नागा साधुओं के वह अनसुने रहस्य जिन्हें जानकर चौंक जाएंगे आप
महाकुंभ में लाखों की संख्या में नागा साधु आते हैं जो लोगों में आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं नागा साधुओं की दुनिया रहस्यमई मानी जाती है जाने नागा साधुओं की ऐसी रहस्यमई बातें
सामान्य व्यक्ति आमतौर पर अवधूत की धुन में दिखने वाले नागा साधुओं को कुंभ मेले में ही देख पाते हैं क्योंकि बाकी के दिनों में यह बाहरी दुनिया से गायब होते हैं
नागा शब्द संस्कृत के नग से बना है नग मतलब पहाड़ यानी पहाड़ों में या गुफाओं में रहने वाले नागा कहलाते हैं नागा साधु नग्न अवस्था में ही रहते हैं उनके वस्त्र होता है भस्म
नागा साधुओं को इसलिए नागा कहा जाता है क्योंकि नागा का अर्थ खाली होता है इसका अर्थ है कि नागा साधु केवल भक्ति और आध्यात्म के ज्ञान के अलावा बाकी चीजों को शून्य मानते हैं
नागा साधु सदा शिव की भक्ति में लीन रहते हैं महाकुंभ में नागा साधु सुबह दैनिक प्रक्रिया के बाद धुनी रमाते हैं और फिर सूर्य स्नान करते हैं जो खुले आसमान के नीचे होता है
बाल भोग लगाने के बाद नागा साधु को अगर खाने को कुछ मिला तो खा लिया नहीं मिला तो नहीं खाया खाने पर भी संयम रखते हैं ताकि तपस्या में कोई बाधा न आए
नागा साधुओं को दशनामी भी कहा जाता है कठोर तपस्या सात्विक आहार नाडी शोधन और अग्नि साधना करने के कारण नागा साधुओं को ठंड नहीं लगती है