*पूर्व विधायक सत्तन बोले- ‘इंदौर सिर्फ चटोरा है क्या?’:नाइट कल्चर पर कहा- पब शुद्ध रूप से कलाली हैं; लड़कियों के पहनावे पर भी बोले…
इंदौर के नाइट कल्चर विवाद पर अब भाजपा के पूर्व विधायक और कवि सत्यनारायण सत्तन का बयान आया है। उन्होंने देर रात खुलने वाले पब-होटल्स को शुद्ध रूप से कलाली बताया। वे यहीं नहीं रुके। इंदौर के खाने-पीने के ठियों को लेकर भी राय रखी तो शहर के ऐतिहासिक महत्व और संस्कार को याद करने की सलाह दी है।
*इंदौर के नाइट कल्चर को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे?*
इतिहास ने, साहित्य ने ऐसी व्याख्या दी है उसे देखेंगे तो सुबह बनारस, शाम-ए अवध और शब-ए-मालवा। सुबह बनारस की देखिए, शाम अवध की और रात मालवा की..। नेता कहते हैं कि इंदौर के सराफा बाजार में अच्छी चाट मिलती है, 56 दुकानों पर अच्छी चाट मिलती है। मेरा मानना है कि इसके अलावा इंदौर का कोई गौरव नहीं है क्या…?
इंदौर केवल चटोरा शहर है, क्या इंदौर का कोई ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व नहीं है? अहिल्या जैसी मातेश्वरी जिस शहर की अधिष्ठात्री देवी रही हों, जिसे संपूर्ण भारत और विश्व में पूज्यनीया का अधिकार प्राप्त हों। उनके काम की ध्वनि पूरे देश में गूंजते हों, उस शहर को आप केवल खान-पान से जोड़कर करके रख दोगे क्या।
आप इंदौर को किस तरह से देखते हैं?
सवेरा 5 बजे होता है। एक तरफ से मस्जिद से अजान की आवाज आती है दूसरी तरफ मंदिरों के घंटे बजने लगते हैं। माता-बहनें माथे पर घड़े रखकर के आज भी पानी भरकर के आती-जाती दिखाई देती हैं। ये संस्कार है इंदौर का आज भी। उस संस्कार की तरफ तो कोई बात नहीं करता। इंदौर क्या केवल चटोरा शहर है?
*विजयवर्गीय ने नाइट कल्चर में नशे पर जो क्या कहा, उस पर क्या कहेंगे?*
ये सब विकृति समय की है। यो जो हमें पब दिए, ये शुद्ध रूप से कलाली है। पब क्या है दारू पीने का ही ठिकाना है ना वो। तो वह कलाली है। वहां पर शराब पी, बेची जाती है। समय-समय पर आपके द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों की जो विकृति और जो संस्कृति है, दोनों काम करती है।
*कैलाश विजयवर्गीय के नाइट कल्चर और उनके द्वारा महिला के लिए कहे गए बयान पर क्या कहेंगे*
लड़कियों का ही प्रश्न क्यों है…? क्योंकि वह हमारे घर की इज्जत समझी जाती है। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता: ऐसा शास्त्र में कहा गया है। हम जब इस देश की जय करते हैं, राष्ट्र की जय-जयकार करते हैं तो भारत माता कह करके करते हैं। स्त्रियां क्या है..? माता सीता भी स्त्री है, माता राधा भी स्त्री है। माता रुकमणी भी स्त्री, यशोदा जी भी स्त्री है, कौशल्या जी भी स्त्री है। मंदोदरी भी स्त्री है, ताड़का भी स्त्री है, लेकिन उनकी कर्म की ध्वनि उनकी पूजा-मान और अवमानना का कारण बनी।
अगर कोई ये कहें कि इसका पहनावा ठीक नहीं है, तो ये उत्तरदायित्व उसके परिवार पर जाता है। समाज पर नहीं जाता। समाज बोलकर चुप हो जाता है, लेकिन परिवार जो उस समाज का अंग है नियंत्रण उसका होना चाहिए।