ई-काॅमर्स पोर्टल से 1900 रुपए रिफंड पाने के चक्कर में एक युवक को 3.48 लाख रुपये की चपत लग गई। दरअसल पीड़ित ने गुगल से ई-काॅमर्स पोर्टल का नम्बर ढूंढा था। यह नम्बर जालसाज का निकला। आरोपी ने पीड़ित से मोबाइल पर एनी डेस्क एप डाउनलोड कराया और फिर उसके दो बैंक खातों में जमा रकम ट्रांसफर कर ली।
पीड़ित पर यह दोहरी मार पड़ी है। इससे पहले कोरोना संकट के चलते उसकी नौकरी भी चली गई थी। मामले में स्टेट साइबर सेल जांच कर रही है।
स्टेट साइबर सेल में बुधवार को जबलपुर निवासी युवक ने मामले की शिकायत दर्ज कराई। बताया कि उसने ई-काॅमर्स पोर्टल अमेजन से 1900 रुपये के प्लास्टिक बॉक्स की बुकिंग कराई थी। उसका ऑर्डर कैंसिल हो गया। रिफंड प्राप्त नहीं होने पर उसने मंगलवार को गुगल पर कम्पनी का हेल्पलाइन नम्बर सर्च किया। वहां से एक नम्बर प्राप्त हुआ। कॉल करने पर रिसीव करने वाले ने खुद को कम्पनी का अधिकारी बताया।
रिफंड प्राप्त करने के लिए उसने पीड़ित से एनीडेस्क एप डाउनलोड कराया। इसके बाद पीड़ित के मोबाइल पर OTP वाले मैसेज आने लगे। आरोपी ने इसके बाद बताया कि पैसे रिफंड की प्रक्रिया के तहत OTP भेजे जा रहे हैं। पीड़ित उसके झांसे में फंस गया। उसके HDFC और स्टेट बैंक ऑफि इंडिया के दो खातों से जालसाज ने 3.48 लाख रुपये दूसरे खातों में ट्रांसफर कर लिए।
मुम्बई व कोलकाता से जुड़ा है ठगी का तार
स्टेट साइबर सेल की प्रारंभिक छानबीन में सामने आया कि जालसाज के तार मुम्बई व कोलकाता से जुड़े हैं। वहां के बैंक खाते, ट्रांजेक्शन वाले एप में पैसे ट्रांसफर किए गए हैं। उक्त खातों व एप से भी पैसे निकाले जा चुके हैं। साइबर सेल ने पीड़ित से बैंक डिटेल मांगा है।
ठगी से बचने के लिए ये करें
स्टेट साइबर सेल के निरीक्षक हरिओम दीक्षित ने बताया कि किसी भी कम्पनी या पोर्टल का हेल्पलाइन नम्बर अधिकृत वेबसाइट से ही प्राप्त करें। गुगल पर जालसाजों ने विभिन्न कम्पनियों के कस्टमर केयर व हेल्पलाइन नम्बर से खुद के मोबाइल नम्बर सेव कर रखे हैं। किसी भी सूरत में एनी डेस्क एप डाउनलोड न करें। ऐसा करने पर आपका मोबाइल, लैपटॉप या कम्प्यूटर डेस्कटॉप उनके नियंत्रण में आ जाता है।