किसान बर्बाद, सियासत आबाद

*क्या शिवराज सरकार ने पास प्रदेश के 6.31 करोड़ किसानों की 1.50 लाख हैक्‍टेयर खराब फसल के लिए 4800 करोड़ नहीं हैं?*

*प्रदेश के 1.40 करोड़ बेरोजगार युवाओं को “1.12 लाख करोड़ महीना” और 1500 करोड़ लाडली बहना के लिए “1.50 लाख करोड़ महीना देंगे, पर किसानों को दिखाया जा रहा है ठेंगा*

*जब लाडली बहना के लिए सर्वे जरूरी नहीं तो प्रदेश में बर्बाद फसल पर सर्वे की नौटंकी क्यों?*

*विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन*
आज मध्यप्रदेश में अन्नदाता किसान में हाहाकार मचा हुआ है। बैमौसम ओलावृष्टि ने प्रदेश की 1.50 लाख हेक्टेयर पर पड़ी फसल स्वाहा हो गई है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो 32,000 रुपए प्रति हेक्टेयर से घोषणा की है उसके 4800 करोड़ रुपए तुरंत खाते में डाल देना चाहिए, वो इसलिए जब लाडली बहना योजना में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने घोषणा की है कि लाडली बहना योजना में स्व-प्रमाणित करने पर भी बहनों को इस योजना का लाभ मिलेगा। ऐसे में प्रदेश के 6.31 करोड़ किसानों के साथ सर्वे का छलावा आखिर क्यों? प्रदेश का खजाना भरा है ऐसा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उमा भारती के कार्यक्रम में कहा, तभी तो लाडली बहना और बेरोजगार युवाओं को प्रदेश सरकार खजाने से 1.125 लाख करोड़ हर महीना खर्च करेंगे। वास्तव में ऐसा लग रहा है मध्यप्रदेश बहुत ही सम्पन्न प्रदेश है, जब इतना पैसा सरकार खर्च करने को आतुर है तो किसानों के साथ भेदभाव क्यों। वैसे प्रदेश में इंश्योरेंस कंपनियां का भी गोरखधंधा चालू हो चुका है। प्रदेश में पिछले 5 सालों में इंश्योरेंस कंपनियों ने 37,000 करोड़ कमाया और किसानों को पैसा (क्लेम) तिनके भर का दिया। हर बार की तरह यह कंपनियों इस बार भी सर्वे से मना कर रहीं है और-तो-और ओलावृष्टि से खेत में खड़ी फसल के लेटने पर कोई मुआवजा नहीं देने की बात कर रही है। गौर करने वाली बात यह है की किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले किसान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2020 में अतिवृष्टि से खराब फसल का असली मुआवजा अभी तक नहीं दिया है।

किसी ने सच ही कहा है किसान बर्बाद सियासत आबाद। यह महज एक व्यंग्य नही है बल्कि यह सच्चाई है कि एक तरफ जहां मध्यप्रदेश का किसान असमय बारिश और ओलावृष्टि से बुरी तरह बर्बाद हो गया है वही शिवराज सरकार किसानों की इस हालत पर भी सियासत करने से पीछे नहीं हटी। घोषणावीर मुख्यमंत्री ने एक के बाद एक घोषणा करते हुए किसानों के साथ होने का वायदा तो कर दिया है। लेकिन बड़ा सवाल है कि आखिर सरकार किसानों को इस नुकसान की भरपाई कैसे करेगी। पहले से ही राज्य पर भारी भरकम कर्जा है और सरकार के मुखिया आए दिन नई नई घोषणा करके सरकार के खजाने में सेंधमारी कर रहे हैं। आंकड़ों की माने तो प्रदेश के 3800 गावों के 1.50 लाख हेक्टेयर में बोई गई फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। ऐसे में अब सरकार किसानों को देने वाली मुआवजे की राशि का प्रबंधन कैसे करेगी। क्योंकि असमय होने वाले इस तरह के नुकसान में दी जाने वाली राशि को मुखिया लाडली बहना योजना और युवा बेरोजगारों को बांटने में खर्च करने की घोषणा कर चुके हैं। ऐसे में अब किसानों को यह राहत मिलेगी या नहीं कह पाना मुश्किल है। लेकिन सियासत पूरी तरह आबाद रहेगी।

