और हुए सख्त शिवराज

 

प्रकाश भटनागर :
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अफसरशाही को बुधवार को फिर तीखे तेवर दिखाए हैं। शिवराज की चौथी पारी में यह सख्ती पहली बार ही सामने आई है। लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्होंने अपने पिछले कार्यकालों में अफसरशाही की नकेल कसने की कोशिश नहीं की हो। लेकिन माना यही जाता रहा है कि नौकरशाही उन पर हावी होती रही है। लेकिन चौथी पारी में बहुत कुछ बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बुधवार को अफसरों से उन्होंने के लंबी कांफ्रेंस की

उससे पहले उन्होंने सभी प्रमुख सचिव से लेकर कमिश्नर, कलेक्टर और आईजी सहित एसपी से भी सीधी बातचीत की। इसमें शिवराज ने आने वाले तीन साल के लिए सरकार की मंशा और अफसरों के दायित्व को साफ-साफ समझा दिया। मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया कि अफसर जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों। शिवराज की आम आदमी के प्रति संवेदनशीलता पर कभी शक नहीं किया जा सकता। इस मामले में वे अनोखे राजनेता हैं लेकिन अपने प्रशासन को वे कभी इतना संवेदनशील नहीं बना पाएं हैं।

लिहाजा, शिवराज ने अफसरों को याद भी दिलाया और चेताया भी कि वे खुद को उस आम आदमी से अलग न मानें जो उनके पास अपने काम के लिए आता है। शिवराज ने साफ कहा कि अफसरों की पोस्टिंग अब उनके काम के आधार पर होगी। उन्हें हर महीने काम के लिए एजेंडा दिया जाएगा। सीएम ने हर किस्म के माफिया को कुचल देने का निर्देश भी दोहराया। कांफ्रेंस के पहले मुख्यमंत्री का सभी पीएस, कलेक्टर कमिश्नर, आईजी, एसपी एवं अन्य अधिकारियों से संवाद इसका साफ उदाहरण है।

उन्होंने शुरूआत में ही कहा कि अफसर इस कांफ्रेंस को किसी कर्मकांड की तरह मानने की गलती न कर दें। वे सुशासन का मतलब स्पष्ट समझे, बिना लिए दिए समय पर जनता को शासन द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए। शिवराज ने एक और बहुत मायनेखेज बात कही। एक मामले में गलती पर किसी क्लर्क के खिलाफ कार्यवाही पर उन्होंने कहा कि इसकी बजाय सीधे संबंधित अफसर पर कार्यवाही की जाए। यानी उत्तरदायित्व के मामले में भी मुख्यमंत्री अब स्पष्ट रुख अपना चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने हर तरह के माफियाओं के विरूद्ध भी सख्ती बरतने के निर्देश दिए। नौकरशाही पर लगाम कसने की कोशिश तो चौथी पारी में शिवराज पहले ही करते चले आ रहे हैं। साथ ही उनके निर्देश पर राज्य में माफिया के खिलाफ भी लगातार कदम उठ रहे हैं, लेकिन इसी तरह के तेवर और निर्देश एक बार फिर सामने आने से साफ है कि शिवराज इन कामों को स्थायित्व देने के जूनून के साथ सक्रिय हो गए हैं। कहा जा सकता है कि आज की कांफ्रेंस और बातचीत के जरिए शिवराज ने अगले तीन साल के लिए अफसरों के काम करने का रोड़मेप तय कर दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री की इस पहल का आने वाले दिनों में कैसा और कितना असर देखने को मिल सकता है।

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