सभी इंडस्ट्री चेम्बर्स ने बजट पूर्व मांग में एक सुर में कहा – टैक्स सरलीकरण करें

 

 

वित्त मंत्री पिछले दो दिनों से उद्योग और समाज के विभिन्न हितधारकों मिलकर बजट २०२२ से उनकी उम्मीदों को समझ रही है.

इंडस्ट्री चेम्बर्स द्वारा एक सुर में सरकार से चार क्षेत्रों में काम करने को कहा:

१. रोजगार बढ़ाना

२. घरेलू मांग और आपूर्ति बढ़ाना

३. राजकोषीय प्रबंधन

४. करों का सरलीकरण और तर्कसंगतता

पहला रोजगार बढ़ाने के लिए रोजगार गारंटी जैसे योजनाओं को लाना और उसे चरणबद्ध तरीके से मेट्रो एवं अन्य शहरों में लागू करना.

दूसरा घरेलू मांग और आपूर्ति बढ़ाने हेतु खेती और खाद्य संस्करण को बढ़ावा देना. खेती आधारित आधारभूत संरचना जैसे कोल्ड चेन और लाजिस्टिक्स में निवेश को बढ़ावा देना.

तीसरा राजकोषीय प्रबंधन की दिशा में सरकारी खर्च में कटौती, पूंजीगत व्यय को बढ़ना जैसे गतिशक्ति और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं पर अधिक खर्च करना, विनिवेश और प्राइवेटाइजेशन पर ध्यान देना.

चौथा और सबसे जरूरी राजस्व और मांग उपभोग बढ़ाने के लिए टैक्स सरलीकरण पर ध्यान देते हुए तर्कसंगतता लाना. इसके लिए सरकार को-

१. केपिटल गेन टैक्स तो तर्कसंगत बनाना

२. व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को ७५००००/- रुपए करना

३. निवेश और बचत रीबेट को बढ़ाना

४. कार्पोरेट टैक्स दर को २०% के आसपास रखते हुए नए उद्योग पर कम टैक्स दर लगाना

५. जीएसटी सरलीकरण और सजा संबंधित सारी धाराओं को हटाना

६. कर विवादों को कम से कम करना

७. आयकर दायरे को बढ़ाना

साफ है उपरोक्त प्रस्तावों से उद्योग जगत टैक्स पेमेंट में आसानी चाहता है. उसका साफ कहना है कि टैक्स नियमों के सरलीकरण और तर्कसंगतता से न केवल व्यापार करना आसान होगा बल्कि व्यक्ति के पास ज्यादा पैसे बचने से उपभोक्तावाद बढ़ेगा जो हमारी अर्थव्यवस्था को मंदी से भी बचायेगा, महंगाई पर नियंत्रण करेगा, रोजगार और निवेश बढ़ायेगा, घरेलू उद्योगों को मदद करेगा और राजस्व भी बढ़ायेगा.

*व्यापार जगत ने वित्त मंत्री को साफ कर दिया कि करों के सरलीकरण से ही देश में विकास संभव है, अब देखना ये है कि वित्त मंत्री बजट २०२२ में करों के क्षेत्र में कितना सुधार करती हैं क्योंकि यह बात आज सभी समझ रहे हैं कि टैक्स नियमों को अब यदि तर्कसंगत नहीं करते हैं तो सरकार कितनी भी योजनाएं ले आए, अर्थव्यवस्था रफ्तार नहीं पकड़ेगी.*

*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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