नई दिल्ली, 30 अक्टूबर । वायुसेना ने शुक्रवार को लाइव टारगेट मिशन के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई से 4000 किमी. दूर बंगाल की खाड़ी में एक जहाज को निशाना बनाकर किया। सुखोई ने पंजाब के हलवारा एयरबेस से उड़ान भरी और हवा में ही ईंधन भरने के बाद 4,000 किमी दूर एक लक्षित जहाज को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया।
भारतीय वायु सेना ने आज बंगाल की खाड़ी में एक जहाज को निशाना बनाने के लिए सुखोई-30 लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल लॉन्च की। वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30 ने पंजाब में स्थित हलवारा एयरबेस से सुबह 9 बजे उड़ान भरी और हवा में ही ईंधन भरने के बाद 4,000 किमी दूर दोपहर 1.30 बजे एक लक्षित जहाज को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया। यह ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल का इस तरीके का दूसरा सफल परीक्षण है। पिछले ऐसे मिशन में एक सुखोई-30 एमकेआई ने कलिकुंडा हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी और लक्षद्वीप द्वीप क्षेत्र के पास एक लक्षित जहाज को निशाना बनाया था। मिड एयर रीफ्यूलिंग बैंगलोर के आसपास कहीं किया गया था।
भारत और रूस ने मिलकर सुपरसोनिक क्रूज मीडियम रेंज मिसाइल ब्रह्मोस को विकसित किया है। अग्नि के सिद्धांत पर काम करने वाली और 450 किलोमीटर की रेंज वाली इस मिसाइल में 200 किलो तक के पारंपरिक वारहेड ले जाने की क्षमता है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का 30 सितम्बर को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था जो 400 किमी से अधिक दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की पीजे-10 परियोजना के तहत मिसाइल को स्वदेशी बूस्टर के साथ लॉन्च किया गया था। पहले 300 किमी. तक मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल में डीआरडीओ ने पीजे-10 परियोजना के तहत स्वदेशी बूस्टर बनाकर इसकी मारक क्षमता बढ़ा दी है। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का दूसरा परीक्षण था।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। ब्रह्मोस भारत और रूस द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी बना दिया है।