सावधान..चंदेबाजी एक सामाजिक ही नही कानून अपराध है

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आओ चंदा चंदा खेले..
सावधान..चंदेबाजी एक सामाजिक ही नही कानून अपराध है, आदिवासी नेता कल्लू सिंह 11 वर्ष तक कोर्ट में भुगत चुके है!
बैतूल। गैरवाजिब तरीके से चंदा मांगना भी अपराध की श्रेणी में आता है और इसमें अपराध भी दर्ज होता है। चंदा मागने के मामले को आदिवासी नेता कल्लू सिंह उईके ने 11 वर्ष तक झेला, गनीमत यह रही की मामले में गवाह और फरियादी दोनो लगातार पेशियों पर नही आए तो मामला न्यायालय में खारिज हो गए। चंदे के इस मामले का वृतांत सुनाते हुए सामाजिक कार्यकर्त्ता और अधिवक्ता भारत सेन ने बताया की वे जब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के लीगल एडवाइजर हुआ करते थे तब पार्टी के अध्यक्ष कल्लू सिंह ने जिला मुख्यालय पर रानी दुर्गावती की प्रतिमा लगाने चंदा करना शुरू कर दिया। बिना रसीद और बिना बैंक खाते के बिना विधिवत समिति के इस तरह के चंदे को लेकर किसी ने थाने में कल्लू सिंह उईके की शिकायत कर दी थी, इस मामले में कल्लू सिंग पर अड़ीबाजी, अमानत में खयानत जैसी कई धारा में मामला दर्ज हुआ, जेल जाना पड़ा, जमानत लेना पड़ी और 11 वर्ष तक न्यायलय में भुगतना भी पड़ा। अधिवक्ता भारत सेन का इस मामले की पैरवी के आधार पर मानना है कि एक रुपए का चंदा हो या सौ रुपए का हो यदि पारदर्शी तरीके से नही किया जाएगा और यदि उसमे शिकायत की जाएगी तो प्रशासन को त्वरित एक्शन लेना ही चाहिए। यदि शिकायत मिलने के बाद भी अधिकारी मामले को लिंगारान कर रहे है तो उन्हें ही मूल पक्षकार बनाकर कोर्ट में परिवाद लगाया जा सकता है। फिलहाल बैतूल में राम मंदिर निर्माण के चंदे का हिसाब का मामला इतना चर्चित है कि उसको लेकर शमशान घाट तक में चर्चा हो रही। बताया गया कि वरिष्ठ अधिवक्ता उत्तम दीक्षित की माता जी के अंतिम संस्कार में कोठी बाजार मोक्ष धाम में भी उक्त चंदे का हिसाब सार्वजनिक न होने को लेकर लोगो मे चर्चा हो रही थी, यदि चंदा कर हिसाब न देने वालो को इस बात पर यकीन न हो तो वे विश्वासपात्र रमन गोठी और आशीष चौरसिया से पुष्टि कर भी सकते है। बैतूल में हो रहे धार्मिक चंदे के मामले में सिविल सोसायटी की आपत्ति और शिकायत भी कलेक्टर के पास पेंडिंग है।

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