MP: महामहिम की फटकार के बाद भी सुधर क्यों नहीं रहे बीयू के अधिकारी

 

 

             भारती सुनवाई से कतराए ,पटेल को आगे लाए

 

भोपाल 10 जनवरी | सूबा के गवर्नर महामहिम लालजी टंडन की बरकतउल्ला विश्वविध्यालय (बीयू) पर ख़ास नजर है ,कुलपति की कई बार क्लास लग चुकी है ,लेकिन यहाँ के अधिकारी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं | महामहिम चाहते हैं कि काम में पारदर्शिता लाई जाए ,लेकिन अधिकारी काला –पीला करने वालों के पक्ष में हैं ,सो स्याह को सफ़ेद करने में लगे हैं| कल बीयू में सूचना के अधिकार के तहत पांच मामलों की सुनवाई थी ,लेकिन अधिकारियों ने जो टाल-मटोल का रवैया अपनाया ,वह चौंकाने वाला था |

हम आपको विस्तार से पूरा मामला बताते हैं | आपको बताने का उद्देश्य यह है कि बीयू में क्या चल रहा है ,वह सबके सामने आए और जो गवर्नर साहब  की मुहिम को पलीता लगा रहे हैं ,वह चेहरे बेनकाब हों | गौरतलब है कि बीयू प्रशासन से सूचना के अधिकार के तहत 4 नवंबर 2019 को  व्हिसल ओवर महेंद्र सिंह ने  पांच मामलों की जानकारी माँगी गई थी | इन मामलों की जानकारी नहीं दी गई तो 19 दिसंबर 2019 को प्रथम अपीलीय अधिकारी (रजिस्ट्रार) को अपील की गई |

केस एक, 1-वर्ष 2014 में विश्वविधालय के वाणिज्य विभाग में नियुक्त प्रोफेसर पवन कुमार मिश्रा की भर्ती संबंधी मूल नस्ती की सत्यापित प्रतिलिपि |

2- प्रोफेसर पवन कुमार मिश्रा की सेवा पुस्तिका की सत्यापित प्रतिलिपि |

केस दो ,1-बरकतउल्ला विश्वविधालय के boys और कन्या छात्रावासों में कार्यरत ऐसे कर्मचारियों की सूची जिन्हें अतिरिक्त कार्य करने के फलस्वरूप वेतन के अलावा पारिश्रमिक दिया जाता है |

2-कर्मचारियों के अतिरिक्त कार्य विवरण की प्रति |

केस तीन , 1-एनपीएस संबंधित धनादेश क्र. 750909,751161,751442,751547,259581 जारी करने के लिए सक्षम अधिकारी  से अनुमति की मूल नस्ती 

 केस चार , 1-वर्ष 2005 से अक्टूबर 2019 तक विश्वविधालय की लेखा शाखा में पदस्थ सहायक उपकुलसचिवों और अनुभाग अधिकारियों की पदस्थापना सूची की सत्यापित प्रतिलिपि |

2- वर्ष 2005 से अक्टूबर 2019 तक वेतन आहरण अधिकारी / PrAO/DTA, PAO/DTO and DDO  की पदस्थापना सूची की सत्यापित  प्रतिलिपि |

3- वर्ष 2005 से अक्टूबर 2019 तक एनपीएस खाते संधारित करने वाले कर्मचारी की पदस्थापना सूची की सत्यापित  प्रतिलिपि |

4- एनपीएस कटौत्रा वर्ष 2005 से 13/09/2018 तक एनपीएस कटौत्रा जिस  बैंक अकाउंट में जमा किया गया है ,उसका अकाउंट नंबर और स्टेटमेंट की सत्यापित प्रतिलिपि |

केस पांच, 1- विश्वविधालय में पदस्थ सहायक कुलसचिवों पुनीत शुक्ला, अनित राय, भारती पाटने,सुनील नायक आदि   की  परिवीक्षा अवधि समाप्त होने तथा नियमितीकरण  संबंधी आदेश की सत्यापित प्रतिलिपि|

2- विश्वविधालय में पदस्थ सहायक कुलसचिवों (परिवीक्षा अवधि ) पुनीत शुक्ला, अनित राय,भारती पाटने,सुनील नायक आदि   को सातवें वेतनमान देने संबंधी मूल नस्ती की सत्यापित प्रतिलिपि|

 