*फसलें बर्बाद हो चुकी है और किसानों को नुकसान*
जैसा कि आप जानते हैं कि देश भर में आज कल मौसम के हालात कुछ ठीक नहीं है जिसके कारण देश भर के सभी राज्यों में बारिश के साथ साथ ओलावृष्टि और आंधी भी हो रही है। ऐसे में बात करें मध्यप्रदेश की तो यहां के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है क्योंकि रबी की फसल काटने से पहले ही ओलावृष्टि के कारण पूरी फसलें बर्बाद हो चुकी है और किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिन जिन क्षेत्रों में मध्यप्रदेश के ओलावृष्टि हुई है, वहां के किसानों को काफी नुकसान हुआ है। वहां की पूरी तरह से फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। जिन क्षेत्रों में कम बारिश और ओलावृष्टि हुई है वहां की फसलें कुछ बची हुई हैं। सबसे अधिक नुकसान नर्मदापुरम, जबलपुर, चंबल, सागर, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर रीवा और भोपाल सहित कई 20 जिलों में हुआ है।

*05 दिन गुजर गए और कुछ नहीं हुआ*
शिवराज सिंह चौहान के कहे अनुसार 01 सप्ताह में सर्वे का काम पूरा हो जाएगा जिसके बाद सभी किसानों को राहत उपलब्ध करवाई जाएगी। लेकिन हकीकत यह है कि अब तक सर्वे का काम भी ठीक से शुरू नही हो पाया है। विधानसभा में कांग्रेस ने इस मुद्दे को बाहर कर कहा है कि सरकार को इस से जुड़े कुछ कार्य करने चाहिए। जाहिर है कि मध्यप्रदेश के गेहूं की फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में 50% तक का नुकसान हुआ। वहीं तरबूज, खरबूज जैसी सब्जियों में 60% तक का नुकसान हुआ। साथी प्याज की फसलों में भी 40% तक का नुकसान हो चुका है।

*शिवराज सिंह चौहान और भाजपा सरकार किसान मामलों में झूठ बोलती है-कुणाल चौधरी*
कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने इस मामले को विधानसभा में उठाया जहां उनसे बात करने पर उन्होंने बताया कि हमारे नेता कमलनाथ जब मुख्यमंत्री थे तब हम लोगों ने किसान कर्जमाफी लागू की थी। पहले दो लाख डिफाल्टर कर्जधारक किसान को इस प्रावधान में रखा फिर इसे संशोधित करके एक लाख डिफाल्टर वालों को इसमें सम्मलित किया, उसके बाद सभी किसानों को इस प्रावधान में शामिल किया गया, जिसमे तीन किश्तों में इनको लाभ देना प्रस्तावित किया गया। कांग्रेस सरकार ने अपने वादे अनुरूप 02 किश्त का लाभ मध्यप्रदेश के किसानों को पहुंचा भी दिया गया, फिर यह चोरी की सरकार बन गई। आज मैं भी एक किसान हूं। मेरा परिवार किसानी करता है। स्वयं शिवराज सिंह चौहान भी अपने आप को किसान और किसान परिवार के कहते हैं, जहां डीजल इतना महंगा हो गया है, बिजली कंपनियां किसानों से बेजा बिल वसूल रहीं है, किसानी को हानि का धंधा इस मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने बना दिया है, बस प्रदेश का “एक चौहान परिवार जरूर किसान से उद्योगपति” बन पाया है। मैं अभी हुई ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल पर 40,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की मांग इस भाजपा सरकार से करता हूं। हमारे समय 90% किसानों की कर्जमाफी हुई पर शिवराज सिंह चौहान और सरकार विधानसभा में भी अब इस विषय में झूठ बोलते हैं। ना सर्वे करने वाले पहुंच रहे हैं। ऐसे में आगे क्या भूसी का सर्वे सरकार करेगी। अब आगे खरीदी सोसाइटी में भी 2020 की तरह किसानों की खराब फसल नहीं खरीदी जायेगी, ना ही अब गेहूं का मार्केट में कोई रेट मिलेगा। पर शिवराज सिंह चौहान और भाजपा सरकार झूठ बोलने में लगी है, आखिर इस सरकार को किसानों का दर्द कब महसूस होगा।

 

विजया पाठक( वरिष्ठ पत्रकार,  )

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