प्रदीप मिश्रा :इन्दौर शहर की पहचान यदि अव्यवस्थित सराफा चौपाटी और 56 दुकान के मात्र एक हॉट डॉग, एक पेटीस, एक पावभाजी, एक पोहे जलेबी और एक शिकंजी वाले की दुकान के आधार पर पूरे देश और दुनिया मे स्थापित की जा रही है तो ये पूरे शहर के साथ न सिर्फ बेइंसाफी है वरन सीधे सीधे धोखा है!*
*कभी इंदौर की पहचान अपनी कपड़ा मिलों, कपड़ा व्यवसाय, सोयाबीन व्यवसाय, और सोयाबीन तेल मिलों के लिए पूरे देश में थी! और अब इंदौर अपने रियल एस्टेट, मेडिकल सुविधाओं, एजुकेशन हब, शांति और बेहतरीन क्लाईमेट और वर्क कल्चर के लिए जाना जाता है!*
*लेकिन सरकार, जिला प्रशासन और नाकाबिल नेतागिरी इस बेमिसाल और शानदार उद्यमियों के शहर को केवल सराफा चौपाटी और 56 दुकान के भाटियारो और उनकी भाटियारीगिरी की वजह से पहचाना जाए उस पर अमादा है!? पूरी सरकार, जिला प्रशासन और पार्टी के नेता कोई भी बाहर से आता है तो उन्हें सिर्फ उपरोक्त दोनों ही जगह ले जाते हैं!?*
*जबकि ये दोनों बाजार की वस्तुस्थिति कुछ और ही है!*
*इंदौर में रात 10 बजे से शुरु होने वाली सराफा चौपाटी का माहौल, व्यवस्था और भीड़ क्या दुनिया को दिखाने और गर्व करने लायक है!?* कोरोंना बीमारी को देखते हुए तो इस बाजार को तो कही सही और बड़ी जगह पर व्यस्थित जैसे 56 दुकान है वैसा व्यस्थित मार्केट बनाकर स्थापित करना चाहिए!
*वही दूसरी तरफ 56 दुकान! नाम तो 56 दुकान है लेकिन मात्र 4 या 5 दुकानो जानी हॉट डाग, विजय चाट, मधुरम स्वीट और एक पाव भाजी वाला बस इन्हीं के नाम पर पूरे प्रदेश, देश और दुनिया मे ऐसा प्रचारित किया जाता है जैसे कोई बहुत बड़ी स्ट्रीट फूड और दुनिया का अलहदा स्वाद यहा मिलता है! वस्तुतः 56 दुकान के इन चार पांच भाटियारो से बेहतर स्वाद शहर में कई दुकानदार दे रहे हैं! लेकिन सरकार, नेता और प्रशासन न जाने क्यों इसकी ब्रांडिंग के लिए बावला बना रहता है!