सर्दियों का अमृत है तिल का लड्डू

सर्दियों का अमृत है तिल का लड्डू :-

सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है और अब दुकानों पर तिल लड्डू, चिक्‍की, गजक, रेवड़ी, आदि बिकना शुरू हो गए हैं। सर्दियों में मिलने वाली इन चीजों के नाम अगल अलग जगहों पर अगल होते हैं मगर इनका स्‍वाद दिल को छू लेने वाला होता है। आज हम जिस स्‍वादिष्‍ट लड्डू की बात करेंगे, वह है तिल के लड्डू, जो कि गुड और तिल से बनाया जाता है। इसे सर्दियों में खाने से शरीर को अलग ही ताकत मिलती है साथ ही यह सर्दी के मौसम में शरीर को पूरी तरह से गर्म भी रखता है।

आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में हमारे शरीर में वात का प्रभाव काफी तेजी से बढ़ जाता। इसके कारण जोड़ों में दर्द और मासपेशियों में जकड़न हो जाती है। इस समय अगर हम तिल और गुड़ के लड्डू खाएंगे तो यह सब चीजें कंट्रोल में रहेंगी। तिल तीन प्रकार के होते हैं – काले, सफेद और लाल। लाल तिल का प्रयोग कम किया जाता है। यह स्‍वास्‍थ्‍य के खजाने से भरा होता है साथ ही यह शरीर की इम्‍यूनिटी बढ़ाता है।

तिल में कैल्‍शियम की मात्रा दूध से भी अधिक होती है। तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का सेवन करने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन मिलता है। तिल में कई प्रकार के प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, कॉपर, फाइबर, बी काम्‍प्‍लेक्‍स और कार्बोहाइट्रेड आदि तत्‍व पाये जाते हैं। तिल का सेवन करने से तनाव दूर होता है और मानसिक दुर्बलता नहीं होती है, इसी तरह से गुड़ में भी ढेर सारा आयरन, विटामिन और मिनरल पाये जाते हैं।

तिल के लड्डू खाने से पेट ठीक रहता है, हाई ब्‍लड प्रेशर नहीं होता और लीवर ठीक प्रकार से काम करता है। वहीं गुड़, शरीर को शुद्ध बनाता है और मीठे की तलब को दूर करता है।

तिल के लड्डुओं को खाने से शरीर को एंटीऑक्‍सीडेंट मिलता है। वाइरस, एजिंग और बैक्‍टीरिया से जितने भी नुकसान शरीर के ब्‍लडस्‍ट्रीम के अदंर पहुचते हैं यह उसको सही करता है।

एक अध्ययन में बताया गया है कि तिल मधुमेह रोगियों, जो कि टाइप २ डायबीटीज से पीडि़त हैं उनके लिये दवा का काम करता है।

तिल में विटामिन ई और विटामिन बी पाया जाता है जो कि त्‍वचा को जवान और चमकदार बनाता है। अगर हम सर्दियों में तिल और गुड का लड्डू खाएं तो जवानी बरकरार रहेगी।

गठिया के रोगियों को तिल और गुड़ के लड्डू रोज खाना चाहिये। सर्दियों में वात बढ़ने की वजह से गठिया रोग हो जाता है, मगर तिल खाने से पैरों की सूजन आदि कम हो जाती है।

तिल दांत की सड़न और मसूड़ों से खून को बहने से रोकता है तथा दांत, मसूड़ों और जबड़े को मजबूत बनाने के लिए काम आता है।

सीने में कफ के जमाव और साइनस की समस्‍या को दूर करने के लिए इस तिल के लड्डू जरूर खाना चाहिए। यह शरीर को अंदर से गर्म रखता है।

कब्‍ज से छुटकारा पाने के लिए तिल से बने लड्डू काफी फायदा पहुंचाते हैं।

तिल का सेवन करने से न केवल ब्‍लड प्रेशर कम होता है बल्कि यह शरीर में सोडियम की मात्रा को भी कम करने में असरदार है।

तिल के लड्डू हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, सिरदर्द तथा माइग्रेन के रोगियों को ठंड के मौसम में नित्य तिल और गुड़ से बने लड्डू खाना चाहिए।

तिल के तेल का नियमित उपयोग करने से तनाव, थकान, अनिंद्रा जैसी परेशानियां ठीक हो जाती हैं।

तिल में एंटीऑक्‍सीडेंट तथा मजबूत प्राकृतिक पदार्थ होता है जो कि कैंसर विरोधी होता है। इससे शरीर में कैंसर सेल की ग्रोथ नहीं हो पाती है।

तिल में प्रोटीन, कैल्शियम और बी कॉम्प्लेक्स बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। प्रतिदिन लगभग पचास ग्राम तिल खाने से कैल्शियम की आवश्यकता पूरी होती है। तिल के सेवन से मानसिक दुर्बलता एवं तनाव दूर होता है।

– जितेन्द्र रघुवंशी

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