*उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश से सबसे ज्यादा जिलें: जबलपुर को हरे मटर के लिए चिन्हित किया गया:
इसके लिए 17 राज्यों में 50 से अधिक इंक्यूबेशन केंद्रों की मंजूरी भी दी गई है।
कोरोना की दूसरी लहर से पहले आई यह योजना कहीं कागजों में ही गुम न हो जाए, इसलिए लोगों को न केवल इसका फायदा उठाना चाहिए और साथ ही प्रशासन को भी इसका प्रचार प्रसार एवं क्रियान्वयन कर इसको सफल करना होगा.
योजना के तहत शुरू की जाने वाली सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को वित्तीय व तकनीकी मदद भी मुहैया कराई जा रही है।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रंस्करण उद्योग योजना को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय, जनजातीय मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय ने संयुक्त रूप से प्रयास किया है।
इसके लिए साझा कार्यक्रम तैयार किए गए हैं, जिसमें राष्ट्रीय आजीविका मिशन, राज्य आजीविका मिशन और ग्रामीण आजीविका मिशन के नेटवर्क का सहयोग लिया जा रहा है।
इस योजना में कार्यशील पूंजी और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में लगे स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य द्वारा छोटे उपकरणों की खरीद के लिए वित्तीय मदद मुहैया कराई जाती है।
योजना के तहत कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, केरल, सिक्किम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड समेत कुल 17 राज्यों में 54 कॉमन इंक्यूबेशन सेंटर की स्थापना को मंजूरी दे दी गई है।
इन सेंटरों से नए उद्यमियों को भरपूर मदद मुहैया कराई जाती है।
नए उद्यमियों को हर तरह की तकनीकी जानकारी मुहैया कराने के लिए 491 जिलों में विशेषज्ञों की नियुक्ति कर दी गई है।
डेढ़ दर्जन राज्यों में 470 जिला स्तरीय प्रशिक्षकों को भी उद्यमियों के प्रशिक्षण के लिए रखा गया है, जो समय-समय पर उन्हें प्रशिक्षित करते रहेंगे।
योजना में प्रत्येक उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए सहकारी संस्था नैफेड और ट्राइफेड सहयोग करेंगी।
कृषि व बागवानी उत्पादों में अनानास, बाजरा आधारित उत्पाद, धनिया, मखाना, शहद, रागी, बेकरी, इसबगोल, हल्दी और चेरी की ब्रांडिंग व मार्केटिंग नैफेड करेगी।
जबकि ट्राइफेड ने इमली, मसाले, आंवला, दालें, अनाज, कस्टर्ड सेब, जंगली मशरूम, काजू, काला चावल और जंगली सेब के उत्पादों का चयन किया है।
वर्ष 2020-21 से लेकर वर्ष 2024-25 के दौरान 10,000 करोड़ रुपये के व्यय के साथ इस योजना में सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों के उन्नयन के लिए वित्तीय व तकनीकी मदद दी जाएगी।
*अधिक जानकारी के लिए खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की वेबसाइट www.mofsi.nic.in पर जाकर समझा जा सकता है और हर जिले को अपने अपने उत्पाद में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.*
*खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना हेतु काफी संभावनाएं है जो हर जिले के विकास एवं रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.*
*सलाहकार: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर