पूरी दुनिया में कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. भारत में कोरोना वायरस का मामला 170 तक पहुंच चुका है. कोरोना वायरस के लक्षण आम सर्दी जुकाम की ही तरह हैं.
खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत इसके आम लक्षण हैं.
COVID-19 के लक्षण आम सर्दी जुकाम की तरह ही है. इस वजह से ही लोगों को इस महामारी की पहचान करने में दिक्कत हो रही है. वैसे तो पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर कई महीनों से जारी है लेकिन वैज्ञानिकों ने अब यह बताया है कि दिनों के हिसाब से कोरोना वायरस के लक्षण कैसे उभरते जाते हैं और कब ये मरीज के शरीर में पूरी तरह से दिखना शुरू होते हैं. हाल ही में वुहान विश्वविद्यालय के झोंगनान अस्पताल में 138 मरीजों पर एक स्टडी की गई जिसमें कुछ विशिष्ट लक्षणों की पहचान की गई.
स्टडी में पाया गया कि लगभग 99 फीसदी मरीजों के शरीर का तापमान बहुत ज्यादा था जबकि आधे से ज्यादा लोगों में थकान और सूखी खांसी थी. वहीं एक तिहाई लोगों को मांसपेशियों में दर्द और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. इस बीमारी को दो मुख्य चरणों में बांटा जा सकता है- पहला चरण, जो आम तौर पर सात दिनों तक रहता है और दूसरा चरण, जो और दो सप्ताह तक रहता है. राहत की बात है कि 85 फीसदी मरीज कोरोना वायरस के केवल पहले चरण का अनुभव करते हैं. जबकि सात में से एक मरीज पूरे तीन सप्ताह के लक्षणों से गुजरता है.
यहां हम डॉक्टरों के अनुसार दिनों के हिसाब से कोरोना वायरस के लक्षण बता रहे हैं साथ ही इन लक्षणों के दिखने पर आपको क्या करना चाहिए, ये जानकारी भी दे रहे हैं.
पहला दिन
वायरस से संक्रमित अधिकांश मरीजों में पहले बुखार होता है. इसके अलावा थकान, मांसपेशियों में दर्द और सूखी खांसी भी हो सकती है. कुछ लोगों को एक या दो दिनों के लिए उल्टी या डायरिया का भी अनुभव हो सकता है.
दूसरा दिन
दूसरे दिन आपको बहुत थकान महसूस होगी और आप कुछ भी कर पाने में खुद को असहाय महसूस करेंगे.
सातवां दिन
सातवें दिन यानी पहला चरण खत्म होने तक 85 फीसदी मरीजों में ये लक्षण कम होने लगते हैं. अगर आप अकेले रहते हैं और आपका बुखार ठीक हो गया है साथ ही आप खुद को बेहतर महसूस कर रहे हैं तो आप अपने काम पर वापस लौट सकते हैं.
अगर आप दूसरों के साथ रहते हैं तो आपको और सात दिनों के लिए आइसोलेशन में रहना चाहिए ताकि दूसरों तक आपका संक्रमण ना पहुंचे. हालांकि सातवें दिन तक अगर आपको सांस लेने में समस्या होने लगती है तो आप उन मरीजों में से हैं जो इस बीमारी के दूसरे चरण में प्रवेश कर चुके हैं. इस चरण पर कुछ मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत महसूस हो सकती है.
सत्रहवां दिन
आमतौर पर 17वें दिन के आसपास कोरोना वायरस से मरीज की मौत हो जाती है, हालांकि यह बात ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस चरण पर आकर मरने वालों का आंकड़ा अभी एक से दो फीसदी ही है.
इक्कीसवां दिन
21वें दिन तक गंभीर कोरोना वायरस के मामले भी नियंत्रण में आ सकते हैं और आप अपने काम पर वापस लौट सकते हैं.