‘मोदी सरनेम’ मामले में राहुल गांधी को राहत,
पटना हाईकोर्ट ने सुशील मोदी द्वारा 2019 में
उनके ख़िलाफ़ दायर याचिका पर रोक लगाई
पटना: पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत देते हुए ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में निचली अदालत के आदेश पर 15 मई तक रोक लगा दी.इससे पहले पटना की निचली अदालत ने राहुल गांधी को 12 अप्रैल को पेश होने और ‘मोदी सरनेम’ पर उनकी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा 2019 में उनके खिलाफ दायर याचिका के संबंध में अपना पक्ष रखने के लिए कहा था.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 22 अप्रैल को राहुल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुशील कुमार मोदी द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि के मामले में निचली अदालत द्वारा जारी समन को रद्द करने की मांग करते हुए पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
राहुल गांधी के वकील एडवोकेट वीरेंद्र राठौर ने एएनआई को बताया, ‘हमने मामला रद्द करने की एक याचिका दायर की थी. जब एक मामला पहले से ही सूरत की अदालत में चल रहा है, तो उसी मामले में दूसरी अदालत में एक अलग सुनवाई नहीं हो सकती. यह अवैध है. अगली सुनवाई 15 मई को है और निचली अदालत की सारी कार्यवाही तब तक के लिए रोक दी गई है.’
इस बीच, सुशील मोदी के वकील एडवोकेट एसडी संजय ने कहा, ‘अदालत ने उन्हें मामले पर तर्क रखने के लिए कहा है.’
मालूम हो कि बीते 23 मार्च को गुजरात में सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को उनकी कथित ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी.
राहुल के खिलाफ भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी द्वारा 13 अप्रैल, 2019 को केस दर्ज कराया गया था. उन्होंने कर्नाटक के कोलार में लोकसभा चुनाव के समय एक रैली में राहुल द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर शिकायत की थी.राहुल गांधी ने कथित तौर पर रैली के दौरान कहा था, ‘सभी चोर, चाहे वह नीरव मोदी हों, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी, उनके नाम में मोदी क्यों है.’
दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद 24 मार्च को राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया था कि वायनाड से सांसद राहुल गांधी को 23 मार्च 2023 से अयोग्य घोषित कर दिया गया है.
राहुल को सजा सुनाए जाने और अयोग्य घोषित करने के बाद विपक्षी दलों ने संसद के भीतर और बाहर, बिहार सहित राज्य विधानसभाओं में जोरदार विरोध किया था. गांधी को दिल्ली में अपना बंगला खाली करने का नोटिस भी दिया गया.
उन्होंने प्रोटोकॉल के मुताबिक शनिवार (22 अप्रैल) को अपना तुगलक लेन का सरकारी बंगला खाली कर दिया. 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से जीतने के बाद उन्हें पहली बार बंगला आवंटित किया गया था.अपना बंगला खाली कर दिल्ली में ही मां सोनिया गांधी के आवास में शिफ्ट होने के बाद उन्होंने कहा था कि वह ‘सच बोलने की कीमत’ चुका रहे हैं.