इंदौर 04 जनवरी, 2023,
वर्तमान समय मे शीत ऋतु मे शीत घात ( शीत लहर) की वजह से अनेक स्वास्थ्य संबंधित समस्याऐं उत्पन्न हो सकती है। इन समस्याओं को यदि समय से पूर्व पहचान कर बचाव कर लिया जाये तो इस प्राकृतिक विपदा का सामना किया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने शीत लहर से बचाव के संबंध में आवश्यक सलाह जारी की है।
स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान के लिए रेडियों टी.वी. एवं समाचार पत्र जैसे सभी मीडिया द्वारा जारी की गई जानकारी का अनुसरण करें। पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े पहने, नियमित रूप से गर्म पेय पीते रहे, बाहर निकलते वक्त दस्ताने, टोपी, मफलर एवं जुते पहनें, चुस्त कपडे नहीं पहने यह रक्त संचार को कम करते है। इसलिए हल्के, ढीले-ढाले कपड़े बाहर की ओर तथा ऊनी कपड़े अन्दर की ओर पहने।
शीत लहर के समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की आशंका होती है जैसे- फ्लू सर्दी-जुकाम, खांसी, अल्पताप अवस्था के लक्षण जैसे सामान्य से कम शरीर का तापमान न रूकने वाली कपकपी यादाश्त चले जाना, बेहोशी, जबान का लड़खड़ाना आदि ।
शीत ऋतु में जितना संभव हो घर के अंदर रहे। अति-आवश्यक होने पर ही बाहर की यात्रा करें। पर्याप्त मात्रा में पोषण तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें। शरीर की प्रतिरक्षा को बनाएं रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल एवं सब्जियां खायें।
अत्याधिक ठंड के समय दीर्घकालीन बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, श्वास संबंधित बीमारियों वाले मरीज, वृध्द पुरूष महिलायें जिनकी आयु 64 वर्ष से अधिक है, 6 वर्ष से कम आयु के बच्चे एवं गर्भवती महिलाओं को ऐसी स्थिति में विशेष सावधानी रखना चाहिये। अधिक ठंड पड़ने पर पर्याप्त वेंटीलेशन होने पर ही रूम हिटर का प्रयोग करे। अधिक ठंड पडने पर जहां तक संभव हो पालतु पशुओं को घर के अंदर ही रखे।
अत्याधिक ठंड पडने पर प्रभावित हिस्सों पर मॉलिश न करें, इससे अधिक नुकसान हो सकता है। शीत लहर में ठंड के सम्पर्क में ज्यादातर रहने से त्वचा कठोर एवं सुन्न हो सकती है। शरीर के अंगों जैसे हाथ-पैर की उंगलियों, नाक एवं कान में लाल फफोले हो सकते हैं, शरीर के भाग मृत होकर त्वचा का लाल रंग बदल कर काला हो जाता है। ऐसी स्थिति में तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें। सावधानी ही बचाव है।