आध्यामिकता भारत देश की धरोहरः मनोहर लाल
शिक्षा और एन्टरप्रेन्योरशिप भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ः स्वामीनाथन
जनसंख्या बोझ नहीं बल्कि प्रकृति का उपहारः सतीश कुमार
तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ शुभारंभ
24 अप्रैल, नई दिल्ली। भारत सरकार के केंद्रीय आवास एवं शहरी मामले तथा विद्युत मंत्री मनोहर लाल ने पहलगांव की घटना की निंदा करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत को अगर अन्य देशों से आगे बढ़ना है तो हमें देश से बेरोजगारी, गरीबी मुक्त करते हुए आर्थिक असमानता को दूर करना होगा। आध्यामिकता भारत देश की धरोहर है। देश को समृद्ध और विकसित बनाना है तो अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिशा व गति से कार्य करने की आवश्यकता है। वे गुरुवार को नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र में स्वदेशी शोध संस्थान, नई दिल्ली, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, चौधरी चरण सिंह हरियाणाा कृषि विश्वविद्यालय हिसार, इंडियन कांउसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च, नई दिल्ली, यूनिवर्सिटी ऑफ अगदर, नार्वे, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक तथा आर्गेनाइजर मैगेजीन, मीडिया पार्टनर के संयुक्त तत्वावधान में “विजन 2047ः समृद्ध और महान भारत” विषय पर 24-26 अप्रैल, 2025 को आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इससे पहले पहलगाम पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई व अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर तीन दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा सम्मेलन की स्मारिका व डॉ. प्रदीप चौहान व डॉ. सर्वजीत कौर द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया।
केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पिछले 10 वर्षो से भारत में तेज गति से विकास हो रहा है और 18 करोड़ लोगों को रोजगार पिछले वर्षो में दिया गया है। अगले दो वर्षो में 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनामी में भारत शामिल होकर आत्मनिर्भर बनेगा। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग तथा पर्यावरण पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत में विद्युत उर्जा का 45 प्रतिशत हिस्सा अब सौर उर्जा से प्राप्त हो रहा है। 2047 तक भारत में एटोमिक एनर्जी से 100 गीगावाट एनर्जी का उत्पादन किया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा में गीता जयंती के माध्यम से गीता का प्रसार-प्रचार विदेशों में हो रहा है। इसके अलावा विश्व बंधुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को आत्मसात करने की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक (अंशकालिक) स्वामीनाथन गुरुमूर्ति ने कहा शिक्षा और एन्टरप्रेन्योरशिप भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ व वसुधैव कुटुम्बकुम का अर्थ एक परिवार है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने अतिथियों का स्वागत किया व तीन दिवसीय सम्मेलन की रूपरेखा के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 800 पंजीकरण हुए है जिसमें से 700 शोध पत्र व सारांश प्राप्त हुए है। 8 तकनीकी सत्र व 9 आफलाईन व एक आनलाइन प्लेनेरी सत्र का आयोजन किया जाएगा।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संगठक सतीश कुमार ने भारत को जोड़ने वाले आठ बिंदुओं को रेखांकित किया जिसमें युवा और गतिमान जनसंख्या (युवा और गतिशील जनसंख्या), पूर्ण रोजगारयुक्त भारत (पूर्ण रोजगार वाला भारत), सर्वाेच्च वैश्विक अर्थव्यवस्था (वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करना), अभय सुरक्षा तंत्र (सुरक्षा प्रणाली), विज्ञान एवम तकनीकी में अग्रिणी (विज्ञान और प्रौद्योगिकी), पर्यावरण हितैषी शामिल हैं। विकास (टिकाऊ विकास), विश्व बंधुत्व का प्रणेता भारत (भारत के नेतृत्व में विश्व बंधुत्व) और उच्च जीवनमूल्यों से युक्त भारत (जीवन के उच्च नैतिक मूल्य)। उन्होंने कहा कि भारत के लिए जनसंख्या बोझ नहीं बल्कि प्रकृति का उपहार है। उन्होंने भारत की विकास नीति की तैयारी के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि भारत के पास एक सुरक्षा प्रणाली होनी चाहिए ताकि वह खुद की रक्षा कर सके। उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया।
