बिना दलालो के नहीं चल सकता परिवहन विभाग

बिना दलालो के नहीं चल सकता परिवहन विभाग,

,इसलिए
मध्य प्रदेश के सभी जिला आरटीओ कार्यालय के एजेंटो को लोकसेवक मानकर कमीशन आधार पर मान्यता दे देना चाहिए *********************

प्रदेश के 52 क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कार्यालय एजेंटो से भरे पड़े हैं छोटे छोटे से कामों के लिए आम जनता को इन एजेंटो पर निर्भर होना पड़ता है इसका एक प्रमुख कारण है कि विभाग में चतुर्थ श्रेणी स्तर की भर्तियां बहुत पहले से बंद है इसलिए फाइल को एक कक्ष से दूसरे कक्ष में पहुंचाने के लिए भी इन्हीं एजेंटों के आदमियों की आवश्यकता पड़ती है
चाहे नए लाइसेंस बनाने की बात हो या पुराना लाइसेंस रिन्यू कराने की बात हो गाड़ी का परमिट लेने की बात हो टैक्स जमा करने की बात हो या आरटीओ से संबंधित कोई भी कार्रवाई आम जनता को पल्ले नहीं पड़ती है उसके लिए उन्हें एजेंटो की आवश्यकता ही पड़ती है क्योंकि यदि आम व्यक्ति खिड़की पर जाकर स्वयं के काम का तरीका पूछने लगता हैतो बाबू को इतना समय नहीं है कि मैं उन्हें समझा सके इस फॉर्म को कैसे भरा जाएगा और कहां कितना पैसा जमा होगा इसलिए जनता अपनी सुविधा को देखते हुए दलालों को चुन लेती है और उन के माध्यम से यह घंटों का काम चंद मिनटों में हो जाता है
जबकि जिले के आरटीओ हमेशा दावा करते हैं कि हमने ऐसी क्या चौबंद व्यवस्था कर दी है की आम जनता को अपना काम कराने के लिए हमारे कार्यालय में दलालों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी पर वह शायद वास्तविकता से बहुत दूर है क्योंकि लर्निंग लाइसेंस बनवाना हो लाइट लाइसेंस बनवाना हो लाइसेंस रिन्यू करवाना हो नया परमिट लेना वह हर काम के लिए दलाल की आवश्यकता पड़ती है मैंने बार-बार लिखा कि आरटीओ कार्यप्रणाली प्रणाली इतनी पेचीदा है कि आम जनता के व्यक्ति को उस प्रणाली से होकर खिड़की तक पहुंचने में 15 दिन का समय लग जाता है और दलाल वही काम चंद मिनटों में कर देता है उसके लिए उसे सुविधा शुल्क देना पड़ता है इसलिए सरकार को सभी आरटीओ एजेंटों को लोक सेवक के रूप में स्वीकारते हुए बिना वेतन कमीशन आधारित प्रक्रिया को अपनाते हुए कमीशन इन्हे वैध लाइसेंस जारी कर देना चाहिए
और दूसरी बड़ी बात यह है कि यदि हम इन दलालों को सभी 52 आरटीओ कार्यालय से हटा भी देंगे तो यह जाएंगे कहां इनके परिवारों का क्या होगा यह भविष्य में क्या करेंगे कौन सा रोजगार करेंगे
इसके बारे में सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं है इसलिए इनका होना भी जरूरी है और इनका ना होना भी जरूरी है
मेरे अनुसार एक व्यक्ति को एक लाइसेंस जारी कर देना चाहिए और सरकार इन के माध्यम से ही सारे काम करवाएं इन्हें लोक सेवक का दर्जा दे और जो भी उस कार्य में एक कमीशन सुनिश्चित हो वह इन्हें इनके लाइसेंस के आधार पर रोज इनके खाते में डलवाती जाए
इससे आरटीओ कार्यालय दलाल मुक्त भी हो जाएंगे और दलाल शब्द खत्म होकर लोकसेवक शब्द बन जाएगा जिससे इन्हें एक मान्यता प्राप्त होv जाएगी और आम जनता को इनसे काम कराने में सहूलियत में प्राप्त होगी
मनोज शर्मा कौशल

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