राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस का ‘चीन प्रेम’

क्या भारत को चीन के हवाले करना चाहती है कॉन्ग्रेस?

पहले नेहरू ने जमीन गँवाया, अब कॉन्ग्रेस नेता सैम पित्रोदा बोले- वे दुश्मन नहीं: राहुल गाँधी भी करते रहे हैं तारीफ

 

इंडियन ओवरसीज़ कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष और राहुल गाँधी के करीबी सहयोगी सैम पित्रोदा ने सोमवार (17 फरवरी 2025) को चीन को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि चीन को हमारा दुश्मन मानने की जरूरत नहीं है और इसे बेवजह बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है।

IANS से बातचीत में पित्रोदा ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि चीन से कोई बड़ा खतरा है। इस विषय को कई बार बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।”

पित्रोदा ने अमेरिका पर चीन के खिलाफ माहौल बनाने का आरोप लगाया और भारत की भी आलोचना की कि वह चीन के प्रति टकराव का रवैया अपनाता है।

सैम पित्रोदा ने कहा, “हमारी सोच शुरू से ही टकराव वाली रही है, और यही रवैया हमें दुश्मन बनाता है। हमें इस पैटर्न को बदलने की जरूरत है।”

पित्रोदा ने चीन को लेकर नरमी भरा रुख अपनाते हुए कहा, “शुरू से ही यह मान लेना कि चीन हमारा दुश्मन है, न चीन के लिए सही है और न ही किसी और के लिए।”

 

उन्होंने चीन की तारीफ करते हुए कहा कि भारत को उसके साथ संवाद, सहयोग और सह-निर्माण पर जोर देना चाहिए, न कि ‘कमांड और कंट्रोल’ मानसिकता अपनानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “चीन हमारे आसपास है, चीन आगे बढ़ रहा है।”

 

राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस का ‘चीन प्रेम’

 

राहुल गाँधी पहले भी चीन की खुलकर तारीफ कर चुके हैं।

मार्च 2023 में कैम्ब्रिज बिजनेस स्कूल में अपने विवादित भाषण में राहुल गाँधी ने चीन को ‘महाशक्ति बनने की आकांक्षा रखने वाला’ और ‘प्राकृतिक शक्ति’ बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि चीन में ‘सामाजिक समरसता’ है।

 

राहुल गाँधी ने चीन की विवादित और आक्रामक बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का भी समर्थन किया था। 2022 में ‘द प्रिंट’ की कॉलमनिस्ट श्रुति कपिला से बातचीत में उन्होंने कहा था कि चीन अपने आसपास के देशों की तरक्की चाहता है।

हालाँकि, 2023 में लद्दाख दौरे के दौरान राहुल गाँधी ने यह भी कहा था कि “चीन ने लद्दाख में भारत की चरागाह भूमि पर कब्जा कर लिया है।” लेकिन 2022 में ब्रिटेन में उन्होंने बयान दिया था कि “लद्दाख, चीन के लिए वही है, जो रूस के लिए यूक्रेन है।”

राहुल गाँधी ने 2020 में विदेशी ताकतों से भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने की अपील भी की थी।

 

चीन और कॉन्ग्रेस का गुप्त समझौता

 

राजीव गाँधी फाउंडेशन (RGF) और चीन के बीच वित्तीय लेन-देन की जानकारी 2020 में सामने आई थी। ऑपइंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2006 के बाद चीनी सरकार ने RGF को 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की फंडिंग दी थी।

 

2008 में UPA सरकार के दौरान कॉन्ग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) के बीच एक समझौता (MoU) हुआ था। इसमें दोनों दलों को “महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों पर विचार-विमर्श करने का अवसर” देने की बात कही गई थी।

राजीव गाँधी फाउंडेशन में 2005 से ही राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा ट्रस्टी के रूप में जुड़े हुए हैं, जबकि सोनिया गाँधी इसकी चेयरपर्सन हैं।

दिलचस्प बात यह है कि 2017 के डोकलाम विवाद के दौरान राहुल गाँधी ने गुपचुप तरीके से चीन के राजदूत लुओ झाओहुई से मुलाकात की थी। इसके अलावा साल 2018 में कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान उन्होंने गुपचुप तरीके से चीनी मंत्रियों से भी मुलाकात की थी।

यहाँ ये बात बताना भी जरूरी है कि राहुल गाँधी के परनाना और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का नारा देकर आँख मूँदकर बैठ गए थे और चीन ने 1962 में भारत पर हमला कर दिया था। इस युद्ध में भारत की पराजय हुई थी। इससे सबक लेने की जगह बाद की कॉन्ग्रेस लीडरशिप ने भी चीन प्रेम जारी रखा।

 

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