जीबी यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश ने कहा कि अनादिकाल से भारत समृद्ध देश है। समाज में कृषि शिक्षा पर विशेष बल दिया जाना चाहिए तथा लोगों को इस विषय पर जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने प्राकृतिक कृषि को अपनाने पर जोर दिया।
आईसीएआर के उप-निदेशक डॉ. आरसी अग्रवाल ने कहा कि उनसे जुडे कुल 77 कृषि विश्वविद्यालय तथा लगभग 300 निजी कृषि महाविद्यालय है जो कि भारत में कृषि शिक्षा पर विशेष बल देते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 4 सालों में उनके 400 एन्टरप्रेन्योर ने 28 लाख का टर्नओवर किया है जो कि गर्व की बात है।
एआईयू की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल ने भारत में स्थित 118 यूनिकार्न की चर्चा की। उन्होंने भारत में स्टार्टअप तथा शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति-2020 और उसकी संरचना का जिक्र किया जिसमें उन्होंने बताया कि स्कूलों तथा महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम को प्रत्येक तीन महीने में रि-शेड्यूल किया जाना चाहिए। उन्होंने आनलाइन शिक्षा पर मुख्य रूप से जोर दिया।
सोनालिका ट्रैक्टर्स के वॉयस चैयरमेन ए.एस. मित्तल ने आर्थिक समृद्धि, शिक्षा, नैतिकता और जीवन की गुणवत्ता पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने एक आत्मनिर्भर, विश्व स्तर पर सम्मानित भारत का निर्माण करने का लक्ष्य निश्चित करने को कहा जहाँ “प्रत्येक नागरिक उच्च गुणवत्ता वाला जीवन जी सके।
अंत में चौधरी चरण सिंह हरियाणाा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि स्वदेशी केवल एक आंदोलन नहीं बल्कि एक जीवनशैली है जो आत्मनिर्भरता, सादगी और भारतीयता का प्रतीक है। मंच का संचालन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला ने किया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच के आर सुंदरम, स्वावलंबी भारत अभियान की अखिल भारतीय महिला सह समन्वयक अर्चना मीणा, स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल, तकनीकी शिक्षा विभाग हरियाणा के सचिव राजेश गोयल, प्रो. अश्विनी महाजन, सीए हर्षित, डॉ. आरसी अग्रवाल, पंकज मित्तल, कुलपति डॉ. आरके मित्तल, अनुराधा, मनोज, प्रो. सुशील शर्मा, प्रो. अनिल मित्तल, प्रो. विवेक चावला, डॉ. राजन शर्मा, डॉ. जे.के. चंदेल, डॉ. अजय जांगड़ा, डॉॅ. महेश सहित गणमान्य लोग मौजूद थे।
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स्वदेशी शोध संस्थान ने विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से किए एमओयू
स्वदेशी शोध संस्थान ने विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से एमओयू किए। स्वदेशी शोध संस्थान की ओर से डॉ. प्रदीप चौहान व विकास सिंह ने यूनिवर्सिटी ऑफ अगदर, नार्वे, आईसीएआर, नई दिल्ली, एसोसिएशन आफ यूनिवर्सिटी, नायपर कोलकाता, नायपर गुवाहाटी, सनातन ग्रुप आफ एजुकेशन, बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, दामोदरन यूनिवर्सिटी, नैनीताल, एनआईटी नागालैंड, निफटन तंजौर, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ, मां शांकुभरी यूनिवर्सिटी, सहारनपुर व डॉ. भीमराव यूनिवर्सिटी, आगरा से समझौता किया।
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विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रदर्शनी रही आकर्षण का केन्द्र
तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में स्वदेशी शोध संस्थान, नई दिल्ली, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, चौधरी चरण सिंह हरियाणाा कृषि विश्वविद्यालय हिसार, इंडियन कांउसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च, नई दिल्ली द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी आकर्षण का केन्द्र बनी। इन प्रदर्शनियों में खेती विरासत, सूती कपड़ा, बीज, फसल, पेड़-पौधे, प्राकृतिक खेती, विभिन्न स्टार्टअप व नवाचार का प्रदर्शन किया गया जिसको सभी ने सराहा। इसके अतिरिक्त स्वदेशी शोध संस्थान की पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।