कोरोना ने नहीं देखा जाति-धर्म, रंग और भाषा:मोदी

– हर संकट एक अवसर, यह बात कोरोना महामारी पर भी लागूः मोदी

 

नई दिल्ली, 19 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हर संकट अवसर लेकर भी आता है, यह बात कोरोना महामारी पर भी लागू होती है। देश के युवाओं और पेशेवर लोगों को इस बात का लेखा-जोखा लेना चाहिए कि कोरोना के बाद की दुनिया में किस तरह के अवसर पैदा होंगे। आर्थिक वृद्धि के कौन से क्षेत्र उभरेंगे। कोरोना पश्चात की दुनिया में भारत को अग्रणी बनने का  प्रयास करना चाहिए तथा इसके लिए लोगों की शक्ति, सामर्थ्य और कौशल का उपयोग करना चाहिए। कोरोना ने जाति-धर्म रंग और भाषा नहीं देखा है।

मोदी ने रविवार को एक लेख में कहा कि इस महामारी का मुकाबला करने के लिए हमारी जवाबी कार्रवाई भी एकता और भाईचारे पर आधारित होनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि कोरोना महामारी से यह तथ्य भी फिर उजागर हुआ है कि पूरी दुनिया एक दूसरे के साथ किस तरह जुड़ी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 विषाणु ने हमला करते समय जाति-धर्म, रंग और भाषा की परवाह नही की। सभी लोग इसके शिकार बनें। उन्होंने कहा कि अतीत में ऐसे अवसर आए हैं जब विभिन्न देश और समाज एक-दूसरे से संघर्ष में लिप्त रहे थे, लेकिन कोरोना महामारी के रूप में पूरी दुनिया के सामने एक ही दुश्मन है। इस दुश्मन का मुकाबला मिलजुल कर और धैर्य पूर्वक करना होगा।

मोदी ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ने में उनकी सरकार द्वारा विगत पांच वर्षों में तैयार किए गए जनधन, आधार और मोबाइल और डिजिटल लेन-देन से बहुत मदद मिली है। इसके जरिए गरीबों और जरूरतमंद लोगों के खाते में सीधे धनराशि भेजा जाना संभव हो सका। कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) कायम करने और लंबे समय की पूर्णबंदी (लॉकडाउन) के बारे में प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लोगों के साथ एक लेख साझा किया। लेख में इस बात का लेखा-जोखा लिया गया है कि इस महामारी ने हमारे जीवन को किस तरह बदल दिया है। इस महामारी के कारण सामान्य जीवन में उथलपुथल और व्यवधान पैदा हुआ है। लोगों के कार्यस्थल और काम करने के तौर तरीके बदल गए हैं। पेशेवर लोगों के लिए अब उनका घर ही कार्यालय बन गया है। इंटरनेट ही लोगों के साथ बैठक करने का जरिया बन गया है।

मोदी ने कहा कि पेशेवर लोगों की तरह ही प्रधानमंत्री के रूप में उनके कामकाज में बदलाव आया है। मंत्रिमंडल के सहयोगियों औऱ दुनिया के नेताओं के साथ वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद कर रहे हैं।मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी ने डिजिटल प्रणाली उपयोगिता और प्राथमिकता सिद्ध कर दी है। अपने पहले कार्यकाल में वर्ष 2014 में उन्होंने डिजिटल लेनदेन की जिस प्रणाली का प्रसार किया था उससे सबसे अधिक फायदा गरीबों को ही हुआ। इससे भ्रष्टाचार, लाल फीताशाही और बिचौलियों का खात्मा हुआ। महामारी के वर्तमान दौर में इसकी उपयोगिता भी साबित हुई।

लॉकडाउन के कारण शैक्षिक गतिविधियों में व्यवधान की ओर संकेत करते हुए मोदी ने कहा कि इंटरनेट के जरिए विद्यार्थियों के लिए दीक्षा, स्वयं और ई-पाठशाला जैसे साधन मौजूद हैं। प्रधानमंत्री ने व्यापार के नए तौर-तरीकों के बारे में कहा कि डिजिटल लेनदेन के जरिए व्यापारी गतिविधियों को संकट के दौर में भी बनाए रखा है। इससे लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को भी खतरे से बचाया जा सकता है। मोदी ने सूचना प्रौद्योगिकी के साधनों का उपयोग करते हुए देश और दुनिया में टेलीमेडिसिन के प्रचार प्रसार पर जोर दिया। इसके जरिए लोग बिना अस्पताल जाए आवश्यक चिकित्सा परामर्श हासिल कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें व्यापार के ऐसे मॉडल तैयार करने चाहिए जिसमें गरीबों और सबसे कमजोर तबके के हितों को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से हमें यह भी सबक मिलता है कि हम बड़े जनसमुदाय को सस्ती चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराएं। हमें यह भी सोचना होगा कि यदि विपरीत परिस्थितियां पैदा हों तो किस प्रकार देश के किसानों को किस तरह आवश्यक जानकारी और खेती के काम में आने वाली सामग्री मिल सके। इसी तरह आम नागरिक को आवश्यक वस्तुओं की बहाली कायम रह सके।

मोदी ने लेख के अंत में कहा कि कोरोना महामारी के बाद की दुनिया में भारत संचार सुविधाओं के जरिए एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश बन सकता है। भारत के पास भौतिक दृष्टि से संपर्क सुविधाओं के साथ-साथ साइबर संपर्क सुविधाएं भी हैं जो हमें अग्रणी बनाती हैं।

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