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2.46 करोड़ इनएक्टिव खातों में पढ़े 16 हजार करोड़ रुपए

 देश के डाकघरों में टोटल सेविंग अकाउंट्स में से 2.46 करोड़ अकाउंट इनएक्टिव हैं। इनमें से 85 लाख अकाउंट की संख्या तो एक साल में ही बढ़ी है। इनका कोई दावेदार सामने नहीं आ रहा है। इन खातों में 16,136 करोड़ रुपए से भी ज्यादा रकम जमा है। दूरसंचार मंत्रालय के तहत डाक विभाग के बजट की अनुदान मांगों की पड़ताल में पोस्ट आफिस सेविंग्स बैंक में पड़ी इस ‘अनक्लेम्ड’ राशि का खुलासा हुआ है।

ये ऐसे खाते हैं, जिनके असली खातेदार या तो नहीं रहे या विस्थापित हो गए और उनकी गैर मौजूदगी में जमा राशि नॉमिनी का जिक्र न हो पाने के कारण यूं ही पड़े हुए हैं। इन खातों में डाक विभाग की 6 से अधिक बड़ी स्कीमों में बचत खातों या सेविंग्स सर्टिफिकेट्स के जरिए से यह राशि जमा हुई है।

ऐसा अनुमान है कि आने वाले समय में इस तरह के इनएक्टिव अकाउंट्स की संख्या बढ़ सकती है।

डाक विभाग के मुताबिक खातों के असल मालिकों या कानूनी वारिसों तक पहुंचने के लिए अभियान चलाए जाने के बावजूद 2.47 करोड़ गुमनाम खातों में से सिर्फ 70 हजार खातों के मामले ही निपटाए जा सके। यह कुल खातों का महज 0.29% है। निपटारे के दौरान सिर्फ 123 करोड़ रुपए ही उनके कानूनी हकदार को मिल सके।

बचत खाते या सेविंग्स सेर्टिफिकेट की अवधि पूरी होने बावजूद उनके दावेदार नहीं मिलने का यह सिलसिला और बढ़ सकता है, क्योंकि विभाग की कई योजनाओं में अब भी 27 करोड़ से अधिक खाते ऐसे हैं, जिनमें नॉमिनी दर्ज नहीं है। वैसे निष्क्रिय खातों का निपटारा करने के लिए विभाग ने अनक्लेम्ड खातों की जानकारी वेबसाइट पर डाल दी है। साथ ही डोर-टू-डोर अभियान चलाने का भी दावा किया गया है।

डाक विभाग के लिए इस लावारिस धनराशि को ढूंढना सरदर्द बन गया है।

कोविड में 4 करोड़ खाते साइलेंट, 3 तो करोड़ बंद भी हो गए
महामारी से डाकघरों के करीब 4 करोड़ बचत खाते इसलिए बंद हुए, क्योंकि उनके मालिक 3 साल तक लेन-देन करने नहीं आए। विभाग ने इन्हें साइलेंट अकाउंट नाम दिया है। पहले खातों में मिनिमम बैलेंस 50 रुपए था। बाद में बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया गया, जिससे गरीबों के करीब 3 करोड़ खाते बंद हुए। 31 मार्च 2021 तक 36 करोड़ से घटकर 29 करोड़ बचे। खाते गुमनाम न पड़े रहें, इसके लिए आधार से जोड़े जा रहे हैं। 8 करोड़ जुड़ चुके हैं।

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