पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है और जनता मूकदर्शक बनी हैं

रविवार को तेल की कीमतों में लगातार चौथे दिन 35-35 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई. इसके साथ ही, देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम अब नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं.

मध्य प्रदेश में पेट्रोल का दाम 120 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया है. जबलपुर में पेट्रोल के दाम 117.09 रुपये पर पहुँच गया है.

40 रुपये के पेट्रोल पर 40 रुपये केन्द्र और 40 रुपये राज्य सरकार टैक्स ले रही है. एक आम आदमी यदि महीने में 1000 रुपये का पेट्रोल डीजल भरवाता है तो 670 रुपये सिर्फ टैक्स का देता है.

सब्सिडी न भी दे सरकार लेकिन टैक्स के नाम पर तीन गुना लूट जनता के साथ अन्याय है. सरकारों से तो अब उम्मीद रही नहीं क्योंकि उन्हें जनता पर बोझ से ज्यादा सरकारी खर्चे की चिंता है.

न सरकारी खर्चे पर नियंत्रण हो पा रहा है और न ही सरकार के राजस्व में कोई बढौतरी और न ही सरकारी खातों में पारदर्शिता.

मनरेगा स्कीम में पैसे खत्म हो चुके हैं और कई राज्यों में मजदूरों को सितम्बर का पैसा तक नहीं मिला है. इसी तरह पीएम केयर फंड के पैसे का उपयोग किन क्षेत्रों में हुआ, कोई तथ्यात्मक जानकारी नहीं है.

पेट्रोल डीजल पर लग रहे टैक्स से महंगाई बढ़ रही है, जनता हलाकान हो रही है और दूसरी तरफ सरकार के पास योजनाओं के लिए पैसे नहीं है.

तो फिर कहाँ जा रहा है पैसा? न्यायालय को ही अब स्वत: संज्ञान लेना पड़ेगा कि आखिर इतना भारी टैक्स पेट्रोल डीजल पर कहाँ तक न्यायोचित है?

कोशिश तो यह होनी चाहिए थी कि सरकारी खर्चे के लिए सीएम और पीएम रीलीफ फंड में लिए गए दान को आयकर के अन्तर्गत व्यापारिक खर्चे के रूप में छूट देनी चाहिए ताकि पेट्रोल डीजल पर टैक्स को कम करके आम जनता को राहत दी जाए और जिनके पास जरूरत से ज्यादा है, उनसे दान लेकर योजनाओं के खर्च चलाए जाएं.

पेट्रोल डीजल के दाम रोज बढ़ते जा रहे है और विडम्बना यह है कि सरकार, जनता, न्यायालय, प्रशासन सब मौन है और मूक दर्शक के भांति पेट्रोल डीजल को 70 रुपये प्रति लीटर से 120 रुपये प्रति लीटर बढ़ता हुआ देख रहे हैं और शायद आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा.

लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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