नई दिल्ली, 27 सितम्बर । किसानों और राजनीतिक दलों के लगातार विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मॉनसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े बिलों पर अपनी मंजूरी दे दी है। किसान और राजनीतिक दल इन विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे। अब ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
एक गजट अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020, कृषक (सशक्ति्करण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक- 2020 के साथ ही आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही कृषि संबंधित तीनों विधेयकों ने कानून का रूप ले लिया। इससे पहले दोनों कृषि संबंधित विधेयक 17 सितम्बर को लोकसभा और 20 सितम्बर को राज्य सभा से पारित हो गए थे। आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 22 सितम्बर को संसद से पारित हुआ था। इन विधेयकों के कानून बनने से अब किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी। किसान अपनी मर्जी को मालिक होगा अब उसे अपने उत्पाद सीधे बेचने की आजादी होगी।
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा। इससे किसानों को अपनी पसंद के अनुसार उपज की बिक्री-खरीद की स्वतंत्रता होगी। वैकल्पिक व्यापार चैनल उपलब्ध होने से किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेंगे, अंतरराज्यीय व राज्य् में व्यापार सरल होगा।
कृषक (सशक्तिरकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है, जो पारस्परिक रूप से सहमत लाभकारी मूल्य फ्रेमवर्क पर भावी कृषि उत्पावदों की बिक्री व फार्म सेवाओं के लिए कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं एवं निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्त व संरक्षित करता है।
राष्ट्रीय कृषि नीति में परिकल्पना की गई है कि निजी क्षेत्र की भागीदारी को फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था के माध्यम से बढ़ावा दिया जाएगा ताकि उच्च प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, पूंजी प्रवाह व उत्पादित फसलों विशेषकर तिलहन, कपास व बागवानी के लिए सुनिश्चित बाजार उपलब्ध कराया जा सकें। इसकी मुख्य विशेषताएं अनुबंधित किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज की आपूर्ति, सुनिश्चित तकनीकी सहायता, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ऋण की सुविधा व फसल बीमा की सुविधा उपलब्ध कराना हैं।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक यह कानून कोल्ड स्टोरेज में ज्यादा निवेश, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का आधुनिकीकरण, मूल्य स्थिरता का निर्माण, प्रतिस्पर्धी बाजार का वातावरण और कृषि उपज की बर्बादी को रोकने में सहायता करेगा। यह अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर करता है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को सुबह ‘मन की बात’ के दौरान संसद में पास हुए तीन बिलों से किसानों को होने वाले लाभ के बारे में चर्चा की थी। उन्होंने बताया कि अब किसानों को अपनी उपज को देश में कहीं भी बेचने की आजादी मिली है। प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में भी कृषि क्षेत्र के दमखम दिखाने की सराहना की।
अकाली दल के अलावा कांग्रेस समेत कई अन्य दलों ने लगातार कृषि बिल का विरोध किया और राष्ट्रपति से गुजारिश भी की थी कि वो इस पर दस्तखत न करें लेकिन उनकी अपील काम नहीं आई।