मध्यप्रदेश में भू-लेख रिकॉर्ड अव्यवस्थित और अस्पष्ट होने के कारण सरकार को हो रहा राजस्व का भारी नुकसान

एमपी भूलेख पोर्टल का मुख्य उद्देश्य यह हैं कि अब प्रदेश की जनता को भूलेख, अभिलेख, नक्शा, खसरा, किस्तबंदी आदि की नकल निकालने के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेगे और मध्यप्रदेश के लोग अब इसे घर बैठे अपने मोबाईल या कंप्युटर/लैपटॉप पर ऑनलाइन मिनटों में देख सकेगे और नकल को डाउनलोड भी कर सकेगे. इस पोर्टल के ये फायदे माने जा सकते हैं:

  1. आप इसे घर बैठे देख और डाउनलोड कर सकते हैं.
  2. सरकारी कार्यालयों में जाकर घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा, समय की बचत होगी.
  3. अगर आपकी नकल गुम हो जाए तो इसे फिर से देख और डाउनलोड कर सकते हैं.
  4. एमपी भुलेख पोर्टल पर अपडेटेड जानकारी मिलेगी .
  5. ऑनलाइन सेवा होने के कारण आप भ्रष्टाचार के शिकार होने से बच जायेगे.
  6. इस पोर्टल का उपयोग करना बहुत ही आसान हैं.

लेकिन उपरोक्त फायदे अभी तक जन सामान्य को नजर नहीं आये है और उसका मुख्य कारण भुलेख रिकॉर्ड और खसरे खतोनी पर मालिकों के नाम ही नहीं चढ़े है और ऐसे में भू राजस्व का सरकार को नुकसान सहना पड़ रहा है.

एक तरफ आदरणीय मुख्यमंत्री भु-अधिकार योजना के लांच की बात कह रहे हैं तो दूसरी तरफ भू लेख रिकॉर्ड में व्याप्त खामियों का नुकसान राज्य पहले से ही वहन कर रहा है.

खसरा, नक्शा, खतौनी, अधिकार अभिलेख की प्रतिलिपि डिजिटल हस्ताक्षर से उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए खसरों में जो भी परिवर्तन होते हैं, उसका भू-अभिलेखों में दर्ज होना अनिवार्य है।

राजस्व विभाग ने जब पड़ताल की तो पता लगा कि लगभग नौ लाख खसरों में भूमि स्वामी का नाम ही नहीं है।

इसके मद्देनजर तय किया गया है कि सर्वे कराकर प्रत्येक खसरे में भूमि स्वामी का नाम दर्ज किया जाएगा। जिन नामों में अशुद्धियां हैं, उनमें सुधार किया जाएगा। इसके लिए आवेदन लेकर राजस्व न्यायालय में आदेश पारित किए जाएंगे। भूलेख पोर्टल पर जानकारी दर्ज होगी और फिर खसरे को अंतिम रूप दिया जाएगा। कई खसरों में भूमि स्वामी के नाम प्रदर्शित नहीं हो रहे हैं।

प्रदेश में सवा दो लाख से ज्यादा खसरे ऐसे भी हैं, जिनका वर्गीकरण ही नहीं है। ये शासकीय हैं या निजी, यह भी स्पष्ट नहीं है। इसमें सुधार की प्रक्रिया चल रही है।

खसरे का वर्गीकरण शासकीय, निजी या अन्य में किया जाएगा। इसके साथ ही भूमि स्वामी में अब शासकीय, संस्था, आधिपत्य किसान, वक्फ संपत्ति, शासकीय पट्टेदार, भूदानधारी, देवस्थान, अस्थाई पट्टेदार, आबादी, सेवा खातेदार आदि के रूप में स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा।

राज्य के राजस्व विभाग को प्राथमिकता के आधार पर भुलेख रिकॉर्ड को दुरस्त करने का काम तहसीलदार, कलेक्टर और पटवारी को सौंपना चाहिए ताकि राजस्व में इस कठिन समय में बढ़ौतरी हो सके एवं जनता पर पेट्रोल डीजल के टैक्स की मार में कुछ राहत मिल सकें.

सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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