*मप्र शिवराज कैबिनेट के महत्वपूर्ण जनहित फैसले लेकिन क्रियान्वयन का कोई रोड मैप नहीं:*
आज आम आदमी की आधारभूत जरूरत रोटी, कपड़ा और मकान की बजाय स्वास्थ्य, शिक्षा और मकान हो गई है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए मप्र सरकार ने ३ जनवरी २३ को हुई कैबिनेट बैठक में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए लेकिन क्रियान्वयन के लिए कोई समय सीमा या नीति निर्धारण नहीं किया गया जिस कारण लिए गए निर्णय मात्र औपचारिकता या प्रचार प्रसार चुनावी घोषणाएं बनकर न रह जाए:
१. सीएम राइज स्कूलों का निर्माण शिक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है जो उच्च क्वालिटी शिक्षा कम दरों में मध्यम और गरीब वर्ग सभी के लिए उपलब्ध होगी एवं शिक्षा जो कि धर्मार्थ के नाम पर एक व्यवसाय का रूप ले चुका है, उसपर लगाम कसेगी.
इसके लिए ९२०० स्कूलों का निर्माण २६६० करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है, लेकिन सीएम राइज स्कूलों का सपना कब तक धरातल पर नजर आएगा?
एडमिशन, शिक्षक, तकनीक और संरचना के क्या आधार होंगे ?
कैसे आम जनता को इसका फायदा मिल सकेगा?
बाकी सरकारी स्कूलों और स्थानीय प्रशासन द्वारा संचालित स्कूलों का क्या होगा एवं उनके उत्थान के लिए कोई प्रावधान है?
क्वालिटी और दरों का निर्धारण कैसे होगा एवं शिक्षण बोर्ड कौनसा होगा, आदि?
इन प्रश्नों के जबाव या नीति न होने पर यह कहना उपयुक्त होगा कि यह निर्णय मात्र औपचारिकता ही लगता है.
*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर*
२. दूसरा निर्णय स्वास्थ्य क्षेत्र में अच्छे डाक्टरों की उपलब्धता ज्यादा हो, इसके लिए ६१४ करोड़ रुपए का प्रावधान मेडिकल कॉलेज में पीजी सीटें करीब ४०० बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. ये मेडिकल कॉलेज इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा के होंगे.
चिकित्सकों की ज्यादा से ज्यादा उपलब्धता और सस्ता इलाज, यह आम जनता की सालों से मांग रही है और ऐसे समय यह निर्णय स्वास्थ्य क्षेत्र को नए आयाम प्रदान करेगा.
लेकिन मेडिकल कालेजों में संसाधनों के अभाव में मात्र सीटें बढ़ाने या कुछ करोड़ रुपए के प्रावधान करने से दिक्कतें खत्म नहीं होती है.
जरूरत है आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने की, नए मैडिकल कॉलेज खोलने की, इलाज दरें निर्धारित करने की, स्वास्थ्य क्षेत्र को जनसेवा का क्षेत्र निरूपित करने की, स्वास्थ्य शिक्षा आसान और सस्ती दरों पर उपलब्ध हो, रिसर्च एवं विशेषज्ञों का मार्गदर्शन मिलता रहे, समयानुसार क्रियान्वयन योजनाओं का हो.
फिलहाल उपरोक्त बिन्दुओं पर प्रश्न चिन्ह है जो कि हमारे सामने मात्र घोषणा और लिए गए निर्णय के रूप में है एवं इसपर कैसे क्रियान्वयन होगा, ये अभी विचारणीय है.
*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर*
३. गरीबों के पास मकान हो, इसके लिए ६०० वर्ग फुट के प्लाट राज्य सरकार द्वारा पूरे राज्य में बांटे जाएंगे और इसके लिए टीकमगढ़ जिले में १०००० हितग्राहियों को करीब १२० करोड़ के प्लाट आज आवंटित किए जाएंगे.
क्या प्लाट बांटने से गरीब हितग्राही मकान बनवा लेगा?
क्या वह हितग्राही किसी और को नहीं बेचेगा, ऐसी कोई नीति है?
कितने समय में उसे मकान बनाना होगा?
प्लाट का कुछ और उपयोग करता है तो क्या कार्यवाही होगी?
प्रधानमंत्री आवास योजना का तो लाभ उसको मिलेगा लेकिन मकान बनाने के लिए पैसे कहां से आएंगे?
सरकार राजस्व की कमी से जूझ रही है, ऐसे में प्लाट या सरकारी जमीन मुफ्त में बांटना रेवड़ी बांटना नहीं कहलाएगा?
*ऐसे में बिना नीति निर्धारण और क्रियान्वयन के नियमों को बनाए बिना सिर्फ निर्णय लेना और बताना की जनहित में सरकार काम कर रही है, विचारणीय है.*
*उम्मीद है जनहित के यह निर्णय सुबह का सूरज देख पाएंगे और आम जनता को इसका लाभ धरातल पर जल्द से जल्द उपलब्ध होगा.*
लेखक:सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर