वैश्विक मंदी के असर से कैसे बचें

 

 

ब्रिटेन आर्थिक मंदी की चपेट में आ चुका. इसके बाद से पूरी दुनिया पर मंदी की आशंका के बादल गहरे होने लगे हैं.

कुछ महीनों में मंदी को लेकर लगाए जा रहे कयास अब सच हो सकते हैं.

*भारत अब तक दो बार मंदी की चपेट में आया है:*

१. साल 1991 में भारत को पहली बार आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था. उस समय भारत के पास महज 3 सप्ताह के आयात के खर्चे भरे ही विदेशी मुद्रा बची थी. भारत कर्ज की किस्तों को चुकाने में असफल हो रहा था. देश का सोना बिक रहा था. लेकिन फिर भी हालात काबू में नहीं आ रहे थे. इस स्थिति में नरसिम्हा राव की सरकार ने आर्थिक उदारीकरण जैसे बड़े कदम उठाकर देश को संकट से बाहर निकाला था.

२. दूसरी बार भारत को साल 2008 में आर्थिक मंदी की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. हालांकि, भारत में तब मंदी नहीं आई, लेकिन अमेरिका समेत अन्य देशों के संकट से भारत बच नहीं पाया.

*आखिर मंदी क्या है?*

अगर किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में लगातार छह महीने (2 तिमाही) तक गिरावट आती है, तो इस दौर को इकोनॉमी में आर्थिक मंदी कहा जाता है.

मंदी के दौरान-

१. कंपनियां कम पैसा कमाती हैं

२. वेतन में कटौती होती है

३. बेरोजगारी बढ़ जाती है

४. सरकार को सार्वजनिक सेवाओं पर इस्तेमाल करने के लिए टैक्स के रूप में कम पैसा मिलता है

हमारा देश वैसे भी मंहगाई और बेरोज़गारी से जूझ रहा है और पब्लिक सेवाओं के लिए पैसे की कमी सरकार के पास बनी रहती है, ऐसे में मंदी का असर अर्थव्यवस्था के हालात और खराब कर सकता है. इसलिए हमें मंदी से बचने के ठोस कदम पहले से ही उठाने होंगे.

*मंदी से कैसे बचें:*

१. अब अगर मौजूदा आर्थिक संकट की बात करें, तो विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के ऊपर सीधे तौर पर मंदी का खतरा नहीं है.

२. ब्रिटेन मंदी में फंस चुका है. अब अमेरिका, यूरोप और चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं का मंदी में फंसना लगभग तय माना जा रहा है.

३. मंदी की आशंका के चलते लोगों को कार और टीवी जैसी महंगी चीजों को खरीदने से बचना चाहिए.

४. मंदी का असर लंबे समय तक रह सकता है. आर्थिक मंदी के दौरान खरीदारी पर ब्रेक लगाएं.

५. सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस के अनुसार मंदी के खतरे से बचने के लिए लोगों को अपने खर्च को कम करना चाहिए.

६. पैसे बचाकर एक इमरजेंसी फंड तैयार करने की कोशिश करनी चाहिए.

७. कम से कम छह महीने की आजीविका के लिए तो फंड जरूर तैयार कर लेना चाहिए. इसके लिए महंगी चीजों की खरीदारी बंद कर देनी चाहिए.

८. इसके अलावा मंदी के आने से पहले ही हेल्थ इंश्योरेंस जरूर ले लें. क्योंकि बीमारी एक ऐसी आपदा है, जो कब आ जाए, किसी को नहीं पता. इस वजह से आपके खर्च बढ़ सकते हैं और आपका बजट बिगड़ सकता है. इस स्थिति में अगर आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस है, तो आपके लिए इलाज करवाना आसान होगा और इसके खर्च का बोझ भी आपके बजट पर नहीं पड़ेगा.

९. मंदी की आशंका के बीच निवेशकों को गोल्ड में इन्वेस्टमेंट करना चाहिए. कहा जाता है कि सोना सकंट का साथी होता है.

१०. मंदी के दौर में रियल एस्टेट की वैल्यू गिरती है और अचानक से आए आर्थिक संकट के बीच आपके लिए ये फायदे का सौदा नहीं साबित होगा.

११. दूसरी तरफ आर्थिक संकट के समय में गोल्ड और सरकारी फ़िक्स्ड डिपाजिट की वैल्यू बढ़ती है. इसके साथ ही गोल्ड एवं फ़िक्स्ड डिपाजिट को मिनटों में कैश कराना संभव है. इसलिए गोल्ड आपको मंदी के दौर में संकट से बचा सकता है.

१२. शेयर बाजार में निवेश से बचें, अपनी पूरी बचत को शेयर मार्केट में लगाने से बचें क्योंकि मंदी के समय कंपनियों की आय कम होती है और उनके भाव में गिरावट आती है.

*साफ है विश्व व्यापी मंदी का असर भारत पर भी पड़ना तय है और कितने समय तक रहेगा ऐसा कहना भी मुश्किल है, इसलिए फिलहाल समझदारी इसी में होगी हम बचत पर ध्यान देते हुए खर्चों में कटौती करें खासकर रीयल एस्टेट, शेयर बाजार और बड़े खर्च करने से बचें. ऐसी उम्मीद है कि यदि आने वाले २ वर्ष हम आत्मनिर्भरता से निकाल लेंगे तो फिर विश्व अर्थव्यवस्था में भारत एक अहम शक्ति के रुप में उभरेगा.*

*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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