इन मामलों में सुनवाई के लिए 3 जनवरी को लोक सूचना प्रकोष्ठ में कार्यरत कर्मचारी आदर्श के मोबाइल से लोक सूचना अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी की आपकी 9 जनवरी को प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष सुनवाई है और आपको पत्र डाक से भेज दिए गए हैं |हम चाल तो पहले ही समझ गए थे लेकिन  9 जनवरी तक जब पत्र नहीं मिले तो पक्का हो गया  कि दाल में कुछ काला है,सो लगभग 11 बजे रजिस्ट्रार को मेल कर पूछा कि क्या आज सुनवाई है | बाद में लैंडलाइन पर फोन लगाकर पूछा तो रजिस्ट्रार के पीए ने कहा कि मेल मिल गया है और संबंधित को पहुंचा दिया गया है | लगभग दोपहर दो बजे मेल पर पत्र मिले कि साढ़े तीन बजे सुनवाई है | जब साढे तीन बजे रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचे तो बताया गया कि आज वह छुट्टी पर हैं ,फिर हमें गोपनीय और परीक्षा के डीआर यशवंत पटेल के चेंबर में ले जाया गया | वहां सुनवाई शुरू हुई तो मैंने पूछा कि सुनवाई का  पत्र डाक से क्यों नहीं भेजा,इस पर राघवेन्द्र शर्मा बोले डाक से पत्र भेजे हैं ,जब रसीद दिखाने को कहा तो बगलें झांकते नजर आए | इसके बाद केस एक (प्रो पवन मिश्रा ) के बारे में बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत जानकारी देने पर आपत्ति जताई है ,इसलिए जानकारी नहीं दी जा सकती है | इस पर मैंने तर्क दिया कि जानकारी व्यक्तिगत नहीं बल्कि सार्वजनिक कैसे है तो जबाव देते नहीं बना | केस नंबर दो हॉस्टलों के संबंध में एक सज्जन तीन पेज की जानकारी लेकर आए ,इस पर मैंने कहा कि प्रमाणित कराकर डाक से भेजें | केस नंबर तीन (एनपीएस संबंधित धनादेश ) पर लेखा शाखा के अधीक्षक कुलकर्णी को बुलाया गया था ,उन्होंने कहा कि चेक नंबर आपको दे दिए हैं | मैंने उनसे कहा कि आगे पढो हमने क्या माँगा है तो बगैर जबाव चलते बने | केस चार और पांच पर चुप्पी साधे रहे ,जब मैनें इस बारे में पूछा तो बोले आपको डाक से जानकारी भेज दी जाएगी | इंदिरा गांधी कन्या छात्रावास में एक अदनी सी कर्मचारी को अधीक्षक बनाने और वार्डन आवास आवंटित करने को लेकर जानकारी माँगी गई थी ,छः महीने की लिखत -पढ़त के बाद टुकड़े-टुकड़े में तीन बार में काफी कुछ जानकारी तो उगल दी है.आवास आवंटन नियम का बिंदु नंबर नौ दबाए बैठे हैं | बड़े प्यारे तर्क दे रहे हैं ,हो सकता है बिंदु हो ही न ,हो सकता है मिसप्रिंट हो गया हो | कितने ढीठ हैं , अब आपको काफी कुछ माजरा समझ में आ गया होगा | अगर यह डाल-डाल तो हम भी पात –पात हैं | अब आप आगे पढ़ना कि इनकी लीपा –पोती के बाद भी एनपीएस मामले में यूजीसी की एक चिट्ठी से कैसे इनकी घिग्घी बंधी है | खेल इन्होनें शुरू किया है ,ख़त्म हम करेंगे | हम तो इनसे पूछेंगे ही कि रजिस्ट्रार क्या वाकई छुट्टी पर थे ,या कुछ और कारण है | यशवंत पटेल को सुनवाई का अधिकार था भी या नहीं | कहीं ऐसा तो नहीं कि सुनवाई के नाम पर ड्रामा किया गया हो ? कहीं रजिस्ट्रार को अँधेरे में तो नहीं रखा गया ? हम तो हर एक बात पर नजर रखे हैं,आप भी नजर रखिए| बरकतउल्ला विश्वविधालय को मध्यप्रदेश की शान बनाने के यज्ञ में एक आहुति आप भी दो |

बीयू की खबरो को पढ़ने के लिये लगातार देखते रहिये  www.madhyauday.com

 

 

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