भोपाल। बालाघाट जिले के तत्कालीन कलेक्टर दीपक आर्य पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से करवाने के निर्देश का पालन नहीं करने पर हाई कोर्ट ने मप्र सरकार पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। एक साल बाद भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किये जाने के खिलाफ अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मप्र सरकार को जांच के लिए अंतिम अवसर प्रदान किया है। अगर इसके बाद भी सरकार ने जांच नहीं की तो सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा एक्शन लिया जाएगा।
गौरतलब है कि आईएएस अधिकारी दीपक आर्य के बालाघाट कलेक्टर रहने के दौरान उन पर भ्रष्टाचार के कई संगीन आरोप लगे थे। बाद में दीपक आर्य सागर जिले के कलेक्टर बन गए और लंबे समय से अभी भी सागर कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं। दीपक आर्य के भ्रष्टाचार की शिकायत मप्र सरकार को भी की गई थी, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सांठगांठ के चलते उनकी जांच नहीं की गई। इसके बाद वे सागर जिले के कलेक्टर बन गए, जहां कथित तौर पर सागर जिले के मंत्रियों के साथ नजदीकी के चलते आर्य जहां लंबे समय से सागर जिले में कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं। वहीं जांच से भी बचे हुए हैं। उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच न होने के बाद इस मामले में याचिका हाईकोर्ट में लगाई गई थी, जिस पर कोर्ट ने एक साल पहले मप्र सरकार को जांच के लिए निर्देशित किया था, लेकिन दीपक आर्य के लिए सरकार के वरिष्ठ अफसरों ने हाईकोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर दिया और दीपक आर्य को अभयदान मिलता रहा है। सरकार द्वारा हाईकोर्ट का आदेश न मानने पर अवमाननना की याचिका पेश की गई है। जिस पर एक बार फिर हाईकोर्ट ने मप्र सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए आईएएस अधिकारी दीपक आर्य के भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए अंतिम अवसर दिया है। अगर मप्र सरकार एवं उसके अफसर अब भी नींद से नहीं जागते तो इस बार हाईकोर्ट सख्त निर्णय करेगा।