पहले भ्रष्‍टाचार करवाया, अब भ्रष्‍टाचारियों को बचाने में तुले सीएम

 

*आखिर अनिल टुटेजा को और कितना छुपायेंगी भूपेश सरकार*

*ईडी को लिखना पड़ा मुख्‍य सचिव को पत्र, शक के घेरे में पूरा प्रशासन*

*सुर्खियों में केबल कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा*

*पहले भ्रष्‍टाचार करवाया, अब भ्रष्‍टाचारियों को बचाने में तुले सीएम भूपेश बघेल*

छत्‍तीसगढ़ के आबकारी घोटाले का प्रमुख आरोपी अनिल टुटेजा तथाकथित रूप से लापता है। घोटाले की जांच कर रही ईडी अनिल टुटेजा को ढूंढने में लगी हुई है, लेकिन टुटेजा ईडी की गिरफ्तारी से बचने के लिए इधर-उधर भाग रहा है। वहीं छत्‍तीसगढ़ का शासन-प्रशासन भी संदेह के घेरे में है। सूत्रों का दावा है कि अनिल टुटेजा को ईडी की गिरफ्त से बचाने के लिए मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल और पुलिस प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। अब सवाल उठता है कि आखिर कब तक टुटेजा को भूपेश सरकार छुपाती रहेगी। गौरतलब है कि ईडी ने राज्‍य के मुख्‍य सचिव तक को पत्र लिखकर कहा है कि अनिल टुटेजा को ढूढ़कर ईडी को सौंपा जाये। यह बड़ी बात है कि ईडी को सरकार से गुहार लगानी पड़ रही है। क्‍योंकि इशारा साफ है कि ईडी खुद मानती है कि टुटेजा को गायब रखने में भूपेश बघेल महती भूमिका निभा रहे हैं। कितनी शर्म की बात है कि एक आरोपी को इस तरह सरकार बचाने पर तुली हुई है। यह राज्‍य की पुलिस के लिए शर्मनाक है कि पुलिस कई मामलों में आरोपी को बचाने में सरकार का सहयोग कर रही है। हम आपको बता दें कि यह वही अनिल टुटेजा है जो नान घोटाले का भी प्रमुख आरोपी है और फिलहाल जमानत पर है। प्रदेश में जब नान घोटाला उजागर हुआ था उस समय तत्‍कालीन विपक्ष के नेता भूपेश बघेल ने इस घोटाले को काफी तूल दिया था। कई दिनों तक सड़कों पर आंदोलन किया था। आज वही भूपेश बघेल दूसरे अन्‍य घोटाले में टुटेजा को बचाने में ऐड़़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। मकसद साफ है कि टुटेजा की गिरफ्तारी से कहीं न कहीं मुख्‍यमंत्री बघेल का भी पर्दाफाश हो जायेगा। जिसके लिए ही भूपेश बघेल टुटेजा को बचाने में लगे हुए हैं। जबसे प्रदेश में भूपेश सरकार आयी है तबसे ही अनिल टुटेजा को कई महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारियां दी जा रही हैं। एक बहुचर्चित घोटाले के आरोपी को इतनी बड़ी-बड़ी जिम्‍मेदारियां देकर मुख्‍यमंत्री खुद संदेह के घेरे में आ रहे हैं। निश्चित था कि टुटेजा और भी कई घोटालों को अंजाम देगा। हुआ भी वही। वह अब आबकारी घोटाले का मुख्‍य आरोपी बन गया है। इस घोटाले के लिए हम सीधे तौर पर भूपेश बघेल को ही जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। क्‍योंकि टुटेजा को घोटाले करने की शह आखिर भूपेश बघेल से ही तो मिली होगी।

