नये आयकर पोर्टल की धीमी गति और तेज गति से बढ़ती करदाता की समस्याएं, किन बातों का रखना होगा ध्यान

असीम संभावनाओं से भरा आयकर पोर्टल के धीमा चलने के कारण निम्नलिखित समस्याएं तेजी से बढ़ रही है:

  1. विवरणी दाखिल करने में काफी समय लग रहा है.
  2. पोर्टल पर लॉगिन की समस्या बनी हुई है.
  3. कुछ रिटर्न जमा हो रहे हैं तो कुछ की रिटर्न भरने के बाद भी पोर्टल पर दिखाई नहीं दे रही है। इस कारण दोबारा से रिटर्न भरनी पड़ जाती है जो बाद में रिवाइज्ड रिटर्न के रूप में पोर्टल पर दिखती है.
  4. रिटर्न भरने के बाद ई वेरिफाई की जाती है। उसमें भी समस्या सामने आ रही है. इसलिए नान आडिट रिटर्न भरने की तारीख पहले ही 31/12/2021 तक बढ़ा दी गई है.
  5. अपलोड किये गए कागजातों को भी वेरिफाई करने में समस्या आ रही है. डिजिटल हस्ताक्षर टैब समय पर काम करता ही नहीं है और न ही जल्दी इसका रजिस्ट्रेशन हो पाता है. आधार ओटीपी आने में समस्या बनी हुई है.
  6. जिन्हें टैक्स रिफंड लेना है उन्हें परेशानियों के चलते महीनों इंतजार करना पड़ रहा है.
  7. आयकर की धारा 143 (1) के अंतर्गत इंटीमेशन ऑर्डर नहीं खुल रहे हैं.
  8. आईटीआर फॉर्म 3, 5 व 7 आनलाइन अभी उपलब्ध नहीं हुए हैं.
  9. ऑडिट के फॉर्म अभी तक जारी नहीं हुए हैं.

आयकर विभाग की ओर से ऑडिट कराने की आखिरी तारीख 15 जनवरी 2022 है, जबकि ऑडिट के बाद रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 15 फरवरी दी गई है।

  1. कंपनी के रिटर्न भरने में समस्याएं आ रही हैं.
  2. विवाद से विश्वास स्कीम का टैब भी पूरी तरह से काम नहीं कर रहा है.
  3. इसके अलावा फॉर्म-15 सीए/ सीबी, ऑनलाइन नहीं हो रहा है और फार्म 10 ए / बी अपलोड करने में भी समस्या आ रही है.

एक तरफ कर सलाहकारों और करदाताओं के घंटों का समय बरबाद हो रहा हैं तो दूसरी तरफ एडवांस टैक्स का चाबुक करदाता पर अलग पड़ रहा है.

व्यवहारिक रूप से समझें तो कोरोना के कारण, लाकबंदी के कारण और तारीखों के बढ़ने के कारण आम करदाता और व्यापारी अपने खाते बही अभी पिछले साल 2020-21 के फाइनल नहीं कर पाया है और एडवांस टैक्स किश्तें वित्तीय वर्ष 2021-22 की शुरु हो चुकी है.

ऐसे में करदाता पर एडवांस टैक्स किश्तें समय पर जमा न कर पाना या कम जमा करना स्वाभाविक है, लेकिन नियमानुसार उस पर ब्याज का चाबुक तो चलेगा ही.

सरकार को इस समस्या पर गौर करते हुए इस साल एडवांस किश्तों पर आयकर धारा 234 बी/ सी के अन्तर्गत ब्याज माफी का नोटिफिकेशन लाना चाहिए ताकि करदाता को थोड़ी राहत मिल सकें.

अब करदाता को राहत मिले या न मिले, लेकिन फिलहाल उसका कर्तव्य है कि समय से पहले अपनी आयकर विवरणी भरें, अपनी पूरी आय को सही तरीके से दिखाए, सही टैक्स भरें और देश हित में अपना योगदान दें.

सही ढंग से आयकर रिटर्न भरने के लिए, करदाता को इन बिन्दुओं का ध्यान रखना जरुरी है:

जो जानकारियां आपके लेनदेन के बारे में आयकर विभाग के पास होती हैं, उसे भूलकर भी अपनी विवरणी में बताना न भूलें-

  1. बैंक या पोस्ट ऑफिस बचत खाते में एक वित्त वर्ष में दस लाख रुपए या अधिक की नकद जमा
  2. एक वित्त वर्ष में दो लाख रुपए या अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट या एक वित्त वर्ष में एक लाख या अधिक का कैश में क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट
  3. एक वित्त वर्ष में दो लाख रुपए या अधिक का म्यूचुअल फंड में निवेश
  4. एक वित्त वर्ष में पांच लाख या अधिक का बॉन्ड या डिबेंचर में निवेश
  5. एक लाख रुपए या अधिक का शेयर-आईपीओ में किया गया निवेश
  6. तीस लाख रुपए या इससे अधिक मूल्य की स्थायी संपत्ति की खरीदारी
  7. लिस्टेड शेयर या म्यूचुअल फंड बेचने से हुई पूंजीगत आय
  8. कंपनियों से मिले डिविडेंड से आय
  9. बैंक या अन्य वित्तीय संस्थाओं में जमा रकम पर ब्याज से आय जिसमें एफडी और सेविंग खाते पर ब्याज दोनों शामिल हैं
  10. एक वित्त वर्ष में दस लाख या अधिक की विदेशी मुद्रा की खरीद
  11. दो लाख रुपए से ज्यादा की किसी वस्तु की नकद खरीदारी।
  12. एक वित्त वर्ष में दस लाख या अधिक के कैश में लिए गए बैंक डिमांड ड्राफ्ट/पे ऑर्डर/बैंकर्स चेक।

उपरोक्त लेनदेन के अलावा, इन कागजातों में दर्शाये लेनदेन का समायोजन/ मिलान भी जरूरी है:

  1. फॉर्म 26 एएस में दर्शाई गई सारी इनकम रिटर्न में शो कर दी गई है
  2. टीडीएस सर्टिफिकेट्स और फॉर्म 26 एएस के टीडीएस रकम का मिलान कर लिया गया है
  3. प्रॉपर्टी, ज्वैलरी, पेंटिंग्स आदि बेचने से हुए कैपिटल गेन्स के कागजात और लेनदेन को दर्शाना
  4. वित्त वर्ष में जो धारा 80 के अंतर्गत किए गए निवेश की पूरी छूट ले ली गई है
  5. डिविडेंड इनकम अब कर योग्य है, ऐसी आय अन्य स्त्रोतों की आय में दिखा दी गई है
  6. करमुक्त इनकम यानी टैक्स-फ्री आय की जानकारी दे दी गई है।

इन कदमों द्वारा इतना तो तय है कि हम एक अच्छे करदाता साबित होंगे, बाकी रही बात नये आयकर पोर्टल की धीमी गति से पैदा हुई समस्याओं की तो अब सरकार को तय करना है कि राजस्व की बढ़ोत्तरी के लिए एक अच्छे करदाता को राहत देनी होगी या आयकर पोर्टल बनाने वाली कंपनी को!

लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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