ी…

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कुलीनों के कुनबे में ऐसी कलह

  दीपक जोशी के साथ कांग्रेस कार्यालय होकर आई स्वर्गीय कैलाश जोशी की तस्वीर का तो पता नहीं लेकिन जोशी जी की आत्मा को हुए कष्ट का अंदाज लगाया जा सकता है। जनसंघ से भाजपा तक के सफर में कैलाश जोशी ने भी सब कुछ भोगा है। पार्टी में मिले महत्व को भी उन्होंने देखा…

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न्यू इंडिया में सामाजिक दरारें चौड़ी होती जा रही हैं, सत्तारूढ़ राजनीति, व्यापक ज़रूरी मुद्दों पर बहस या सभ्य सिविल संवाद को लगभग असंभव बना रही है…

-अशोक वाजपेयी: इधर एक नया भारत बनाने का दावा बहुत क्रूर और नृशंस ढंग से कुछ शक्तियां करने लगी हैं. उनका दावा यह भी है कि एक एकनिष्ठ, ग़ैर-समावेशी भारत, जिसमें बहुसंख्यक पूरे नागरिक होंगे और अल्पसंख्यक दोयम दर्ज़े के नागरिक, असली भारत-विचार है. इस सिलसिले में ‘भारत-विचार के बचाव में’ विषय पर ‘अनहद’ द्वारा…

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चर्चा में चीते…राजनीति के आगे बेबस…

  अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं!आपको शायद याद भी होगा!श्रीमुख से एक नया डायलॉग निकला था – अब तक कबूतर छोड़े जाते थे..अब चीते छोड़े जाते हैं! नही याद आया..? चलिए हम आपको याद दिला देते हैं! हुजूर का अवतरण (17 सितंबर) दिवस था।इस ऐतिहासिक मौके पर अपने एमपी में भी एक अलौकिक आयोजन…

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साइंटिफिक-एनालिसिस : जंतर-मंतर पर खिलाडियों के चल रहे धरने पर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री का मौन ?

  साइंटिफिक-एनालिसिस जंतर-मंतर पर खिलाडियों के चल रहे धरने पर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री का मौन व एक सांसद की अपने वोट बैंक पर अकड व बड़े होने की धमकी तले धंस रही बीजेपी राजनैतिक तौर पर बहुत बडी चोट खाने के मार्ग पर जा रही हैं | 👉 जंतर-मंतर के धरने स्थल पर विपक्षी नेताओं…

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पटवारी 5 करोड़ का तो.. मंत्री और सचिव कितने के?

  वैसे तो लोकायुक्त पुलिस के “ट्रैप” की खबरें रोज अखबारों में जगह पाती रहती हैं!पर वे अक्सर किसी कोने में पड़ी होती हैं।लेकिन 28 अप्रैल 2023 को प्रदेश के सबसे प्रमुख अखबार में पहले पन्ने की दूसरी खबर थी – 5 करोड़ का पटवारी..दो घर सात दुकानें…साथ में गरीबी के रेखा से नीचे वाला…

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काश थोड़ा “लाड़” इस बहना को भी मिल जाता…

  स्थानीय अखबार की सुर्खियां देख रहा था..अचानक दतिया की एक खबर पर नजर पड़ी। खबर के साथ तस्वीर भी थी! उस तस्वीर में एक गरीब महिला गोद में अपने बेजान दुधमुहें बच्चे को लेकर बैठी थी। उसकी आंखों में निराशा का सागर हिलोरें ले रहा था। खबर की हेडिंग थी – सरकारी एंबुलेंस व्यस्त…

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ग्रेवाल का नही उतरता चश्मा, चाहे खुशी हो या गम चश्मा नहीं उतारेंगे हम

  ✍🏻 अमित त्रिवेदी* *इंदौर। *धार जिले की सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र फिलहाल काफी चर्चा में है। क्योंकि यहां से कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल का चश्मा जो है। दरअसल उनका चश्मा चुनाव के पूर्व ही काफी ज्यादा चर्चाओ में है। क्योंकि विधायक जी का यह चश्मा सुख हो दुख। उतरने का नाम ही नही लेता है।…

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पीएम केयर्स फंड ऑडिट के अधीन या आरटीआई के तहत क्यों नहीं है, और कोई पारदर्शिता व जवाबदेही क्यों नहीं ?

  नई दिल्ली: पीएम केयर्स फंड के गोपनीयता के साये में घिरे होने की बात कहते हुए कांग्रेस ने सवाल किया कि इसमें सरकारी स्वामित्व वाले उपक्रमों (पीएसयू) से 60 प्रतिशत धन आने के बावजूद कोई पारदर्शिता और जवाबदेही क्यों नहीं है तथा यह किसी ऑडिट या सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में…

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मध्यप्रदेश देश मे अकेला ऐसा राज्य है जहां चुनाव कथा, भजन, भोजन और भंडारों के आधार पर लड़ें और जीते जाते हैं!

    *भारत मे मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां विधान सभा चुनाव न तो जाति, धर्म और सम्प्रदाय के वोटों के ध्रुवीकरण के हिसाब से होते हैं! और न ही शिक्षा, रोजगार, उद्योग, कृषि, व्यापार, भ्रष्टाचार और ग्रामीण विकास के मुद्दो पर!?* *मध्यप्रदेश मे विधायक बनने के लिए उम्मीदवार को न तो ज्यादा पढ़ा लिखा…

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