शर्मनाक: जिंदगी-मौत की हो रही सौदेबाजी… और कितना गिरेगा इंसान…

 

 

काल बनकर कोरोना हर किसी के इर्द-गिर्द मंडरा रहा है। कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता, जब कोई बुरी खबर सुनने को न मिले। हर तरफ मौत का तांडव हो रहा है। हर कोई परेशान है। कोई आंख ऐसी नहीं, जिसमें आंसू न हों, सिवाय कालाबाजारी करने वालों के…वे इतना गिर गए कि रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की ब्लैक मार्केटिंग करने लगे। जिंदगी-मौत की सौदेबाजी पर उतर आए। शायद उन्हें यह नहीं पता कि ये कोरोना किसी पर रहम नहीं करता। ये महामारी अमीर-गरीब को नहीं देखती। किसी को अपनी चपेट में लेने से पहले उसका नाम-पता और रसूख भी नहीं पूछती। फिर भी लोग अपनी फितरत से बाज नहीं आ रहे…आखिर कितना गिरेगा इंसान…

रेमडेसिविर के नाम पर बेचा पानी
कर्नाटक के मैसूर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की शीशी में पानी भरकर बेचने का मामला सामने आया है। यह शर्मनाक हरकत अस्पताल में मरीजों की देखभाल करने वाला मेल नर्स अंजाम देता था। वह अस्पताल से इस जीवनदायक दवा की खाली शीशियां उठा लेता था और उनमें एंटीबायोटिक्स व सलाइन भरकर ऊंचे दाम पर बेच देता था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

पहले स्टॉक किया, फिर ऊंचे दाम पर बेची रेमडेसिविर
पूरे देश में मरीजों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ी है, उसकी अनुमान में रेमडेसिविर की किल्लत भी हुई। इसका फायदा कालाबाजारी करने वालों ने जमकर उठाया। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा में भी सामने आया। यहां एक फार्मासिस्ट ने रेमडेसिविर के इंजेक्शन का स्टॉक कर लिया और 13 हजार रुपये में एक इंजेक्शन बेचने लगा। खुलासा होने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
ऑक्सीजन के लिए सांसों की सौदेबाजी
देश में ऑक्सीजन की किल्लत है। सिर्फ मध्यप्रदेश में ही अब तक 25 लोगों की सांसों का साथ ऑक्सीजन की कमी के चलते छूट गया, लेकिन इसका असर कालाबाजारी करने वालों पर बिल्कुल भी नहीं पड़ा। उन्होंने 208 लीटर के ऑक्सीजन सिलिंडर की कीमत 15 हजार रुपये तक कर दी, जो पहले महज 4200 में मिल जाता था। सरकारी टेंडर पर काम करने वाले वेंडर भी मनमाने पैसे वसूल रहे हैं। 14 रुपये क्यूबिक मीटर की जगह 70 से 75 रुपये क्यूबिक मीटर चार्ज भी लिया जा रहा है।

बेड के लिए मांगे 60 हजार रुपये
देश में महामारी का दौर है, लेकिन कुछ लोगों ने इसे आपदा में अवसर समझ लिया। लगातार बढ़ते मरीजों के बीच अस्पतालों में बेड की कमी हुई तो सौदेबाजी करने वाले बाजार में उतर आए। मध्यप्रदेश के इंदौर में एक निजी अस्पताल के मैनेजर का ऑडियो भी वायरल हुआ, जिसमें उसने बेड का इंतजाम कराने के लिए 60 हजार रुपये की डिमांड की। दरअसल, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का फैसिलिटी मैनेजर गिरजा शंकर यादव जरूरतमंद मरीजों से संपर्क करता था। वह अस्पताल के पीछे के रास्ते से मरीजों को डॉक्टरों के पास पहुंचाता था और वसूली करता था।

एंबुलेंस के लिए ज्यादा चार्ज
देश में ऐसे भी मामले सामने आए, जिनमें एंबुलेंस के लिए ज्यादा पैसे मांगे गए। उस दौरान एंबुलेंस चालकों ने मरीजों की जान की परवाह तक नहीं की। ऐसा ही एक मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सामने आया। यहां एक एंबुलेंस चालक ने महज दो किलोमीटर जाने के लिए 4-5 हजार रुपये मांग लिए। ऐसे में पीड़ित महिला मजबूरन अपने पति को ऑटो से अस्पताल ले गई।

 

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