प्यारे मियां केस, बालिका गृह से लड़कियों को छोड़ने की तैयारी, बड़ा प्रश्न बाहर कौन करेगा उनकी सुरक्षा ?
भोपाल। प्यारे मियां यौन शोषण मामले में एक नाबालिग की नींद की गोलियां खाने की वजह से हुई मौत के बाद पुलिस की निगरानी में गुरुवार दोपहर करीब 1.30 बजे उसका भदभदा विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। अब प्रशासन एवं महिला बाल विकास विभाग अपने पर दबाव महसूस कर रहा है, जिसके चलते वह अन्य पीड़िताओं को छोड़ने की योजना बना रहा है। बताया जा रहा है कि ऐसा करने के लिए कलेक्टर पर भारी दबाव है। हालांकि कलेक्टर ने इस पूरे मामले की जांच भी शुरू कर दी है।
तलाशे जा रहे अन्य बच्चियों को बाहर निकालने के रास्ते
अधिकारिक सूत्रों की मानें तो शेष बच्चियों को छोड़ने के लिए शासन रास्ते तलाश रहा है और बाल कल्याण समिति के सुरक्षा कारणों को देखते हुए नहीं छोड़ने की स्थिति में कौन उन्हें छोड़ सकता है, इसके लिए कानूनी रास्ते खोज रहा है । दरअसल, प्यारे मियां यौन शोषण से जुड़े इस केस में नाबालिग पीड़िताएं फरियादी हैं, न कि आरोपी या अपराधी। लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न है कि इनके न्यायालय के समक्ष बिना बयान दिए मौत होने की स्थिति में सबसे अधिक फायदा किसे होगा, स्वभाविक है कि वह नाम प्यारे मिंया का ही है।
यदि इनके न्यायालय के समक्ष बयान होने के पूर्व ही इन्हें घर भेज दिया जाता है तो इसकी भी संभावना है कि परिवार या अन्य दबावों के चलते ये मजबूरन अपने बयान बदलने के लिए विवश कर दी जाएं। जिसको देखते हुए बताया जा रहा है कि बाल कल्याण समिति इन्हें सिर्फ न्यायालयीन बयान होने तक बालिका गृह या अन्य शासन की देखरेख में सुरक्षित स्थान पर रखना चाहती है ।
राष्ट्रीय बाल आयोग करेगा पूरे मामले की अपने स्तर पर जांच
इधर, राष्ट्रीय बाल आयोग ने अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है। इसके लिए आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जांच कमेटी गठित की है। यह कमेटी दिल्ली से भोपाल आकर जांच करेगी । श्री कानूनगो ने कहा है कि दिल्ली से भेजी जानेवाली जांच समिति 26 जनवरी के बाद इस माह के अंत के दिनों में भोपाल पहुंचकर अपनी जांच में जुट जाएगी, जोकि जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करेगी।
इस दौरान राष्ट्रीय बाल आयोग के अघ्यक्ष श्री कानूनगो ने यह भी बताया कि उन्होंने 9 जनवरी को बालिका गृह का निरीक्षण किया था। जहां कई तरह की खामियां पाई गइ्र थीं। उन कमियों को दूर करने के लिए आयोग ने कलेक्टर को 9 बिंदुओं पर सिफारिश की थी, लेकिन दुख की बात है कि अब तक उस पर क्या अमल हुआ इसकी कोई जानकारी हमें उपलब्ध नहीं कराई गई, जिससे साफ है कि उन सिफारिशों पर अभी तक अमल नहीं हुआ है । इसी वजह से आयोग अब अपने स्तर पर मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ खुद से प्रकरण दर्ज कराएगा।
सीडब्लूसी सदस्य कृपा शंकर चौबे ने रखा अपना पक्ष, एक समाचार पत्र के कारनामें से हुए दुखी
