मध्य प्रदेश में निगम-मंडलों के दावेदारों को अभी और करना होगा इंतजार
मध्य प्रदेश में निगम-मंडलों के दावेदारों को अभी और करना होगा इंतजार
भोपाल । मध्य प्रदेश में निगम-मंडलों में नियुक्ति पाने के दावेदारों को अभी और इंतजार करना होगा। इसकी वजह भी है क्योंकि यह नियुक्तियां संगठन चुनाव के बाद होगी। इस बात के संकेत सत्ता और संगठन की ओर से दिए जा रहे हैं।
राज्य में मोहन यादव के नेतृत्व में बनी सरकार को एक साल हो गया है मगर राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं। तमाम दिग्गज नेता निगम और मंडलों में पद पाने की कतार में लगे हुए हैं। जो विधायक मंत्रिमंडल में जगह नहीं हासिल कर पाए थे वह भी इन पदों पर नियुक्ति पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं।
वर्तमान में राज्य में 50 से ज्यादा निगम मंडल ऐसे हैं जहां नियुक्तियां होनी है। इन पदों पर नियुक्तियों के लिए कई बार कवायदें चली, मगर वह अंजाम तक नहीं पहुंच पाई हैं। इसकी बड़ी वजह नेताओं द्वारा अपने समर्थकों की नियुक्तियां कराने का दबाव बनाना रही है। राज्य के प्रमुख नेता केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान हों, ज्योतिरादित्य सिंधिया हों, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर हों या भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सभी अपने-अपने करीबियों को बड़ी जिम्मेदारियां दिलाना चाहते हैं।
सत्ता और संगठन के गलियारे से यह बात सामने आने लगी है कि राजनीतिक नियुक्तियां फिलहाल नहीं होने वाली। यह नियुक्तियां संगठन चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही हो सकेगी। यहां हम आपको बता दें कि संगठन चुनाव की प्रक्रिया पूरा होने में लगभग दो माह का वक्त लग सकता है। इस तरह इन दावेदारों को अभी और इंतजार करना होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजनीतिक नियुक्तियों के लिए बहुत लंबी कतार है। एक तरफ भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं तो दूसरी तरफ दल बदल कर पार्टी में आने वालों की संख्या भी कम नहीं है। ऐसे में स्थित एक अनार सौ बीमार जैसी बनी हुई है। पार्टी को सभी को संतुष्ट करने की बड़ी चुनौती है और यही कारण है कि राजनीतिक नियुक्तियां आसानी से नहीं हो पा रही हैं। बात संगठन चुनाव के बाद की कही जा रही है मगर ऐसा हो पाएगा यह भी बड़ा सवाल है।
भोपाल । मध्य प्रदेश में निगम-मंडलों में नियुक्ति पाने के दावेदारों को अभी और इंतजार करना होगा। इसकी वजह भी है क्योंकि यह नियुक्तियां संगठन चुनाव के बाद होगी। इस बात के संकेत सत्ता और संगठन की ओर से दिए जा रहे हैं।
राज्य में मोहन यादव के नेतृत्व में बनी सरकार को एक साल हो गया है मगर राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं। तमाम दिग्गज नेता निगम और मंडलों में पद पाने की कतार में लगे हुए हैं। जो विधायक मंत्रिमंडल में जगह नहीं हासिल कर पाए थे वह भी इन पदों पर नियुक्ति पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं।
वर्तमान में राज्य में 50 से ज्यादा निगम मंडल ऐसे हैं जहां नियुक्तियां होनी है। इन पदों पर नियुक्तियों के लिए कई बार कवायदें चली, मगर वह अंजाम तक नहीं पहुंच पाई हैं। इसकी बड़ी वजह नेताओं द्वारा अपने समर्थकों की नियुक्तियां कराने का दबाव बनाना रही है। राज्य के प्रमुख नेता केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान हों, ज्योतिरादित्य सिंधिया हों, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर हों या भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सभी अपने-अपने करीबियों को बड़ी जिम्मेदारियां दिलाना चाहते हैं।
सत्ता और संगठन के गलियारे से यह बात सामने आने लगी है कि राजनीतिक नियुक्तियां फिलहाल नहीं होने वाली। यह नियुक्तियां संगठन चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही हो सकेगी। यहां हम आपको बता दें कि संगठन चुनाव की प्रक्रिया पूरा होने में लगभग दो माह का वक्त लग सकता है। इस तरह इन दावेदारों को अभी और इंतजार करना होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजनीतिक नियुक्तियों के लिए बहुत लंबी कतार है। एक तरफ भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं तो दूसरी तरफ दल बदल कर पार्टी में आने वालों की संख्या भी कम नहीं है। ऐसे में स्थित एक अनार सौ बीमार जैसी बनी हुई है। पार्टी को सभी को संतुष्ट करने की बड़ी चुनौती है और यही कारण है कि राजनीतिक नियुक्तियां आसानी से नहीं हो पा रही हैं। बात संगठन चुनाव के बाद की कही जा रही है मगर ऐसा हो पाएगा यह भी बड़ा सवाल है।