गेंहू के निर्यात पर लगी रोक:गेहूं की कीमतों में 40 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिल सकता है

पिछले सप्ताह प्रकाशित वर्ल्ड बैंक कमोडिटी मार्केट आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार गेहूं की कीमतों में 40 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिल सकता है.

इससे आम लोगों की रोटी, ब्रेड और बिस्किट सहित तमाम प्रोडक्ट्स महंगे हो जाएंगे.

इसका असर कुछ सबसे गरीब और ऐसे देशों पर देखने को मिल सकता है, जहां खाद्यान्न उत्पादन काफी कम होता है.

इसके साथ ही ऐसे देशों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा जो रूस और यूक्रेन से गेहूं के आयात पर निर्भर हैं.

सरकार द्वारा गेंहू के निर्यात पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाना भविष्य में आने वाले कठिन समय की ओर इशारा कर रहा है. वैश्विक भुखमरी, मंहगाई और बेरोजगारी चरम पर होगी और इससे बचने का सिर्फ एक ही उपाय है :

आत्मनिर्भरता-

  1. आयात उत्पादों और तेल पर निर्भरता करनी होगी कम
  2. पूंजीपतियों के बजाय छोटे उद्योग पर करना होगा फोकस
  3. आधारभूत संरचना पर खर्च करना होगा
  4. इससे पहले की उत्पादन सीमित हो, बरबादी बंद करनी होगी
  5. प्राकृतिक संसाधनों के उचित, सीमित और सही उपयोग पर देना होगा ध्यान
  6. जनसंख्या नियंत्रण पर बनाना होगा कठोर कानून
  7. कार्यों को टेक्नोलॉजी और आटोमेशन के उपयोग से बनाना होगा सरल
  8. छोटे उद्योग, धंधे और दुकानदारों द्वारा बेचे जा रहे उत्पादों को रिजर्व करना होगा जिसमें बड़े उद्योगपतियों को आना मना होगा.

श्रीलंका तथा अन्य देशों की स्थिति हमसे छुपी नहीं है और यह भी तथ्य है कि सरकारें भी वैश्विक परिस्थितियों से बंधी होती है. ऐसी स्थिति में सरकार को एक श्वेत पत्र जारी कर देश के आर्थिक हालात का सही विवरण देते हुए एक जीवन यापन का स्टेंडर्ड निकालना होगा ताकि देश का हर नागरिक उसका पालन कर देश को विकट स्थिति से निकालें.

आज स्थिति ये है कि आठ राज्यों में मुफ्त राशन में दिए जाने वाले गेहूं में अगले महीने से कटौती करने का फैसला लिया जा चुका है.

अब इसे सिर्फ गरीब परिवारों की चिंता मानकर अपने लिए ऑल इज वेल मान लेना भी ठीक नहीं. हालात गंभीर हैं.

केंद्र सरकार ने यूपी समेत कई राज्यों में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत दिए जा रहे गेहूं की सप्लाई रोककर उसकी जगह भी चावल ही देने की बात कही है.

इससे पहले की नदी नाले सूखे या खेत खलिहान सूने पड़े- जनसंख्या नियंत्रण और संसाधनों के उचित एवं सीमित उपयोग के जरिये ही आने वाली कठिन परिस्थितियों का हम मुकाबला कर सकते हैं और विश्व को भी मदद कर सकते हैं.

सीए अनिल अग्रवाल

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