वायुसेना को मिली स्वदेशी एस्ट्रा एमके​-​1​ ​मिसाइल

Air-to-Air missile Astra successfully user flight-tested from Su-30 MKI aircraft off the Odisha coast on September 17, 2019.

 

– चीन से तनाव बढ़ने पर किया गया था 248 एस्ट्रा मिसाइल खरीदने का ऑर्डर
बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल की मारक क्षमता 100 किमी. तक
– सुखोई-30 ​से अधिकतम 66 हजार फीट की ऊंचाई पर किया जा सकेगा लांच 
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर ​​​​​ चीन सीमा पर तनाव के बीच​ ​​स्वदेशी ​​​​एस्ट्रा एमके​-​1​ ​​​बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर 50 मिसाइलों की पहली खेप भारतीय वायु सेना को मिल गई है। यह करीब ​100 किलोमीटर की लम्बी दूरी तक हमले करने ​में सक्षम ​हैं​ एस्ट्रा एमके​-​1​ ​​मिसाइलों को ​​सुखोई-30 एमकेआई ​से अधिकतम 66 हजार फीट की ऊंचाई पर 4.5 मैक स्पीड के साथ लांच लिया जा सकेगा​​​​​ भारतीय वायुसेना और नौसेना पहले से​ ​​एस्ट्रा ​​मिसाइल का इस्तेमाल कर रही हैं लेकिन लद्दाख सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद दोनों सेनाओं के लिए 248 मिसाइल खरीदने का ऑर्डर किया गया था।
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​​चीन सीमा पर तनाव के बीच 2 जुलाई को रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना और नौसेना के लिए 248 एस्ट्रा बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइलों के अधिग्रहण को भी मंजूरी दी​ थी। ​​100 किलोमीटर की लम्बी दूरी तक हमले करने वाली बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर ‘एस्ट्रा’ मिसाइलों से नौसेना और वायु सेना की ताकत कई गुना बढ़ेगी, क्योंकि इस मिसाइल की मारक क्षमता विजुअल रेंज से भी अधिक है। ​​एस्ट्रा ​मिसाइल 3.6 मीटर (12 फीट) लं​बी है, जिसका व्यास 178 मिमी (7.0 इंच) है और इसका वजन 154 किलोग्राम (340 पाउंड) है​​​​ एस्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेशर्स से लैस है​, इसलिए दुश्मन के प्रयासों ​को नाकाम करके अपने ऑपरेशन ​को अंजाम देती हैएस्ट्रा ​​मिसाइल 4.5 ​मैक ​की गति तक पहुंचा सकती है और अधिकतम 20 किमी​.​ (66​ हजार फीट) की ऊंचाई से ​संचालित हो सकती है। एस्ट्रा की अधिकतम सीमा हेड-ऑन चेस मोड में 110 किमी​.​ (68 मील) और टेल चेस मोड में 20 किमी​.​ (12 मील) है।​​
 
​एस्ट्रा मिसाइल​ की एयरफ्रेम, प्रोपल्शन सिस्टम, कंट्रोल सिस्टम, ड्यूल मोड गाइडेंस और नाइट फायरिंग क्षमता ​का परीक्षण करने के लिए तीन अलग-अलग कॉन्फ़िगरेशन में 2003 से 2012 तक जमीनी परीक्षण​ किये गए​। सुखोई-30 ​​एमकेआई पर 2009 और 2013 में कैरिज ट्रायल किया ​​गया था। मई 2014 में इसे पहली बार हवा में निकाल दिया गया था। 18 मार्च, 2016 को सुखोई-30​ ​एमकेआई ​​से अभ्यास के दौरान मिसाइल को​ सार्वजनिक रूप से निकाल दिया गया था। सितम्बर, 2017 में सात परीक्षणों की एक श्रृंखला के दौरान एस्ट्रा का दो बार परीक्षण किया गया था​​। 2019 में उपयोगकर्ता परीक्षणों के दौरान एस्ट्रा 90 किमी (56 मील) की दूरी पर एक लक्ष्य को मारने में कामयाब रही।​​​ इसी के बाद इसे भारतीय वायुसेना और नौसेना में शामिल किया गया था
एस्ट्रा मार्क​-​1 के बाद भविष्य के लिए तीन नए वे​​रिएंट की योजना बनाई गई है।​ एस्ट्रा मार्क​-​2 की मारक क्षमता 160 किमी (99 मील) है जबकि प्रणोदन प्रणाली में लिक्विड-फ्यूल रैमजेट, सॉलिड-फ्यूल रैमजेट और डुअल पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर शामिल हैं। एस्ट्रा मार्क​-3 ​की अधिकतम रेंज​ फ्रांस की ​मिटयोर मिसाइल के बराबर 340 किमी (210 मील) ​होगी​ इस  मिसाइल में नव विकसित ठोस ईंधन डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) तकनीक का उपयोग ​किया जायेगा​​​