सरकार द्वारा लागू खरीद पर टीडीएस से व्यापारी सकते में

:*

 

1 जुलाई 2021 से लागू आयकर की धारा 194 क्यू के अन्तर्गत अब हर व्यापारी जिसकी बिक्री वित्तीय वर्ष 2020-21 में 10 करोड़ से ऊपर हैं, उसे 50 लाख के ऊपर की हर खरीदी पर 0.1% का टीडीएस काटना पड़ेगा और हर महीने जमा करवाना पड़ेगा.

ये एक गैर जरूरी कवायद है क्योंकि हर 10 करोड़ से ऊपर बिक्री करने वाला व्यापारी एक नये अनुपालन में फंस जाएगा और जिसके पालन न करने पर या गलती करने पर आयकर की धारा 40ए(आईए) के अन्तर्गत सारी की सारी खरीद आय मान ली जावेगी और बेचारा व्यापारी व्यापार की बजाय आयकर विभाग से वाद विवाद में समय व्यतीत करेगा.

*आखिर इस धारा की क्या आवश्यकता है?*

सरकार का कहना है कि बड़ी खरीद बिक्री पर नजर रखने के उद्देश्य से यह धारा लाई गई ताकि टैक्स चोरी की संभावना को कम किया जा सके.

इस बात में दम इसलिए नहीं लगता क्योंकि हर खरीद बिक्री जीएसटी पोर्टल पर होकर गुजरती हैं और इस स्तर पर लगभग हर व्यापारी रजिस्टर्ड होता है एवं जिसको चोरी करनी है, वह इस नियम के बावजूद भी करेगा.

इसलिए धारा 194 क्यू का लाना किसी भी रुप में तर्कसंगत और न्यायसंगत नहीं है और इसे हटा लेना चाहिए ताकि व्यापार में आसानी पर ही हमारा ध्यान केंद्रित हो.

*दूसरा गैर जरूरी अनुपालन धारा 206 एए और धारा 206 एबी को लाना:*

इन धाराओं के अन्तर्गत जिसने पैन न दिया हो या जिसने पिछले दो सालों में अपनी आयकर विवरणी न भरी हो या पिछले दो सालों में हर साल उसका टीडीएस / टीसीएस 50000 रुपये से अधिक का कटा हो.

ऐसे व्यक्तियों का टीडीएस दुगनी दर से काटना होगा या 5% , जो भी अधिक हो. और इसके लिए व्यापारी को अपने डीलर, सप्लायर, सेवा प्रदाता, आदि से घोषणा पत्र लेना होगा और ध्यान रखना होगा कि टीडीएस उचित दर से काटा जावे.

कोई भी भूल इसके अनुपालन में भारी पेनल्टी और टैक्स लगाने के लिए काफी है.

तो हम क्या इसे व्यापार में आसानी कहेंगे कि परेशानी कहेंगे?

दोनों धाराएं काफी जटिल है जिसका अनुपालन करना भी आसान नहीं और अनुपालन न करना, खतरे से खाली नहीं.

यह आयकर विभाग और सरकार के दोहरे मापदंड को दर्शाता है – जहाँ एक ओर सरकार बात करती है नये आयकर पोर्टल की, जिसमें हर पेन नम्बर की पूरी जानकारी सरकार के पास उपलब्ध होगी और सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है कि हर एक करदाता की 360 डिग्री की प्रोफाईल सरकार के पास होगी.

तो दूसरी तरफ सरकार ऐसे अनुपालन ला रही है जो बताते हैं कि सरकार के पास कोई जानकारी नहीं है और राजस्व बढ़ाने के लिए व्यापारी को जानकारी देनी होगी, तो ही शायद सरकार कर चोरी रोक पाएगी.

*सरकार का ध्यान एक अच्छे, सरल और व्यवहारिक कानून और व्यवस्था बनाने पर होना चाहिए न कि उल्टे सीधे प्रयोग करने पर जिसे असक्षम और गैर पेशेवर नौकरशाह सुझाव देते हैं. जब तक सरकार कानून बनाने से पहले सभी हितधारकों से राय नहीं लेगी, कानून और अनुपालन सिर्फ विवाद के विषय ही बनेंगे.*

*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

Shares