सीएम हेल्प…..लाइन मज़ाक-अधिकारियों की मनमर्ज़ी का शिकार

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को घोषणावीर औऱ खोखली योजनाओं का रचयिता का तमगा दिलवाने में मप्र के अफ़सरो का महत्वपूर्ण योगदान है। या कहे मुखिया मामाजी जनता के लिये कोई भी योजना शुरू करते तो है,मगर वह सिर्फ अधिकारियों की कठपुतली मात्र साबित हो जाती है। अधिकारी भी जान छुड़ाने,सीएम हेल्पलाइन में लगातार बढ़ रही जनता की गुहार रूपी संख्या को घटाने की जादूगरी के अलावा और कुछ ज्यादा नही सोचते है। अधिकारियों का मानस बस इसी बात पर केंद्रित रहता है कि कैसे भी हो बस उनके सर पर छाई बला को वह टाले और मामला रफादफा करते हुए अपने वरिष्ठ को सीएम हेल्पलाइन की रिपोर्ट मात्र पेश कर दे। अगर यह वह नही करते है, तो उनकी सार्वजनिक तौर पर खिंचाई होती है सो अलग। लेकिन सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों को लेकर इन कनिष्ठ के वरिष्ठ भी उतने ही जिम्मेदार है। क्योंकि वह बढ़ते अम्बार पर नाराज़ी जताते है। जबकि प्राप्त शिकायतों के निराकरण, शिकायत को लेकर इतने ज्यादा गम्भीर नही होते। जिले के सबसे बड़े अधिकारी भी बस इसी बात पर खफ़ा रहते है कि आखिर उनके अंतर्गत आने वाले अलग अलग विभागों को लेकर जनता की इतनी शिकायत की संख्या क्यों बढ़ रही है। अब वह राजधानी में क्या मुंह दिखाएंगे। लेकिन इससे उलट हकीकत और कुछ है। एक उदाहरण को लेकर आप भी समझ सकते है कि मप्र के ऊर्जा मंत्रालय में एमपीईबी और बिल्डर की कारस्तानी की एक शिकायत की जाती है। जिसे सम्बंधित अधिकारी उल्टे शिकायतकर्ता को यह धमकाते हुए मनमाने रूप से शिकायत बन्द कर देते है कि बन्द नही की तो तुम्हारी बिजली कटवा दूंगा। अधिकारी की धमकी की शिकायतकर्ता एक और शिकायत सीएम हेल्पलाइन में दर्ज करता है। लेकिन होता वही जो एमपीईबी अधिकारी चाहे। यही नही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की साख पर बट्टा लगाने में भोपाल में सीएम हेल्पलाइन डेस्क में जो अशिक्षित और अयोग्य लोगो को टेलीकलिंग पर बैठा रखा है,वह भी कम नही है। क्योंकि शिकायत की गम्भीरता को यह नोसीखिये बिल्कुल नही समझते है। सिर्फ रिकार्डेड टेप की बात बोलकर इतिश्री कर लेते है। फिर शिकायतकर्ता कितना भी समझाने का प्रयास करे लेकिन यह चाबी वाले खिलौने उतना ही नाचते है,जितना उन्हें आता है। अगर आपको सीएम हेल्पलाइन की इन सभी कारगुजारियों का अंदाजा नही हो,आपको इसका अनुभव नही होतो, आप खुद भी सीएम हेल्प…. लाइन में अपनी शिकायत की लाइन लगाकर देख सकते है कि आखिर आपकी शिक़ायत, मुख्यमंत्री से लगाई गुहार,आपकी प्रदेश के मुखिया से लगाई गई आस का क्या अंजाम होता है।

अमित त्रिवेदी पत्रकार इंदौर

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