सहकारिता विभाग में एक नए ऑपरेशन की तैयारी में

सहकारिता विभाग में एक नए ऑपरेशन की तैयारी है। इस सर्जरी का उद्देश्य सालों से सिर्फ कागजों में चल रही संस्थाओं की छंटनी कर उन्हें परिसमापन की ओर ले जाना है। इसमें ऐसी संस्थाओं को भी शामिल किया जा रहा है, जो सालों से निष्क्रिय हैं।

 

अभी संभाग में कुल 11308 संस्थाएं हैं। इसमें से 46.9 प्रतिशत ही कार्यशील हैं। कुल रजिस्टर्ड संस्थाओं में से 27 प्रतिशत अकार्यशील हैं और 26.39 प्रतिशत परिसमापन के अधीन हैं। संभाग में 2 हजार से ज्यादा निष्क्रिय संस्थाओं को भंग किया जाएगा।

 

507 संस्थाएं प्राथमिक अकृषि साख संस्थाएं हैं। प्रां. दुग्ध उत्पादन संस्थाएं 337, प्रां. उपभोक्ता भंडार की 358, गृह निर्माण की 428, बीज उत्पादक की 113 संस्थाएं हैं। संभागायुक्त दीपक सिंह के मुताबिक जिन गृह निर्माण संस्थाओं के पास जमीन नहीं है, उनके पंजीयन निरस्त किए जाएंगे।

 

प्रशासन ने भूमाफियाओं के खिलाफ 2009 में संयुक्त अभियान चलाया। उस वक्त 25 संस्थाओं को चिह्नित कर कार्रवाई शुरू की गई थी। बाद में इनकी संख्या बढ़कर 52 हो गई। अभी भी 38 संस्थाएं ऐसी बची हैं, जिनकी शिकायतों का निराकरण शेष है।

 

शहर में अनेक गृह निर्माण संस्था ऐसी हैं, जिनका काम पूरा हो चुका है। इन संस्थाओं ने जो कॉलोनियां विकसित की, वहां सदस्यों के आवास भी बन चुके हैं। बावजूद संस्थाओं के पदाधिकारी मेंटेनेंस, सुरक्षा और नाम ट्रांसफर के नाम पर अवैध उगाही कर रहे हैं। यह सभी जिम्मेदारी अब रहवासी संघों के पास आएगी

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