संसद में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोदी सरकार पर ही उठा दिए सवाल

 

 

राज्यसभा में बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को अपने वक्तव्य में मोदी सरकार को ही सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया। सिंधिया ने सदन में कोरोना महामारी के दौरान बाल विवाह और बच्चियों के स्कूल ड्रॉप आउट का मुद्दा उठाया। बीजेपी राज्यसभा सांसद ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान देशभर में स्कूल बंद रहे। इस वजह से विशेष तौर पर कई बच्चियों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी है। वहीं, बच्चियों के बाल विवाह के मामले भी बढ़े हैं।

एक ओर जहां केंद्र की मोदी सरकार कोरोना महामारी के दौरान किए गए अपने कार्यों के लिए हर मंच से अपनी पीठ थपथपा रही है। वहीं, सिंधिया के सदन में उठाए गए इस विषय पर मोदी सरकार ही घिरती नजर आ रही है। केंद्र सरकार और प्रदेश सरकारों ने बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए ऑनलाइन स्टडी करवाने के निर्देश अध्यापकों को दिए थे। इसके अलावा समय-समय पर स्कूली बच्चों के ऑनलाइन एग्जाम भी लिए गए। बावजूद इसके बच्चियों का स्कूल छोड़ना और उनका बाल विवाह होना चिंता का विषया है।

सिंधिया ने कहा कि कोरोना काल में कई बच्चियों की स्कूली पढ़ाई बीच में छूट गई है। बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। कोरोना काल में स्कूलों में करीब 10 महीनों तक पढ़ाई ठप रही थी। इसका बच्चों पर और खासतौर पर बालिकाओं पर सबसे बुरा असर पड़ा है। इस दौरान कई बच्चियों को स्कूल भी छोड़ना पड़ा जो चिंता का विषय है।

सिंधिया ने दिया RTI का हवाला

अपने वकत्व्य के दौरान सिंधिया ने सदन में कुछ आंकड़े भी दिए। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक RTI का हवाला देते हुए बताया कि अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2020 तक बाल विवाह की संख्या ज्यादातर राज्यों में बढ़ी है।

सिंधिया ने सरकार से मांग की है कि इसका राज्यव्यापी मूल्यांकन होना चाहिए। बालिकाओं और उनके परिजनों की काउंसलिंग की जाए। इसमें NGO का भी सहयोग लिया जा सकता है ताकि कोरोना काल में स्कूल ड्रॉप आउट बच्चियों को फिर से स्कूल में एडमिशन दिलवाई जा सके।

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