निश्चित ही प्रदेश का मुखिया होने के नाते भूपेश बघेल की जिम्‍मेदारी बनती है कि वह एक घोटाले के आरोपी को बचाने के बदले कानूनी कार्यवाही में सहयोग करते। लेकिन यहां भूपेश बघेल को प्रदेश का हित नहीं बल्कि अनिल टुटेजा को बचाने में अपना हित ज्‍यादा मायने रख रहा है। यदि मुख्‍यमंत्री चाहे तो टुटेजा को ईडी की गिरफत में करवा सकते हैं। अफसोस है कि प्रदेश को आर्थिक रूप से हानि पहुंचाने वाले को स्‍वयं मुख्‍यमंत्री बचा रहे हैं और पूरे प्रशासन को कठघरे में खड़ा करवा रहे हैं। अनिल टुटेजा एक ऐसे अपराधी की श्रेणी में आ गए हैं जो कभी न कभी निश्चित रूप से पकडायेगा।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में कोल परिवहन घोटाले में एक IAS समेत दर्जन भर कारोबारी और अफसर जेल की हवा खा रहे हैं। वही आबकारी घोटाले में संदेहियों की तलाश जोर-शोर से शुरू हो गई है। ईडी को लगभग आधा दर्जन ऐसे प्रमुख संदेहियों की तलाश है, जो उसके खिलाफ अदालत में याचिका तो दायर कर रहे हैं, परन्तु एजेंसी को हकीकत से रूबरू कराने के लिए हाजिर नहीं हो रहे हैं। इसमें अनिल टुटेजा का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। अब अनिल टुटेजा ढूंढे नहीं मिल रहे हैं, जबकि उनके पुत्र यश टुटेजा नहीं जानते कि उनके पिता आखिर कहाँ हैं? टुटेजा को ईडी लगातार दो बार तलब कर चुकी है। पखवाड़े भर से ज्यादा हो गया अनिल टुटेजा पूछताछ के लिए भी हाजिर नहीं हो रहे हैं, लिहाजा उनकी सरगर्मियों से तलाश जारी हैं। ईडी ने अब टुटेजा पर कानूनी शिकंजा कंसना शुरू कर दिया है, इसके तहत आबकारी घोटाले में शामिल कई वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ के बाद उनके बयान भी रिकॉर्ड कराए गए हैं। एपी त्रिपाठी और अनिल टुटेजा के अलावा कुछ शराब कारोबारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। टुटेजा ख़राब स्वास्‍थ्‍य का हवाला देकर पिछली बार ईडी के चंगुल से बच निकले थे। टुटेजा पर भरोसा करना ईडी को भारी पड़ गया है। टुटेजा पूछताछ के लिए ईडी के दफ्तर में ना तो उपस्थित हो रहा है और ना ही अपने घर में नजर आ रहा है। ईडी ने चीफ सेक्रेटरी कार्यालय के मार्फ़त अनिल टुटेजा को समन की तामीली का अनुरोध किया है, इसके बाद ईडी टुटेजा को फरार घोषित कर सकती है। बताया जाता है कि ईडी के चंगुल से छूटने के बाद अनिल टुटेजा बिलासपुर में आखिरी बार देखा गया था। बिलासपुर और कोरबा के मुहाने पर स्थित चैतुरगढ़-खुटाघाट इलाके में उसको कई लोगों ने देखा था। कह सकते हैं कि वह एक प्रमुख आरोपी होने के बावजूद एक शाही जिंदगी जी रहा है।

*आरोपी अनिल टुटेजा का कारोबार दिन-दुगुनी रात-चौगुनी प्रगति कर रहा*
सरकारी अधिकारियों के लापता होने का मकसद साफ है कि वे घोटाले की जांच को प्रभावित करने के लिए भागते फिर रहे हैं। लेकिन गंभीर तथ्‍य यह है कि उनकी दौड़म भाग से केन्‍द्रीय जांच एजेंसियों को वो गवाह प्रभावित हो रहे है जो खनन घोटाले ही नही बल्कि आबकारी घोटाले की तस्‍दीक कर रहे हैं। छत्‍तीसगढ़ में घोटालों के अंबर के बीच सच की तस्‍दीक करने वालों की घैर नही बताते हैं कि केवल शराब और दूसरे कई कारोबारों में अनिल टुटेजा की नंबर दो की रकम बड़े पैमाने पर निवेश की गई है। रायपुर, दुर्ग, बेमेतरा, बिलासपुर, धमतरी समेत कई जिलों में अनिल टुटेजा का कारोबार दिन-दुगुनी रात-चौगुनी प्रगति कर रहा है। यह बेमानी संपत्तियां कई ऐसे लोगों के नाम पर हैं जो सरकारी नौकरियां छोड़कर टुटेजा का धंधा चमकाने में जुटे हैं। रायपुर में कई बड़ी होटलें बियर और वाईन वॉर रियल स्‍टेट कारोबार और केबल व्‍यवसायी में नान घोटाले की रकम निवेश की गई है। इस बेहिसाब ब्‍लैकमनी के इस्‍तेमाल में नई कड़ी आबकारी घोटाले की भी जुड़ गई हैं। शराब कारोबारी अनिल टुटेजा और अनबर ढेबर की असलियत जाहिर कर रहे हैं। इससे घबराकर भूपेश बघेल ने छत्‍तीसगढ़ पुलिस को खास निर्देश दिये हैं। इसके तहत उन शराब कारोबारियों के खिलाफ फर्जी एफ.आई.आर. दर्ज की जा रही हैं, जो ईडी में सच बयानी कर रहे हैं।

*केबल कारोबारी गुरूचरण सिंह होरा शराब कारोबारियों को प्रभावित करने में जुटे*
अनिल टुटेजा के विश्‍वास पात्र केबल कारोबारी गुरूचरण सिंह होरा उन शराब कारोबारियों को प्रभावित करने में जुटे हैं जो आबकारी घोटाले में अपने बयान दर्ज करवा रहे हैं। टुटेजा के नदारद होने के बाद ईडी में गवाही देने वाले कई कारोबारियों पर पुलिस अपना शिकंजा कस रही है। केबल कारोबारी गुरूचरण सिंह होरा टुटेजा के प्रस्‍ताव से शराब कारोबारियों को अपना मुँह बंद रखने का पैगाम भेज रहा है। राज्‍य में अभी तक मंत्रालय और चीफ सेकेट्ररी कार्यालय तक ही उंगलियां उठा रही थी लेकिन अब पुलिस महकमे द्वारा ही ईडी के गवाहों को प्रभावित किये जाने का मामला बेहद गंभीर बताया जाता है।

साभार: विजया पाठक

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