प्रदेश की राजनीति में उज्जैन का क्या है महत्व

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कब-कब उज्जैन के जनप्रतिनिधि मध्य प्रदेश के सीएम बने और उज्जैन उत्तर-दक्षिण विधानसभा सीट की मध्य प्रदेश में सरकार बनने में क्या रहा विशेष संयोग,,,
*उज्जैन ने दिया मध्य प्रदेश को दूसरा मुख्यमंत्री*

पत्रकार अमूल्य जायसवाल की उज्जैन से राजनीतिक विश्लेषण पर एक रिपोर्ट,,

🔸उज्जैन दक्षिण से विधायक डॉ मोहन यादव को आज भोपाल में भाजपा विधायक दल ने अपना नेता चुना,,इसके साथ ही उज्जैन की जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि को दूसरी बार मध्य प्रदेश की कमान सौंपी जाएगी,,,
🔸भाजपा से डॉ मोहन यादव मध्य प्रदेश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री होंगे जो उज्जैन से निर्वाचित होकर विधायक बने,,अब मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं,,
🔸वही मध्य प्रदेश विधानसभा का इतिहास देखा जाए तो उज्जैन से पहला मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी से चुना गया था,,जिनका नाम प्रकाशचंद्र सेठी था,इस हिसाब से डॉ मोहन यादव के रूप में मध्य प्रदेश में दूसरी बार उज्जैन के जन प्रतिनिधि को प्रदेश का नेतृत्व करने का मौका मिलेगा,,जो 1972 के बाद अब 2023 में यह सम्भव हुआ है,,
*यह भी एक अजब संयोग बना की* 1972 में कांग्रेस से विधायक प्रकाश चंद्र सेठी उज्जैन उत्तर से चुनाव जीते थे,,और बाबूलाल जैन (जनसंघ)अपने ही समाज के व्यक्ति को हराया,,इस बार जब उज्जैन से प्रदेश में दूसरा मुख्यमंत्री बनने जा रहा है,, तो डॉ मोहन यादव ने कांग्रेस के चेतन यादव को हराया,,,

🔸इसके अलावा 1972 में उज्जैन उत्तर से प्रकाश चंद्र सेठी और दक्षिण से दुर्गा दास सुर्यवंशी दोनों कांग्रेस प्रत्याशी जीते थे,,अब 2023 में उज्जैन उत्तर और दक्षिण दोनों से भाजपा प्रत्याशी जीते हैं,,दोनों बार भाजपा हो या कांग्रेस जिस पार्टी ने भी उज्जैन के जनप्रतिनिधि को प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना,,कुछ समानताएं रही,,जो अग्र लिखित बताई गई,परंतु एक अंतर यह रहा कि प्रकाश चंद सेठी पहली बार विधायक बने थे और कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया,,तो अब जब मोहन यादव मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं तो वह तीसरी बार विधायक बने और भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुना है,,
🔸इस हिसाब से पहले कांग्रेस और अब भाजपा ने उज्जैन से निर्वाचित विधायक को प्रदेश की कमान सौंपी जाएगी,,,
🔸इसके अलावा *उज्जैन से जुड़ा एक संयोग* यह भी है कि उज्जैन उत्तर और दक्षिण दोनों विधानसभा सीट पर जिस पार्टी के विधायक चुने गए प्रदेश में भी उसी दल की सरकार बनी,,,इसके विरुद्ध जब सरकारें बनी तो वह चल नहीं पाई,बीच कार्यकाल में ही गिर गई,,,इसका उदाहरण 1967 और 2018 के परिणाम में देखने को मिलता है,,1967 मेंउज्जैन उत्तर और दक्षिण में भाजपा के विधायक थे और प्रदेश में द्वारका प्रसाद मिश्र के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बन गई,परंतु बीच कार्यकाल में ही गिर गई क्योंकि जबलपुर में छात्र आंदोलन के दौरान सरकार के इशारे पर छात्रों पर गोली चलाने का आरोप लगा,,
🔸वही 2018 में मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी परंतु उज्जैन में उत्तर और दक्षिण दोनों में भाजपा के विधायक थे,,यह सरकार भी आपसी फूट के चलते बीच कार्यकाल में ही गिर गई और उज्जैन में जिस पार्टी के विधायक थे बचा हुआ कार्यकाल उस पार्टी की सरकार ने ही पूर्ण किया,,
🔸अब भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तीनों राज्यों में ऐसे चेहरे को मुख्यमंत्री के रूप में प्रमोट करना चाहता है जो 15-20 साल तक प्रदेश की बागडोर संभाल सके,परंतु मध्य प्रदेश और उज्जैन से जुड़ा एक संयोग यह भी है कि जिस सरकार के कार्यकाल में सिंहस्थ पर्व होता है उस पार्टी की सरकार दोबारा रिपीट नहीं होती याने चेंज होता है,,इस बार भाजपा शासन काल में उज्जैन में सिंहस्थ 2028 होगा,,ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व का फार्मूला आगामी 15-20 साल तक मुख्यमंत्री प्रमोट करना देखना दिलचस्प होगा क्या यह संयोग बना रहेगा और 2028 के बाद विधानसभा चुनाव में इसहिसाब से कांग्रेस सरकार आएगी या पीएम की मंशा अनुसार अब से 15-20 साल तक भाजपा की सरकार मध्य प्रदेश में काबिज रहेगी,,,

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