भोपाल – मध्यक्षेत्र का युवा वर्ग बड़ी संख्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ रहा है। जनवरी 2019 से जनवरी 2020 के बीच ज्वाइन आरएसएस की वेबसाइट के माध्यम से केवल मध्यभारत में 1700 से ज्यादा युवाओं ने अपना पंजीयन करवाया। जिसमें से 270 युवा सक्रीय रुप से संघ कार्य से जुड़े। वर्ष 2015 में संघ के प्राथमीक वर्ग (7 दिवसीय प्रशिक्षण) में 80,000 शिक्षार्थी शामिल हुए थे। 2018-19 में यह संख्या बढ़कर 93744 हो गयी। वर्तमान में संघ की 59266 शाखाएं देश भर में संचालित की जा रही हैं, जिसमें से 66% विद्यार्थी शाखाएं हैं। इसके साथ हीं युवाओं के लिए साप्ताहिक एवं मासिक मिलन भी आयोजित किये जाते हैं, इसमें डॉक्टर, इंजिनियर, वकील जैसे विभिन्न व्यवसयिक गतिविधियों से जुड़े युवा बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं।
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत इन दिनों भोपाल के प्रवास पर हैं। इस दौरान वह युवाओं के मध्य संघ के विस्तार पर अधिकारीयों से विशेष चर्चा कर रहे हैं। इस दौरान संघ से जुड़ रहे युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें समाज निर्माण के कार्यों में सक्रिय करने की योजना पर चर्चा हुई।
महाविद्यालयीन विद्यार्थी शिविर में शामिल हुए थे सरसंघचालक
भोपाल प्रवास से पहले सरसंघचालक गुना में आयोजित आरएसएस के युवा संकल्प शिविर में शामिल हुए थे। इस शिविर में बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए थे। इन युवाओं से संवाद करते हुए भागवत ने कहा था कि युवा यह संकल्प लें की वह अपना जीवन राष्ट्र एवं समाज के हित में कार्य कर सार्थक बनाएं। उन्होंने युवाओं से आव्हान किया था कि वह व्यक्तिगत स्वार्थ त्याग कर राष्ट्र के उत्थान में सहयोगी बनें, अगर युवा अपने समय का छोटा हिस्सा भी राष्ट्रहित के काम में लगाने का संकल्प लें तो भारत विश्वगुरु बनकर उभरेगा।
युवा उर्जा को देनी है सकारात्मक दिशा
वर्तमान में भारत विश्व का सबसे युवा देश है। संघ लगातार इस युवा उर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाने के लिए कार्य कर रहा है। गुना में आयोजित युवा संकल्प शिविर में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा था कि युवावस्था एकमात्र ऐसी अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति समाज को बदलने की क्षमता रखता है और यह चार गुणों के कारण संभव है। इस वक्त व्यक्ति पूर्वाग्रहों से मुक्त होता है, उसमें कुछ करने की ऊर्जा होती है, वह गलत के प्रति लड़ने का प्रयास करता है और उसके पास पूरा जीवन होता है अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए। इसके लिए आवश्यक है कि भारत का हर युवा अपनी क्षमताओं का सम्पूर्ण विकास करें। उन्होंने शिक्षार्थियों से यह आह्वाहन किया था कि वह समाज की किसी भी एक समस्या की पहचान करें और उस समस्या को समाप्त करने को अपना लक्ष्य बनाएं। भारत के युवाओं ने अगर ऐसे किया तो हम अपने जीवन काल में हीं पुन: भारत को विश्वगुरु बनते देखेंगे।