वहीं, इस मामले में एक समाचार पत्र द्वारा बालकल्याण समिति (सीडब्लूसी) के सदस्य कृपा शंकर चौबे का नाम प्रमुखता से लिखने एवं उन पर तमाम आरोप लगाने को लेकर श्री चौबे ने अब मीडिया के बीच अपना पक्ष रखा है। कृपा शंकर का कहना है कि मैं पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस से पीड़ित हूं। यहां तक कि मेरा पूरा परिवार ही कोरोना संक्रमित हो गया, जिसके कारण से मैं अभी कुछ दिनों तक अस्पताल में भी भर्ती रहा, अब घर आकर डॉक्टरों की सलाह से आराम कर रहा हूं । मुझे चिकित्सकों के स्पष्ट निर्देश हैं कि जब तक पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाते, आपको घर से नहीं निकलना है। ऐसे में जब पीड़िता की मौत का मामला हुआ तब पूरे प्रकरण में मैं ना तो बालकल्याण समिति के दफ्तर में गया और ना ही बालिका गृह, ऐसे में मुझे घोर आपत्ति है कि मेरा नाम मीडिया में बिना मुझसे बात किए बगैर घसीटा गया है। उनका कहना है कि पूर्व में भी इस समाचार पत्र द्वारा ऐसे ही मेरे अनुपस्थिति होने के बाद भी एक अन्य मामले में मेरा नाम जोड़ दिया गया था। उनका कहना है कि वे अब इस समाचार पत्र व उसकी उक्त रिपोटर के खिलाफ बेवजह नाम घसीटने के कारण बहुत क्षुब्ध हैं ।
बच्चियों को बालिका गृह से छोड़ने के प्रश्न पर उनका कहना था कि हम बेवजह किसी की बच्ची को परिवार से दूर रखना नहीं चाहते। उनका दावा है कि समिति ने अब तक तमाम केस सफलता से हल किए और बच्चियों को पूरी सुरक्षा गारंटी एवं उनके आगे बढ़ने के रास्तों को देखते हुए उनके घर पहुंचाया ही है। जिसका कि रिकार्ड भी मौजूद है। इसलिए यह कहना कि हम जबरन किसी बच्ची को रोकते हैं गलत होगा। उन्होंने कहा कि बालकल्याण समिति का काम बच्चों को सुरक्षा मुहैया करना है एवं उनके साथ कुछ गलत हुआ है तो ऐसे में बुरा करनेवालों के लिए बच्चों के हित में उनके साथ खड़े रहना है। प्यारे मियां मामले में बालिकाओं के हित में जो निर्णय लेना चाहिए वहीं अब तक हमने लिए हैं और आगे भी लेंगे।
यह है पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि प्यारे मियां यौन शोषण मामले में 5 फरियादी बालिका गृह में रह रही हैं । उनमें से एक नाबालिग को नींद की गोलियां खा लेने के कारण सोमवार रात संदिग्ध परिस्थितियों में हमीदिया अस्पताल में भर्ती किया गया था । उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था । सूचना मिलते ही नाबालिग के परिजन भी अस्पताल पहुंच गए थे, उन्होंने बाल गृह पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए थे । मामले की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार को कलेक्टर अविनाश लवानिया ने न्यायायिक जांच के आदेश दे दिए थे । पूरे मामले में कमला नगर थाना पुलिस ने मंगलवार को जांच शुरू कर दी है। इसमें एक अन्य नाबालिग लड़की के बयान भी लिए गए, जिसके बाद उसकी भी तबीयत खराब हो गई, उसे जेपी अस्पताल ले जाया गया । यहां पर तीन घंटे भर्ती करने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया । जांच के बाद बालिका गृह संरक्षण की अधीक्षिका एंटोनिया कुजूर इक्का को हटा दिया गया और नई अधीक्षिका योगिता मुकाती को नियुक्त किया गया है। इसके बाद फिर से दो लड़कियों की तबीयत गुरुवार रात खराब हुई जिन्हें अस्पताल में रखा गया, बताया जा रहा है कि अब वे दोनों ही स्वस्थ हैं।