आश्चर्य का विषय है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद पता चल रहा है कि उन्होंने कितने बड़े बड़े काम किए । 10 वर्षों के प्रधानमंत्री कार्यकाल और 23 वर्षों के राजनैतिक जीवन में उनके नाम ऐसी ऐसी योजनाएं हैं , जिनका प्रचार कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को श्रेय देकर कभी नहीं किया । मनमोहन के हर बड़े काम का श्रेय सोनिया गांधी लेती रही , उन्हें छोटा दिखाने के लिए राहुल गांधी सार्वजनिक मंच पर उनके अध्यादेश फाड़ते रहे , उन्हें अदना साबित करते रहे ।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर जैसे पदों पर आसीन होने और महान अर्थशास्त्री होने के बावजूद वे बहुत कम बोलते थे । यही वजह थी अपनी सरकार के कामों का श्रेय पार्टी को मिलने के बावजूद वे चुप रहे । उनकी चुप्पी से कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री पद पर हावी होती गई । मनमोहन सिंह बेहद ईमानदार व्यक्ति थे । लेकिन उनके कईं मंत्री भारी भ्रष्टाचार में लिप्त थे । सभी चूंकि पार्टी सुप्रीमों के करीब थे अतः उनकी चुप्पी कायम रही । यह चुप्पी ही उन्हें कमजोर आदमी और कठपुतली जैसी उपमाएं दिलाती रही ।
पूर्व प्रधानमंत्री और विख्यात अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह का जाना निश्चित रूप से एक अपूर्णीय क्षति है । देश के प्रधानमंत्रियों की पूरी सूची खंगालें तो लालबहादुर शास्त्री जी को छोड़कर एक सरलतम व्यक्ति उन्हें ही कहा जाएगा । सच कहें तो राजनीति में उनका प्रवेश एक संयोग था , एक विवशता थी । सोनिया गांधी कदापि नहीं चाहती थीं कि नारायण दत्त तिवारी अथवा प्रणव मुखर्जी जैसे परिपक्व नेताओं को प्रधानमंत्री पद सौंपा जाए । ऐसा करने से वे अपना दरबार उजड़ जाने का अनुमान लगा रहीं थी । नतीजा यह कि मनमोहन सिंह जैसे सरल सज्जन व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद सौंपकर सत्ता की चाभी अपने पास रखने में सोनिया और उनके दरबारी सफल रहे ।
मनमोहन सिंह बहुत ही सरल व्यक्ति थे । निःसंदेह पीवी नरसिम्हा राव जब उन्हें अपनी कैबिनेट में वित्त मंत्री बनाकर लाए तब भी वे बड़े संकोच के साथ उस पद पर आए । राजीव गांधी की संचार क्रांति और नरसिम्हा राव की खुली हवा से भारत में विकास का रथ दौड़ पड़ा । इस तमाम आयोजन की रीढ़ मनमोहन सिंह थे । इस बात को अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित दुनिया के जाने माने अर्थशास्त्री भी स्वीकार करते हैं । मनमोहन सिंह चुपचाप रहकर काम करने वाले व्यक्ति थे । उनके द्वारा खोली गई खिड़कियों से आई खुली हवा का ही परिणाम है कि इन्टरनेट की दुनिया आबाद हुई और भारतीय युवा वर्ग सारी दुनिया के टेक्नोवर्ल्ड पर छा गया । मनमोहन सिंह द्वारा लाई गई खुली हवा में सांस लेते हुए ही मोदी भारत को नया भारत बना पाए हैं ।
मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने निवृत्ति के पश्चात एक्सीडेंटल प्राईमिनिस्टर के नाम से एक किताब लिखी । इस किताब को पढ़ने और उस पर बनी शानदार फिल्म देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । किताब प्रधानमंत्री जैसे सर्वाधिकार पद पर रहे मनमोहन सिंह की बेबसी और उनकी घुटन का शानदार चित्रण करती है । सच है कि यदि सोनिया गांधी और उनके दरबार ने प्रतिदिन हस्तक्षेप न किया होता तो मनमोहन सिंह और अनेक बड़े काम कर सकते थे । उनका पार्थिव शरीर बेशक आज विदा हो जाएगा , एक शांतचित्त व्यक्तित्व के रूप वे सदा प्रासंगिक बने रहेंगे l