Chandrayaan-3: इंसान के लिए चांद की खोज क्यों?

 

नई दिल्‍ली । चंद्रयान-3 Chandrayaan-3-भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च करने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और 14 जुलाई को इस मिशन को लांच किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) ने मंगलवार को चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के लिए लॉन्च रिहर्सल को पूरा कर लिया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने तीसरे चंद्रमा मिशन के लिए तैयारी में है, 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे का वक्त भी निर्धारित किया जा चुका है। इसरो ने हाल ही में वेहिकल और रॉकेट इलेक्ट्रिकल टेस्ट (kate electrical test) के सफलतापूर्वक समापन की घोषणा की, जिससे मिशन ने लॉन्च की दिशा की ओर एक कदम और बढ़ा लिया है. खास बात यह है कि अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में ले जाने वाले एलवीएम-3 रॉकेट की ऐतिहासिक घटना को देखने के लिए आम जनता के लिए बुकिंग भी खोल दी है।

चंद्रयान कार्यक्रम, एक प्रतिष्ठित भारतीय चांद पर खोज की एक पहल है जो इसरो द्वारा किए गए अंतरिक्ष मिशनों की एक श्रंखला में शामिल है. चंद्रयान-3 की नवीनतम किस्त में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्जन मॉड्यूल और एक रोवर है. इस मिशन का पहला मकसद अंतरग्रहीय मिशनों के लिए ज़रूरी अत्याधुनिक तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना है. आपको बता दें कि लैंडर को चांद पर पूर्व निर्धारित जगह पर एक अच्छी लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे रोवर को उतारा जा सके, रोवर अपने मोबिलिटी फेज़ के दौरान चांद की सतह की संरचना का अध्ययन करते हुए रासायनिक विश्लेषण के मिशन पर निकलेगा। 

चंद्रयान-3 की तेजी से चल रही तैयारी और प्रगति के बीच, यह समझना बेहद ज़रूरी है कि मानव जाति के लिए चांद की खोज क्यों ज़रूरी है. चंद्रमा ने हमेशा हमें आकर्षित किया है और उसके बारे में जानने को लेकर हमें हमेशा से ही जिज्ञासा रही है. और इसके रहस्यों की खोज से हमारे अपने अस्तित्व और ब्रह्मांड के बारे में अहम जानकारी हासिल हुई है. यहां यही समझाने की कोशिश की है कि आखिर चांद पर जाना हमारे लिए क्या मायने रखता है और यह क्यों इतना अहम है।

चांद की खोज क्यों?
चंद्रमा की सतह पर जितने गड्ढे हैं उतने ही जवाब और अवसर विभिन्न क्षेत्रों के लिए इसके पास हैं। चूंकि चंद्रमा धरती से बना है इस वजह से धरती के प्रारंभिक इतिहास का यहां पर भंडार है.नासा की एक रिपोर्ट बताती है कि भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के चलते हमारी धरती से जो रिकॉर्ड मिट गए हैं वह भी यहां पर संरक्षित हैं. चंद्रमा की खोज से वैज्ञानिकों को धरती की उत्पत्ति, धरती-चंद्रमा सिस्टम का निर्माण और विकास, और धरती के भूत और संभावित रूप से इसके भविष्य पर एस्टेरॉइड प्रभावों के असर के बारे में बेशकीमती जानकारी मिलती है।

इसके अलावा, चांद जटिल इंजीनियरिंग चुनौतियां पेश करता है, जिससे यह प्रौद्योगिकियों, उड़ान क्षमताओं, जीवन समर्थन प्रणालियों और तकनीक की खोज के मामले में एक आदर्श परीक्षण स्थल है. यहां जोखिमों का अंदाजा लगाने और भविष्य के मिशनों की दक्षता बढ़ाने के लिए एक शानदारा माहौल मिलता है। नासा के मुताबिक, चंद्रमा पर मौजूदगी दर्ज करके, हम दूसरी दुनिया में रहने और काम करने का सीधे अनुभव हासिल कर सकते हैं, जिससे हम तापमान और रेडियेशन की चरम स्थितियों में आधुनिक सामग्रियों और उपकरणों का परीक्षण करने में सक्षम हो सकते हैं.इसके अलावा चांद की खोज से हम मानव कार्यों में मदद करने, दूरदराज के इलाकों की खोज और महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने के लिए रोबोट के इस्तेमाल में सहज हो सकेंगे।

 

व्यापार की संभावनाएं
चांद की खोज अनेक व्यापारिक संभावनाएं भी पैदा करती है. इससे जहां तकनीक के क्षेत्र मे नवाचार और नए प्रयोगों को बढ़ावा मिलेगा, वहीं चांद की खोज खोजकर्ताओं को उससे परे अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए मौका देगा. जिससे हमारे लिए सौर मंडल के भीतर के दूसरे ग्रहों की खोज और जानकारी जुटाने के लिए मंच तैयार हो सकेगा। वैसे भी ब्रह्मांड अनंत है और अभी तो हमने उसे जानना शुरू भी नहीं किया है।

मानव स्वास्थ्य में भी मददगार
धरती की तुलना में चांद का वातावरण अपने कम गुरुत्वाकर्षण और उच्च रेडियेशन स्तर के कारण अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष स्वास्थ्य चुनौतियां देता है। यह चुनौतियां चिकित्सा शोधकर्ताओं के लिए बेहद अहम हैं., क्योंकि यह हड्डी और मांसपेशियों की खऱाबी और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी स्थितियों को रोकने और इलाज करने में महत्वपूर्ण प्रगति के अवसर प्रस्तुत करती है। चिकित्सा के क्षेत्र में इन सफलताओं से निस्संदेह मानवता को दूरगामी लाभ होंगे।

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